मिस्र के पुरातत्वविदों ने एक कब्रिस्तान में 2600 साल पुराने सफेद पनीर के कुछ टुकड़ों की खोज की है। पनीर के ये टुकड़े मिट्टी के बर्तन में मिले हैं। कुछ दिनों पहले पुरातत्वविदों को एक खुदाई में 4500 साल पुराना सूर्य मंदिर भी मिला था।
मिस्र की मिनिस्ट्री ऑफ टूरिज्म एंड एंटीक्विटीज ने पनीर के टुकड़ों को लेकर बताया है कि पुरातत्वविदों की टीम ने यह खोज 10 सितंबर को सक्कारा कब्रिस्तान में खुदाई के दौरान की है। पनीर के टुकड़े मिट्टी के बर्तन में मिले हैं। मिट्टी के इन बर्तनों में मिस्र की एक प्राचीन डेमोटिक लिपि में कुछ लिखा हुआ।
पुरातत्व विभाग को एक विश्लेषण से यह पता चला है कि पनीर के टुकड़े 26वें और 27वें राजवंशों के हैं, यानी करीब 525 से 688 ईसा पूर्व के बीच के हैं। यह पनीर (हल्लौमी पनीर) बकरी और भेड़ के दूध या कभी-कभी गाय के दूध के मिश्रण से बना एक पारंपरिक साइप्रस पनीर है। इसका एक उच्च गलनांक होता है, इसलिए इसे आसानी से तला या ग्रिल किया जा सकता है। पुरातत्वविदों का मानना है कि यह एक ऐसा पनीर है जिसका उपयोग मांस के विकल्प के रूप में किया जा सकता है। इसके टेस्ट को लेकर कहा जाता है कि यह थोड़ा नमकीन स्वाद में होता है।
दावा किया है रहा है कि खुदाई में पनीर वाले मिट्टी के बर्तनों के अलावा कई अन्य कंटेनर भी मिले हैं। हालाँकि, अभी उन कंटेनर्स को नहीं खोला गया है। लेकिन, जल्द ही इन्हें भी खोला जाएगा। मिस्र की सर्वोच्च पुरातत्व परिषद के महासचिव डॉ मुस्तफा वज़ीरी का कहना है कि प्राचीन मिस्र के लोग हल्लौमी पनीर को ‘हराम’ कहते थे। लेकिन, कॉप्टिक काल के दौरान नाम बदलकर ‘हलौम’ हो गया और अंततः ‘हॉलौमु पनीर’ बन गया।
गौरतलब है कि, मिस्र के सक्कारा क़ब्रिस्तान में मिट्टी के बर्तनों से मिला पनीर अब तक का सबसे पुराना नहीं है। 2018 में शोधकर्ताओं को पाथम्स के कब्रिस्तान में एक ‘ठोस सफेद पनीर’ मिला था। वह 3200 साल पुराना था। उस पनीर को दुनिया का सबसे पुराना पनीर कहा गया था और उसके टेस्ट करने को लेकर चर्चा भी चल रही थी। हालाँकि, एक्सपर्ट्स ने उस पनीर को टेस्ट न करने की सलाह दी थी। एक्सपर्ट्स का मानना था कि यह पनीर गंभीर बीमारियों से घिरा हुआ हो सकता है इसलिए इसे खाना किसी के लिए भी ठीक नहीं होगा।
बता दें, हाल ही में मिस्र में एक प्राचीन सूर्य मंदिर की भी खोज हुई थी। इस मंदिर को करीब 4500 साल पुराना बताया जा रहा है। पुरातत्वविदों ने मंदिर से मिले अवशेषों को देखकर यह अनुमान लगाया गया था कि यह एक सूर्य मंदिर है जो प्राचीन मिस्र के पांचवे साम्राज्य (2465 से 2323 BC) के बीच का हो सकता है। इससे पहले भी मिस्र में ऐसे कुछ अवशेष मिले थे, जिन्हें भी सूर्य मंदिर कहा जा रहा था