मध्य प्रदेश के इंदौर में 8 जनवरी से 10 जनवरी, 2023 तक ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ मनाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार 9 जनवरी, 2023 को प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का उद्घाटन किया और प्रवासी भारतीयों को संबोधित भी किया। मंगलवार (10 जनवरी, 2023) को प्रवासी भारतीय दिवस सम्मान समारोह के बाद समापन सत्र आयोजित किया गया। इस सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने की। सरकार की तरफ से जानकारी दी गई है कि सम्मेलन के लिए लगभग 70 देशों के 3500 से ज्यादा प्रवासी सदस्यों ने पंजीकरण कराया है। इनमें सबसे ज्यादा 800 प्रवासी भारतीय मॉरीशस से आए हैं।
मॉरीशस हिंद महासागर के तट पर अफ्रीका महाद्वीप में स्थित एक खूबसूरत द्वीपीय देश है। मॉरीशस में 52 प्रतिशत लोग हिंदू हैं। ऐसे तो मॉरीशस में हिंदुस्तान के लगभग हर हिस्से के लोग हैं लेकिन सबसे ज्यादा भोजपुरी बेल्ट के लोग रहते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मॉरीशस में भारतीय मजदूरों को झूठ बोलकर यहाँ बसाया गया था। प्रवासी भारतीय सम्मेलन में हिस्सा लेने इंदौर पहुँचे मॉरीशस के लोगों ने ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत करते हुए एक बार फिर से उन कहानियों को याद किया।
मॉरीशस के लोगों ने बताया कि उनके पूर्वजों से कहा गया कि आपको ऐसी जगह ले जा रहे हैं, जहाँ मिट्टी खोदने पर सोना निकलता है। लेकिन जब वे इस द्वीप पर पहुँचे तो उन्हें खेती समेत छोटे-मोटे कामों में लगा दिया गया। मॉरीशस में रहने वाले प्रवासी भारतीय और आर्य सभा के प्रचारक पंडित गुरुदेव चतुरी का कहना है कि झूठ बोलकर मजदूरी के लिए लाए गए उनके पूर्वज अंग्रेजों के अत्याचार सहने के बाद भी अपना धर्म नहीं बदले बल्कि उन्होंने अपनी भाषा और संस्कृति बचा कर रखी। उसी का परिणाम है कि आज हम बेहतर स्थिति में हैं।
मॉरीशस की महिला पुरोहित (पंडिताई) करने वाली पुनिता प्रिया के पूर्वज भी बिहार से मॉरीशस ले जाए गए थे। वे बताती हैं कि उनके पूर्वज यहाँ मजदूरी करते थे। पूर्वजों की मेहनत का फल हमें सूद समेत मिल रहा है। मॉरीशस से प्रवासी भारतीय सम्मेलन में शिरकत करने पहुँची वकील प्रिना चियातिलक द्वीप में बसी छठी पीढ़ी हैं। उनके भी पूर्वज को मिट्टी खोद कर सोना निकालने वाला झाँसा दिया गया था। मॉरीशस की समाजसेवी गायत्री रामचरण शम्भू के पूर्वज भी बिहार से मॉरीशस ले जाए गए थे।
मॉरीशस में बसी अपने खानदान की वो चौथी पीढ़ी हैं। उन्होंने जानकारी दी कि उनके पूर्वज मॉरीशस में खेतों में मजदूरी करते थे। उनके पूर्वजों से भी पत्थर खोदकर सोना निकालने का प्रलोभन दिया गया था? मॉरीशस में इंश्योरेंस कंपनी चलाने वाली कविता रामफल के परदादा बिहार से मॉरिशस गए थे। उन्हें भी अंग्रेजों की यातना सहनी पड़ी लेकिन उसी मॉरीशस में आज कविता बेहतर जिंदगी गुजार रही हैं। मॉरीशस से इंदौर आए 21 वर्षीय नेवरियन परियाचिपा के पूर्वज दक्षिण भारत से थे। नेवरियन तबला बजाते हैं। दिल्ली और चेन्नई में वे अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं।
मॉरीशस के डॉ.उदयनारायण गंगू का कहना है कि भारत से मजदूर बनकर मॉरीशस पहुँचे लोगों के बच्चों को जब पढ़ाई का अधिकार मिला तो इसका फायदा उठाकर वे लोग देश के बड़े पदों पर नियुक्त हुए। जज, वकील, डॉक्टर, इंजीनियर यहाँ तक की मंत्री पद तक हासिल किया। उन्होंने बताया कि 1968 में मॉरीशस को आजादी मिलने के बाद से 2003 और 2005 को छोड़ दें तो स्वतंत्रता के बाद से अभी तक हिन्दू ही प्रधानमंत्री रहे हैं। डॉ. गंगू का कहना है कि मॉरीशस में हिंदुओं का ही वर्चस्व है।