फिल्म आदिपुरुष (Adipurush) में सैफ अली खान (Saif ali Khan) के लुक पर खड़े हुए विवाद में अब रामायण धारावाहिक में सीता का रोल निभाने वाली दीपिका चिखलिया का भी बयान आया है। उन्होंने कहा है कि अगर फिल्म में दिखाया गया रावण लंका का है तो उसको मुगलों जैसा नहीं दिखना चाहिए। दीपिका के मुताबिक, फिल्म के टीजर में सैफ अली खान रावण जैसे नहीं लग रहे हैं। उन्होंने कहा कि फिल्म की कहानी सच्चाई और सादगी पर आधारित होनी चाहिए।
आजतक के एक शो में दीपिका ने कहा कि आदिपुरुष के टीजर में सैफ अली खान का लुक रामायण के रावण से मेल नहीं खाता। उन्होंने कहा कि फिल्म सफल तभी होती है, जब उसके पात्र जो रोल निभा रहे हों वो वास्तव में उस रूप में दिखे। फिलहाल टीजर से फिल्म के आंकलन पर दीपिका ने कहा कि इससे फिल्म का आँकलन करना जल्दबाजी होगी।
दीपिका ने इसी बहस में आगे कहा कि अगर रावण श्रीलंका के हैं तो वो श्रीलंका के ही लगने चाहिए न कि किसी मुगल देश से। हिन्दू संगठनों द्वारा खड़े किए गए विवाद पर दीपिका ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी है, जो 30 सेकेंड के टीजर से शुरू हुआ है। उन्होंने कहा कि टीजर से फिल्म को तय नहीं किया जा सकता है, लेकिन उसमें जो दिख रहा है वो पारम्परिक रामायण से काफी अलग है।
सैफ अली के रोल पर दीपिका ने कहा कि अगर कोई ऐसा रोल निभा रहा हो, जिसे लोग अच्छे से जानते हों तो उसमें फिट होने में दिक्कत आती है। उन्होंने रामानंद सागर की रामायण को मील का पत्थर बताते हुए कहा कि भले ही हर साल एक रामायण सीरियल बनता हो, लेकिन लोग उसकी तुलना रामानंद सागर की ही रामायण से करते हैं।
दीपिका के मुताबिक, जैसे रामायण धारावाहिक के बाद उनके साथ-साथ अन्य कलाकारों की किरदार वाली पहचान जीवन भर बनी रही, वैसा फिल्म आदिपुरुष के कलाकारों के साथ होना सम्भव नहीं है। उन्होंने इसकी वजह बताते हुए कहा कि आदिपुरुष के कलाकार लोगों के जेहन में मेन स्ट्रीम अभिनय करने वालों के तौर पर हैं।
दीपिका चिखलिया ने कहा कि हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं के साथ सभी लोग कुछ ज्यादा ही छूट उठाने की कोशिश करते हैं। उन्होंने इसे बंद करने की माँग की। दीपिका ने कहा कि इसी छूट के नाम पर हिन्दुओं के आराध्यों की नग्न पेंटिंग तक बना दी जाती है।
रामायण और महाभारत को देश की धरोहर बताते हुए उन्होंने इसके खिलाफ होने वाली हरकतों को फ़ौरन रोकने की माँग की। दीपिका के मुताबिक, जिस प्रकार से सरकार के लिए संविधान है, वैसे ही आध्यात्म में भी है और वह है रामायण। कैसा बेटा होना चाहिए, कैसी बहू होनी चाहिए, किस तरह का जीवन जीना चाहिए… ये सब उसमें है। उन्होंने कहा कि अलग-अलग लोगों द्वारा लिखी रामायण में बहुत कम अंतर है, लेकिन उसको मुद्दा न बनाकर हमारे ग्रंथों का सम्मान सुरक्षित होना चाहिए।