दिल्ली एक बार फिर गैस चैंबर बन गया है। हर साल की तरह ही इस साल भी इसका ठीकरा हरियाणा और पंजाब के किसानों पर फोड़ा जा रहा है। प्रदूषण की इस खतरनाक स्थिति के लिए पराली जलाने को जिम्मेदार बताया जा रहा है।
पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार आने के बाद भी पराली जलाने को लेकर स्थिति में सुधार नहीं आया है। उलटे इस साल मामले बढ़ गए हैं। यह दूसरी बात है कि जब तक पंजाब में आप की सरकार नहीं बनी थी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस समस्या के निदान का फॉर्मूला अपने पास होने का दावा किया करते थे। लेकिन, हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के प्रयासों की वजह से पराली जलाने के मामलों में काफी कम आई है।
रिपोर्टों के अनुसार पंजाब में इस साल पराली जलाने के 24146 मामले सामने आए हैं। जो पिछले साल के मुकाबले 20 फीसदी ज्यादा हैं। वहीं हरियाणा में 3 नवंबर 2022 तक ऐसे 2377 मामले सामने आए थे। यह पिछले साल के मुकाबले 28 प्रतिशत कम है। पिछले छह वर्षों में हरियाणा पराली जलाने की घटनाओं में 55 प्रतिशत से अधिक की कमी लाने में सफल रहा है। ऐसी घटनाओं की संख्या 2016 में 15,686 थी, जो 2021 में घटकर 6,987 हो गई थी।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार खट्टर सरकार ने पिछले छह साल में जो कदम उठाए हैं उसके कारण यह मुमकिन हो पाया है। हरियाणा कृषि और किसान कल्याण विभाग ने पराली नहीं जलाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के मकसद से नकद पुरस्कार शुरू किए। उन्हें सब्सिडी दी।
राज्य के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने बताया कि किसानों को सरकार इस संबंध में जागरुक करने के साथ साथ इंसेंटिव और मशीनरी मुहैया करा रही है। पराली पर एमएसपी देने को लेकर एक कमेटी का गठन किया गया है। किसानों को प्रति एकड़ सात हजार रुपए देकर धान की जगह अन्य फसलों की खेती को लेकर प्रोत्साहित किया जा रहा है।
We are giving machines, incentives to the farmers & making them understand. We will give MSP on Parali and a committee has been formed for this. We are also giving Rs 7,000 per acre to farmers for sowing crops other than paddy: Haryana Agriculture Minister JP Dalal, in Chandigarh pic.twitter.com/kHeO9vexg4
— ANI (@ANI) November 4, 2022
करनाल के किसानों का कहना है कि इस साल जिले में पराली जलाने की घटनाओं में कमी बेलर प्रदान करने के कारण हुई है । बेलर फसल अवशेषों को कॉम्पैक्ट गांठों में करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मशीन है। किसानों इन्हें कारखाने, बायोमास संयंत्र, बॉयलर और इथेनॉल संयंत्र में बेचकर कमाई करते हैं और पराली जलाने की आवश्यकता नहीं होती ।
राज्य के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के महानिदेशक डॉ. हरदीप सिंह का कहना है कि पिछले साल तक 72770 से अधिक फसल अवशेष प्रबंधन मशीनें किसानों को दी गई थीं। इस वर्ष 7,146 मशीनें देने का लक्ष्य है। पराली को नष्ट करने के लिए छिड़काव करने के लिए 2.5 लाख एकड़ क्षेत्र के लिए पूसा डीकंपोजर कैप्सूल की 2.5 लाख से अधिक किट प्रदान की जा रही है।
हरियाणा के मुख्मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने ने सोमवार (31 अक्टूबर 2022) को एक प्रेस मीट में कहा था कि पराली जलाने के मुद्दे पर स्थायी समाधान के प्रयास में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान के अवशेष खरीदने के मामले में विचार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाई गई है।
इसके अलावा जो पराली जला रहे हैं उनसे भी राज्य सरकार सख्ती से निपट रही रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक पराली जलाने को लेकर 1041 चालान किए गए हैं। लगभग 26 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। अधिकारियों ने बताया कि कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद और करनाल उन जिलों में शामिल हैं जहाँ पराली जलाने को लेकर सबसे ज्यादा किसानों का चालान किया गया है।