तमिलनाडु में एक मंदिर के पुजारी को इस्लामी हमले नहीं होने की बात कहने पर पुलिस ने समन भेज दिया है। उन पर आरोप है कि ऐसा कहकर कि मूर्तियों पर अब इस्लामी हमले नहीं होते, उन्होंने साम्प्रदायिक वैमनस्य और नफरत भड़काने की कोशिश की है।
‘अब हमले नहीं होते तो विग्रह छिपाने का क्या औचित्य?’
श्रीविल्लीपुतुर स्थित श्री मानवाला मामुनिगळ जीयार मठ के पुजारी श्री सतगोप रामानुज जीयार स्वामी ने 22 जुलाई को कहा था कि उस मंदिर में मौजूद भगवान विष्णु के विग्रह आति वरदार को वापिस मंदिर के कुण्ड में रखने का कोई औचित्य नहीं है। यह परम्परा विग्रह को इस्लामी आक्रांताओं से बचाने के लिए शुरू की गई थी, और अब जबकि इस्लामी हमले नहीं होते, विग्रह को खतरा नहीं है, तो इस परम्परा को चालू रखने का कोई मतलब नहीं है।
तौहीद जमात के जिला सचिव ने की पुलिस से शिकायत
जीयार स्वामी के इस बयान में सामुदायिक घृणा बढ़ाए जाने की बात होने की शिकायत सईद अली ने पुलिस से की। उन्होंने यह शिकायत मुख्यमंत्री स्पेशल सेल के ऑनलाइन पोर्टल से की। सईद अली ऑल इंडिया तौहीद जमात की काँचीपुरम इकाई के सचिव हैं। उनकी शिकायत के आधार पर जीयार स्वामी को श्रीविल्लीपुतुर पुलिस स्टेशन में हाजिर होने का समन भेजा गया है।
48 दिन बाहर रहता है विग्रह, फिर 40 साल पानी में
अति वरदार विग्रह पेरुमल के नाम से जाने वाले भगवान विष्णु की 9 फ़ीट ऊँचा अंजीर की लकड़ी से बना विग्रह है (तमिल में अंजीर को आति कहते हैं)। 16वीं शताब्दी तक इसे मंदिर की गर्भ-गुड़ी (गर्भगृह) में पूजा जाता था।
जब इलाके में इस्लामी हमला शुरू हुआ तो मंदिर के अधिकारियों और पुजारियों (दत्तात्रेयों) ने चाँदी के बक्स में डालकर विग्रह को मंदिर के ही कुण्ड में छिपा दिया। सालों तक किसी को विग्रह के बारे में पता नहीं चला क्योंकि दोनों दत्तात्रेय बिना किसी को यह रहस्य बताए मर गए।
फिर देवराजा पेरुमल (भगवान विष्णु) की दूसरी मूर्ति बनाई गई और आति वरदार के विकल्प में उसी की पूजा होने लगी। फिर 1709 में जब किसी कारणवश मंदिर का कुण्ड खाली किया गया तो आति वरदार विग्रह बरामद हुआ। लेकिन तब मंदिर के अधिकारियों ने निर्णय लिया कि आति वरदार विग्रह 40 साल में एक बार ही 48 दिन के लिए मंदिर के कुण्ड से निकाल कर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए रखा जाएगा।
इस साल उस दर्शन-काल में लगभग 1 करोड़ लोगों ने आति वरदार के दर्शन चेन्नै से 90 किलोमीटर दूर स्थित काँचीपुरम के श्री वरदराजा पेरुमल मंदिर में किए। स्थानीय मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक सप्ताहांत पर तो श्रद्धालुओं को 10 से 12 घंटे तक भी इंतज़ार करना पड़ा, और कई दिन ऐसे रहे जब एक ही दिन में 3 लाख से अधिक श्रद्धालु विग्रह के दर्शनों के लिए जुटे।
इस अनोखे मंदिर में लोगों की अपार श्रद्धा है। यही वजह है कि भगवान अति वरदार भले ही 40 वर्ष तक जल समाधि में रहते हों, लेकिन पूरे साल इस मंदिर में भक्तों की भीड़ जुटती है। इससे पहले वर्ष 1979 में भगवान अति वरदान ने मंदिर के पवित्र तालाब से बाहर आकर भक्तों को दर्शन दिए थे।