मुंबई (Mumbai) की एक विशेष अदालत ने 25 वर्षीय अबरार खान को एक नाबालिग लड़की को ‘आइटम’ कहने और उसका यौन उत्पीड़न करने का दोषी ठहराते हुए डेढ़ साल की सजा सुनाई है। अदालत ने कहा, “किसी लड़की को आइटम कहना और उसके बाल खींचना भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 के तहत दंडनीय अपराध है।”
स्पेशल जज एसजे अंसारी ने कहा, “किसी लड़की को आइटम कहना अपमानजनक है। इस शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर रोड साइड रोमियो लड़कियों को परेशान करने के लिए करते हैं। आइटम शब्द महिलाओं को सेक्सुअली ऑब्जेक्टिफाई करता है। यह महिलाओं के सम्मान के खिलाफ है।” जज ने जोर देकर कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए ऐसे अपराधों और अनुचित व्यवहार करने वाले रोड साइड रोमियो को सबक सिखाना जरूरी है। इस मामले में दोषी के प्रति कोई उदारता नहीं दिखाई जा सकती।
लाइव लॉ के मुताबिक, यह घटना 14 जुलाई 2015 की है। 16 वर्षीय छात्रा स्कूल से घर लौट रही थी, तभी मामले में दोषी ठहराए गए अबरार ने अपने दोस्तों के साथ उसका पीछा किया और उसके बाल खींचकर उससे पूछा, “क्या आइटम किधर जा रही हो?” फिर कहा, “ऐ आइटम सुन ना।” जब लड़की ने उसके व्यवहार पर आपत्ति जताई और उसे ऐसा न करने के लिए कहा तो वह उसे गालियाँ देने लगा। उसने लड़की से यह तक कह दिया कि वह उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती।
उसकी हरकतों से परेशान होकर लड़की ने 100 नंबर पर पुलिस को फोन किया। पुलिस के पहुँचने से पहले ही अबरार वहाँ से भाग गया था। उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, बाद में उसे अग्रिम जमानत मिल गई। बताया जा रहा है कि पीड़िता घटना से ठीक एक महीने पहले मुंबई के साकीनाका इलाके में शिफ्ट हुई थी। उसने पड़ोस में ही रहने वाले दोषी और उसके दोस्तों द्वारा उसका पीछा और छेड़खानी करने का आरोप लगाया था।
वहीं, अबरार के बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि उसके मुवक्किल पर झूठे आरोप लगाकर उसे फँसाया गया है। उन्होंने कहा कि अबरार और उसके दोस्त निर्दोष हैं। उन्हें इस मामले में इसलिए फँसाया गया, क्योंकि लड़की के माता-पिता उनके रिश्ते से नाखुश थे।
इस पर अदालत ने कहा कि पीड़िता और अबरार एक-दूसरे को जानते तक नहीं हैं। उस व्यक्ति ने नाबालिग लड़की के साथ जिस तरह का व्यवहार किया वह अनुचित है। जज ने कहा कि उसने जानबूझकर पीड़िता के बाल खींचे और उसे ‘आइटम’ कहकर बुलाया। जज ने अबरार खान को IPC की धारा 354 और पॉक्सो अधिनियम की धारा 12 के तहत दोषी ठहराया है।