Sunday, December 22, 2024
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शी जिनपिंग तानाशाह, उसको पद से हटाओ: चीन में लगे ‘राष्ट्रपति’ के खिलाफ नारे, भड़की वामपंथी सरकार ने आवाज दबाने के लिए दूतावास को थाने में बदला

ये नारे ज्यादातर सार्वजनिक बाथरूम में या स्कूलों के नोटिस बोर्ड पर लिखे देखे गए हैं। ऐसा ही एक नारा बीजिंग में चाइना फिल्म आर्काइव आर्ट सिनेमा के बाथरूम में लिखा मिला। उस पर लिखा था 'तानाशाही को खारिज करे'।

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) को तीसरे कार्यकाल के लिए चुने जाने से पहले एक शख्स ने राजधानी बीजिंग के एक पुल पर उनके विरोध में पोस्टर लगा दिया। पोस्टर में जिनपिंग की जीरो-कोविड पॉलिसी की आलोचना की गई थी। इसको लेकर अब चीन में और दुनिया भर में विरोध शुरू हो गया है। वहीं, चीन विरोध को दबाने के लिए दुनिया भर के देशों में स्थित अपने दूतावासों में पुलिस थाना और कोर्ट स्थापित कर रहा है।

बता देें कि 16 अक्टूबर को चीन के राष्ट्रपति के रूप में जिनपिंग को तीसरे कार्यकाल के चुना गया था। इसके शुरू होने से पहले 13-14 अक्टूबर को बीजिंग के सिटॉन्ग ब्रिज पर एक बैनर लगाया गया था, जिसमें उन्हें तानाशाह बताते हुए उन्हें राष्ट्रपति पद से हटाने की बात कही गई थी। अब यह बैनर चीन के सोशल मीडिया ग्रुप पर वायरल हो रहा है।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, VoiceofCN नाम से गुमनाम चीनी नागरिकों का एक समूह लोकतंत्र समर्थक इंस्टाग्राम अकाउंट चलाता है। इस ग्रुप ने कहा कि जिनपिंग को हटाने के वाले नारे चीन के कम-से-कम आठ शहरों में सामने आए हैं। इन आठ शहरों में शेन्ज़ेन, शंघाई, बीजिंग, ग्वांगझू के साथ-साथ हॉन्गकॉन्ग भी शामिल है।

दिलचस्प बात यह है कि ये नारे ज्यादातर सार्वजनिक बाथरूम में या स्कूलों के नोटिस बोर्ड पर लिखे देखे गए हैं। ऐसा ही एक नारा बीजिंग में चाइना फिल्म आर्काइव आर्ट सिनेमा के बाथरूम में लिखा मिला। उस पर लिखा था ‘तानाशाही को खारिज करे’।

इसके अलावा, विदेशों में रहने वाले चीनी नागरिक भी इस बैनर को खूब शेयर कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक शी जिनपिंग के खिलाफ ये नारे अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया और ताइवान के 200 से अधिक विश्वविद्यालयों में भी देखे गए। एक अमेरिकी विश्वविद्यालय में हाथ से लिखे नारे में कहा गया ‘हम चीन के लोग बिना किसी सेंसरशिप के अपनी मन की बात कहना चाहते हैं’।

उधर चीन ने लोगों की आवाज दबाने के लिए अपने दूतावासों एवं वाणिज्य दूतावासों में पुलिस चौकी खोला है। इसके साथ ही वहाँ कोर्ट भी संचालित करने का आदेश दिया गया, ताकि सरकार के खिलाफ किसी भी तरह की असहमति को दबाया जा सके।

इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म रिपोर्टिका की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन विदेशी धरती पर चीन की कॉम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की सरकार के खिलाफ आवाज को दबाकर वहाँ की लोकतांत्रिक मामलों में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रहा है।

जिस दिन जिनपिंग तीसरे कार्यकाल के लिए चुने गए, उसी दिन ब्रिटेन के मैनचेस्टर में हॉन्गकॉन्ग के लोकतंत्र समर्थक एक व्यक्ति को चीनी दूतावास में खींच लिया गया और उसे बुरी तरह पीटा गया। ब्रिटेन की संसद ने इस घटना को बेहद चिंताजनक बताया था। इस मामले को लेकर मैनचेस्टर पुलिस ने जाँच शुरू की है।

कंसुलेट ने अपने बचाव में कहा कि वह शख्स चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ अपमानजनक बैनर लहरा रहा था। बता दें कि बेल्ट एंड रोड इंनीशिएटिव (BRI) के तहत चीन ने कई देशों में लीगल सर्विस या कोर्ट स्थापित किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, यूके, स्पेन और इटली में ये कोर्ट है।

इसके पहले चीन यूक्रेन, फ्रांस, जर्मनी, यूके, स्पेन, कनाडा और आयरलैंड जैसे विकसित देशों सहित विभिन्न देशों में पुलिस स्टेशन खोल चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन स्टेशनों के जरिए चीन उन देशों के चुनावी प्रक्रिया को भी प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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