Monday, November 18, 2024
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पहले तिरुपति का तिरुमाला, अब विजयवाड़ा का कनक दुर्गा मंदिर: CJI चंद्रचूड़ ने की पूजा, CM जगन मोहन ने भेंट की भगवान बालाजी की तस्वीर

कनक दुर्गा मंदिर विजयवाड़ा में कृष्णा नदी के किनारे इंद्रकीलाद्री पहाड़ की चोटी पर स्थित प्राचीन मंदिर है। यह प्रतिमा स्वयंभू बताई जाती है। श्रद्धालु यहाँ विशेष प्रकार की पूजा का आयोजन करते हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव की कठोर तपस्या करने के बाद अर्जुन को यहीं पर शक्तिशाली अस्त्र पाशुपत की प्राप्ति हुई थी।

देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने गुरुवार (29 दिसंबर 2022) को आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा स्थित कनक दुर्गा देवी मंदिर (Kanaka Durga Devi Temple) में पूजा-अर्चना की। सोशल मीडिया पर उनका वीडियो भी वायरल हो रहा है।

वीडियो में CJI कनक दुर्गा देवी मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस दौरान उप-मुख्यमंत्री एवं प्रभारी मंत्री कोट्टू सत्यनारायण, बंदोबस्ती आयुक्त हरि जवाहर लाल और मंदिर के कार्यकारी अधिकारी डी भ्रामराम्बा ने उनका स्वागत किया। मंदिर में देवी के दर्शन और पूजा करने के बाद पुजारियों ने उन्हें आशीर्वाद दिया और प्रसाद भेंट किया।

इससे पहले बुधवार (29 दिसंबर 2022) को CJI जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और उनकी पत्नी कल्पना दास तिरुपति के तिरुमाला मंदिर गए थे। वहाँ दोनों ने भगवान बालाजी और श्री भू वराह स्वामी की पूजा-अर्चना की थी। इसके अलावा, उन्होंने वेंकटरास्वामी का भी दर्शन किया था।

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के अध्यक्ष वाईवी सुब्बारेड्डी और टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी अनिल कुमार सिंघल ने उनका स्वागत किया था। वहीं, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने होटल में सीजेआई चंद्रचूड़ से मुलाकात की थी। उन्होंने जस्टिस चंद्रचूड़ को भगवान बालाजी की मूर्ति भी भेंट की।

कनक दुर्गा मंदिर

कनक दुर्गा मंदिर विजयवाड़ा में कृष्णा नदी के किनारे इंद्रकीलाद्री पहाड़ की चोटी पर स्थित प्राचीन मंदिर है। यह प्रतिमा स्वयंभू बताई जाती है। श्रद्धालु यहाँ विशेष प्रकार की पूजा का आयोजन करते हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव की कठोर तपस्या करने के बाद अर्जुन को यहीं पर शक्तिशाली अस्त्र पाशुपत की प्राप्ति हुई थी।

यह भी कहा जाता है कि इसके बाद अर्जुन ने देवी के सम्मान में मंदिर का निर्माण करवाया था। इसके अलावा यहाँ आदि शंकराचार्य ने भी भ्रमण किया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, श्रद्धालुओं द्वारा यहाँ सालाना 40 करोड़ रुपए से भी अधिक का चढ़ावा चढ़ाया जाता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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