केरल के मंत्री और वामपंथी नेता एमबी राजेश (MB Rajesh) ने आदि गुरु शंकराचार्य को लेकर विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि ‘शंकराचार्य मनुस्मृति पर आधारित क्रूर जाति व्यवस्था के समर्थक थे। केरल के वर्कला स्थित शिवगिरि मठ के एक कार्यक्रम के दौरान राजेश ने यह बयान दिया। राजेश दरअसल श्री नारायण गुरदेव और शंकराचार्य की तुलना कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने शंकराचार्य को जाति व्यवस्था का पक्षधर बता दिया।
Adi Shankaracharya was advocate of a “cruel caste system”, claims Kerala Minister
— ANI Digital (@ani_digital) January 3, 2023
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राजेश ने अपने बयान में कहा कि आदि गुरु शंकराचार्य जातिवादी व्यवस्था के पक्षधर थे। उन्होंने कहा कि बहुत सारे लोग समाज में जाति व्यवस्था का शिकार बने और इसके लिए शंकराचार्य भी जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर श्री नारायण गुरु ने जाति व्यवस्था को खत्म करने का काम किया। उन्होंने कहा कि इस मामले पर श्री नारायण गुरु ने शंकराचार्य की आलोचना भी की थी। मंत्री ने इसके साथ ही कहा कि केरल में अगर कोई आचार्य हैं तो वह श्री नारायण गुरु हैं, न कि शंकराचार्य।
वहीं भाजपा नेता और केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने राजेश के बयान की निंदा की है। उन्होंने कहा कि वेदांत दार्शनिक आदि शंकराचार्य और संत व समाज सुधारक श्री नारायण गुरु दोनों देश के एक ही परंपरा के थे। उन्होंने कहा कि राजेश हिंदू धर्म में विभाजन पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राजेश के बयान की निंदा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि उनका बयान प्राचीन भारतीय परंपराओं और दर्शन के प्रति कम्युनिस्टों की असहिष्णुता को दर्शाता है। इसे झूठा प्रचार करार देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सौ कम्युनिस्टों के घोषणापत्र भी आदि शंकराचार्य और श्री नारायण गुरु द्वारा प्रचारित दर्शन से मेल नहीं खा सकते।
उन्होंने दावा किया कि भक्तों ने स्वामी चिदानंदपुरी की शिक्षाओं से महसूस किया है कि शंकराचार्य के विजन का अन्य भारतीय संन्यास परंपराओं से कोई लेना-देना नहीं है। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पंडित एस चिदानंदपुरी स्वामी ने हाल ही में शंकराचार्य और श्री नारायण गुरुदेव के कार्यों में समानता का उल्लेख किया था और दोनों को एकसमान बताया था। उनके बयान से कथित तौर पर वामपंथी नाराज हो गए थे, जिसके चलते राजेश ने बयान दिया।
बता दें कि आदि शंकराचार्य ने अद्वैत वेदांत के ज्ञान और दर्शन को प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भगवद्गीता, उपनिषद और ब्रह्मसूत्र के सिद्धांतों को भी बताया। उन्हें एक दार्शनिक के रूप में जाना जाता है। एकता और आध्यात्मिकता पर दिए गए उनके ज्ञान को लोग आज भी सराहते हैं।