Thursday, May 16, 2024
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पादरी के साथ सेक्स किया या नहीं… 30 साल पुराने सिस्टर सेफी के ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ मामले पर दिल्ली HC का फैसला

दिल्ली कोर्ट ने कहा कि किसी महिला पर वर्जिनिटी टेस्ट करना असंवैधानिक, सम्मान से जीने के उसके अधिकार का हनन है। कोर्ट ने साथ ही इस प्रथा को 'सेक्सिस्ट' और अमानवीय गतिविधि करार दिया। कोर्ट ने यह भी पाया कि इस टेस्ट को लेकर कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने महिलाओं की ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ को लेकर मंगलवार (7 फरवरी 2023) को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि किसी महिला पर वर्जिनिटी टेस्ट करना असंवैधानिक, सम्मान से जीने के उसके अधिकार का हनन है। कोर्ट ने साथ ही इस प्रथा को ‘सेक्सिस्ट’ और अमानवीय गतिविधि करार दिया। कोर्ट ने यह भी पाया कि इस टेस्ट को लेकर कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं है।

जस्टिस स्वर्णकांत शर्मा ने यह आदेश पारित किया। वह इस संबंध में सिस्टर सेफी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। सिस्टर सेफी ने सिस्टर अभया की हत्या के मामले में उनके साथ किए गए वर्जिनिटी टेस्ट को असंवैधानिक करार देने की माँग की थी। सिस्टर अभया की हत्या 1992 में कर दी गई थी।

जस्टिस कांत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, ”यह स्पष्ट है कि किसी भी महिला बंदी या आरोपित के साथ वर्जिनिटी टेस्ट करना असंवैधानिक है। चाहे महिला के खिलाफ कोई जाँच चल रही हो या वह पुलिस या न्यायिक हिरासत में हो। यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है, जिसके अंतर्गत सम्मान के साथ जीने का अधिकार मिलता है।”

हाईकोर्ट ने आगे कहा कि हर इंसान का मौलिक अधिकार बनाए रखना जरूरी है। इस केस में उसका उल्लंघन हुआ है। इसलिए सिस्टर सेफी मामले में मौलिक अधिकार के हनन के आधार पर संबंधित प्राधिकरण से मुआवजे की माँग कर सकती है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि वर्ष 2008 में सीबीआई ने केस में जाँच के नाम पर उसके साथ जबरन ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ किया था और इसके नतीजे को लीक कर दिया गया था।

कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं के खिलाफ ‘टू फिंगर टेस्ट’ या ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ पर रोक लगा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे महिलाओं के सम्मान के साथ जीने के अधिकार का हनन, निजता का हनन माना था। ऐसे में इस मामले में दो अलग-अलग तरह के विचार नहीं हो सकते।

क्या है मामला

मामला सिस्टर अभया की हत्या से जुड़ा हुआ है। 18 साल की उम्र में 27 मार्च 1992 को वह केरल के कोट्‌टायम के सेंट पियस एक्स कॉन्वेंट हॉस्टल के कुएं में मृत पाई गई थीं। मामला पहले केरल पुलिस के पास था और पुलिस ने इसे शुरुआत में आत्महत्या करार दिया था। बाद में सीबीआई ने मामले की जाँच की। जाँच के दौरान पता चला कि सिस्टर सेफी ने सिस्टर अभया की हत्या की थी और सबूत मिटाने में फादर कोट्‌टूर और फादर जोस पूथरुकायिल ने उनका साथ दिया था। सेफी और फादर कोटटूर को सीबीआई की विशेष अदालत ने दिसंबर 2020 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालाँकि केरल हाईकोर्ट ने इस सजा पर रोक लगा दी थी। 2022 में हाईकोर्ट ने इन्हें बेल भी दी थी।

दरअसल मामले में सीबीआई ने वर्ष 2009 में चार्जशीट दाखिल की थी। चार्जशीट के अनुसार, CBI जाँच में सामने आया था कि अभया ने सेफी, कोट्‌टूर और जोस पूथरुकायिल को आपत्तिजनक हालत में देख लिया था। इसे छिपाने के लिए सेफी ने कुल्हाड़ी से अभया की हत्या कर दी थी। फिर तीनों ने लाश को कुएँ में फेंक दिया था। मामले में यौन गतिविधि की पुष्टि के लिए CBI ने सिस्टर सेफी का वर्जिनिटी टेस्ट कराया था। इस टेस्ट के रिजल्ट के आधार पर कोर्ट ने जाँच को सही माना था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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