ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं। अधिकारों के लिए महिलाएँ बीते 5 महीनों से सड़कों पर हैं। इस बीच ईरान में खेले गए फज्र इंटरनेशनल चैलेंज बैडमिंटन टूर्नामेंट में भारतीय महिला खिलाड़ी तान्या हेमंत को हिजाब पहनने के लिए मजबूर करने का मामला सामने आया है। तान्या ने टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक अपने नाम किया है। लेकिन हिजाब पहनने के बाद ही उन्हें मेडल दिया गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कर्नाटक की रहने वाली तान्या हेमंत ने फज्र इंटरनेशल चैलेंज बैडमिंटन टूर्नामेंट के फाइनल में गत विजेता और हमवतन खिलाड़ी तसनीम मीर को मात दी थी। इस जीत के साथ उन्होंने महिला सिंगल्स में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। लेकिन स्वर्ण पदक जीतने के बाद आयोजकों ने उन्हें हिजाब पहनने के लिए कहा। इसके बाद ही वह पदक लेने के लिए पोडियम पर जा सकीं। तान्या हेमंत ने यह मैच सीधे सेटों में 21-11, 21-7 से जीता था।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि आयोजकों ने साफ तौर पर यह कहा था कि पदक जीतने वाली महिलाओं को हर हाल में हिजाब पहनना होगा। हालाँकि इस टूर्नामेंट की नियमावली में ड्रेस कोड का कोई जिक्र नहीं था। सूत्रों ने यह भी कहा है, “टूर्नामेंट के नियमों में ड्रेस कोड को लेकर जो बात कही गई थी वह आम कपड़े हैं। दुनिया भर में जहाँ भी बैडमिंटन खेला जाता है, वहाँ विश्व बैडमिंटन महासंघ द्वारा निर्धारित किए गए कपड़े पहने जाते हैं। हालाँकि हम जानते थे कि ईरान में महिलाओं को घर से बाहर निकलने पर हिजाब पहनना जरूरी है। लेकिन इस टूर्नामेंट में हिजाब पहनने को लेकर कोई भी बात नहीं कही गई थी।”
गौरतलब है कि इस टूर्नामेंट में महिला खिलाड़ियों को अपने मैच के दौरान हिजाब पहनने जैसी कोई पाबंदी नहीं थी। लेकिन मैच के दौरान किसी भी पुरुष का स्टेडियम में प्रवेश वर्जित रखा गया था। यानी कोई भी पुरुष महिलाओं को खेलते हुए नहीं देख सकता था।
इसको लेकर स्टेडियम के गेट पर एक स्टीकर भी लगाया गया था। इस स्टीकर में लिखा हुआ था, पुरुषों का प्रवेश वर्जित है। यही नहीं महिला खिलाड़ियों के पुरुष कोच और फिर उनके पिता को भी स्टेडियम में प्रवेश नहीं करने दिया गया। इन तमाम बातों के बीच एक और दिलचस्प बात यह थी कि टूर्नामेंट में पहली बार मिश्रित युगल (मिक्स डबल) को शामिल किया गया था। इसमें महिला और पुरुष एक टीम की तरह साथ में खेलते हैं।
हालाँकि मिश्रित युगल वाले मैचों में भी दर्शक के तौर पर केवल महिलाओं को ही प्रवेश दिया जा रहा था। यही नहीं, टूर्नामेंट के जिन मैचों में महिलाएँ भाग ले रहीं थीं वहाँ रेफरी से लेकर सभी छोटे-बड़े अधिकारी महिलाएँ ही थीं।