कुछ दिनों पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें मुस्लिमों को रिझाने के लिए वो रिलायंस समूह के मुखिया मुकेश अम्बानी का घर ‘एंटीलिया’ को तुड़वाने की बात कर रहे थे। केजरीवाल और उनकी पार्टी ने इससे पहले भी रमजान के मौके पर मुस्लिम कर्मचारियों को 2 घंटे की छुट्टी देकर और ‘मुस्लिमों के मसीहा जनाब केजरीवाल’ के पोस्टरों के माध्यम से मुस्लिम तुष्टिकरण के भरपूर प्रयास किए हैं।
अम्बानी का घर भी वक़्फ़ बोर्ड की प्रॉपर्टी हैं , हमारी सरकार होती अम्बानी का घर तुड़वा देती । pic.twitter.com/BO3sWVnZ4C
— Tajinder Pal Singh Bagga (@TajinderBagga) September 27, 2022
लेकिन, ये प्रयास नए नहीं हैं। ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ आंदोलन एवं आम आदमी पार्टी (AAP) के शुरुआती दिनों में जब बाबा रामदेव, श्री श्री रविशंकर, साध्वी ऋतम्भरा, भाजपा एवं RSS के स्वयंसेवक अपना समर्थन अन्ना एवं केजरीवाल को दे रहे थे, तब मुस्लिमों ने केजरीवाल से दूरी बना रखी थी। उस समय भी केजरीवाल और उनकी टीम ने मुस्लिमों का समर्थन लेने के लिए अफलातून प्रयास किए, लेकिन मुस्लिमों की ओर से उन्हें धोखा ही मिला।
IAC मूवमेंट में कोर टीम के सदस्य रहे एवं आप आदमी पार्टी की नेशनल एग्जीक्यूटिव कमिटी के पूर्व सदस्य मयंक गाँधी ने अपनी पुस्तक ‘AAP & Down’ में आम आदमी पार्टी की परदे के पीछे की घटनाओं का उल्लेख किया है। इस पुस्तक के तीसरे अध्याय वे लिखते हैं, “जब IAC मूवमेंट आगे बढ़ रहा था, तब लोगों के बीच ऐसी धारणा बन रही थी कि IAC एक अल्पसंख्यक-विरोधी एवं प्रो-अपर क्लास हिन्दुओं का आंदोलन है। दुर्भाग्य से कोर कमिटी में एक भी विश्वसनीय मुस्लिम या पिछड़ी जातियों का नेता नहीं था।”
वो आगे लिखते हैं, “तब मैंने स्वामी अग्निवेश को कॉल किया और पूछा, यदि वे महाराष्ट्र से किसी राष्ट्रवादी मुस्लिम नेता को जानते हैं जो हमारे साथ जुड़ सके। तब स्वामी अग्निवेश ने एक मैगज़ीन के एडिटर जावेद आनंद के बारे में बताया। मैंने तुरंत ही जावेद से पूछा यदि वह कुछ अच्छे मुस्लिम नेताओं के नाम सुझा सकें। इसके दो दिन बाद, 14 अप्रैल 2011 को मैंने The Indian Express में उसी जावेद आनंद का सम्पादकीय पढ़ा जिसमें वह दावा कर रहा था कि मैं (मयंक गाँधी) मुस्लिमों को अच्छे और बुरे की श्रेणी में बाँट रहा हूँ। यह पढ़कर मैं हक्का-बक्का रह गया।”
दूसरा किस्सा 2014 के लोकसभा चुनाव का है, जब मयंक गाँधी ने महाराष्ट्र की नॉर्थ-वेस्ट मुंबई की सीट से आम आदमी पार्टी की ओर से चुनाव लड़ा था। मयंक लिखते हैं, “चुनाव प्रचार के दौरान मैं अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं के पास पहुँचा। मैंने उनको कहा कि आम आदमी पार्टी के पास मुस्लिम समुदाय के लिए तीन बेहतरीन एजेंडा हैं। एक, जिन मुस्लिम युवाओं को आतंकवाद के मामलों में फ्रेम किया गया है उनके केसेस को फ़ास्ट-ट्रेक में ले जाना और जो वास्तव में दोषी है उसे सा दिलवाना। दूसरा, गरीबी दूर करना और तीसरा, मुस्लिम नेताओं को पार्टी की निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल करना।”
मयंक बताते हैं कि मुस्लिम नेताओं द्वारा तीनों सुझावों का दिल खोल के स्वागत किया गया। लेकिन, चुनाव के ठीक एक दिन पहले, मुस्लिमों के लिए मस्जिदों एवं मदरसों से कॉन्ग्रेस को ही वोट देने के का फरमान जारी किया गया। जब परिणाम आए तो मयंक के चुनावी-क्षेत्र से शिवसेना जीत चुकी थी। दूसरे क्रम पर कॉन्ग्रेस थी और AAP के मयंक मात्र 50,000 के वोट के साथ चौथे क्रम पर थे। मयंक की जमानत भी जब्त हो चुकी थी।