पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम को आज गुरुवार (अगस्त 22, 2019) को सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया गया। सीबीआई ने आईएनएक्स मीडिया केस में पी चिदंबरम को 5 दिन के लिए कस्टडी में लेने की माँग की थी। सीबीआई ने अदालत में कहा कि कई ऐसे डाक्यूमेंट्स और जानकारियाँ हैं, जो चिदंबरम को कस्टडी में लेकर पूछताछ करने के बाद ही निकल सकती हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि पी चिदंबरम जाँच व पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे हैं, वह जवाब ही नहीं दे रहे हैं।
INX मीडिया मामले में पी. चिदंबरम को कोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट ने पी. चिदंबरम को 5 दिन की CBI रिमांड में भेज दिया है। इसके साथ ही अब 26 अगस्त तक पी. चिदंबरम सीबीआई की हिरासत में रहेंगे। वहीं परिवार के लोग हर रोज आधे घंटे के लिए पी. चिदंबरम से मुलाकात कर सकते हैं।
INX Media Case: Former Union Finance Minister #PChidambaram being taken from Court after the Court sent him to CBI custody till August 26. pic.twitter.com/0XNUsBalMA
— ANI (@ANI) August 22, 2019
इससे पहले हुई मामले की सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि इस मामले में पहली गिरफ्तारी पूर्व केंद्रीय मंत्री के बेटे कार्ति के चार्टर्ड अकाउंटेंट भास्कर रमन की हुई थी, जो अभी जमानत पर जेल से बाहर हैं। सिब्बल ने कहा कि उसके अलावा मामले के अन्य आरोपी पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी को भी जमानत मिल चुकी है लेकिन अन्य मामले में वे जेल में हैं।
सिब्बल ने कहा कि जमानत प्रदान करना एक नियम है और अदालत के समक्ष मुद्दा व्यक्तिगत स्वतंत्रता का है। पूछताछ के लिए चिदंबरम को 5 दिनों की हिरासत में सौंपे जाने की सीबीआई के माँग का विरोध करते हुए उन्होंने यह दलील दी थी।
Court says family members and lawyers are permitted to meet #PChidambaram for 30 minutes a day https://t.co/kXgdMn4Lwi
— ANI (@ANI) August 22, 2019
सुनवाई के दौरान मेहता ने दिल्ली हाईकोर्ट का जजमेंट पढ़ा, जिसमें लिखा है कि आईएनएक्स मीडिया केस मनी लॉन्ड्रिंग का एक क्लासिक उदाहरण है। इस जजमेंट को जस्टिस सुनील गौड़ ने लिखा था, जिन्होंने चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका ख़ारिज की थी। मेहता ने अदालत को बताया कि इस मामले में आरोपित का गंभीर और सक्रिय किरदार रहा है। सीबीआई को इस पूरे लेनदेन की जड़ तक पहुँचना है। मेहता ने जज के सामने केस की डायरी पेश की।
Custodial Interrogation is required to confront P Chidambaram with the relevant documents and other accused in the case to take the investigation further, Mehta#PChidambaram #INXMedia
— Bar & Bench (@barandbench) August 22, 2019
बता दें कि चिदंबरम पर वित्त मंत्री रहते आईएनएक्स मीडिया को एफआईपीबी से स्वीकृति दिलवाने के बदले रिश्वत लेने का आरोप है। उनके वकील कपिल सिब्बल ने अपनी दलील पेश करते हुए अदालत में कहा कि इस प्रक्रिया में भारत सरकार के 6 सचिव हिस्सा लेते हैं लेकिन किसी को भी गिरफ़्तार नहीं किया गया। सिब्बल ने इस बात पर आपत्ति जताई कि एफआईआर 10 वर्षों के बाद दर्ज किया गया। उन्होंने वादा किया कि जब भी पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा, पी चिदंबरम हाजिर हो जाएँगे।
Serious, active and informed role of the accused is made out from the case diary.., there is money trail.. that needs to be probed into, Mehta.
— Bar & Bench (@barandbench) August 22, 2019
Places the case diary before the CBI Judge. #PChidambaram
सिब्बल ने दावा किया कि सीबीआई को जो सवाल चिदंबरम से पूछने थे, वह पूरी तरह से तैयार नहीं हैं और चिदंबरम ने हर सवाल का जवाब दिया है। सिब्बल ने ‘उस तरीके’ पर आपत्ति जताई, जिससे चिदंबरम के ख़िलाफ़ केस चला और उन्हें गिरफ़्तार किया गया। वहीं अभिषेक मनु सिंघवी की आपत्ति इस बात को लेकर थी कि 2018 में इन्द्राणी मुखर्जी का बयान रिकॉर्ड करने के 4 महीने बाद चिदंबरम को पूछताछ के लिए बुलाया गया। उन्होंने कहा कि इन्द्राणी को अप्रूवर बना दिया गया है ताकि चिदंबरम को कस्टडी में लिया जा सके।
अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत में कहा कि भारत सरकार के जिन 6 सचिवों ने एफआईपीबी अप्रूवल दिया, उनमें से एक आगे जाकर रिज़र्व बैंक का गवर्नर बना। सिंघवी ने एक सुप्रीम कोर्ट जजमेंट का हवाला देते हुए कहा कि कस्टडी की माँग तभी की जाती है जब जाँच एजेंसी को लगे कि कस्टडी में लिए बिना आगे की जाँच प्रक्रिया पूरी करनी असंभव है।
सुनवाई के दौरान आरोपित पी चिदंबरम इस बात पर अड़ गए कि उन्हें भी कुछ बोलना है। सीबीआई की आपत्ति के बाद सिंघवी ने एक जजमेंट पढ़ा, जिसके अनुसार आरोपित ख़ुद का प्रतिनिधित्व कर सकता है।
We are here dealing with an accrued who has tremendous potential of not answering, not cooperating, Mehta.
— Bar & Bench (@barandbench) August 22, 2019
Karti was arrested and remanded to custody and released on regular bail, Mehta#PChidambaram
सॉलिसिटर जनरल ने कहा की जाँच एजेंसी दिमाग वाले लोगों से डील कर रही है और ऐसे में इस केस की जड़ तक पहुँचना ज़रूरी है। हालाँकि, सिब्बल ने कहा कि वे नहीं चाहते कि चिदंबरम से पूछे जाने वाले सवाल सार्वजनिक हों, लेकिन वो सवालों की प्रमाणिकता की पुष्टि चाहते हैं।