बॉलीवुड के मशहूर एक्टर नसीरुद्दीन शाह अपने ताजा बयान के कारण एक बार फिर से विवादों में हैं। इससे पहले उन्होंने यूपी के बुलंदशहर कांड का जिक्र कर हिंदुस्तान में डर लगने जैसा बयान देकर देश विरोधी एजेंडे को हवा दी थी। उनके बयान का एक ऐसा ही वीडियो दोबारा सामने आया है, जो देश के खिलाफ इंटरनेशनल साज़िश की ओर इशारा कर रहा है। जिसे एमनेस्टी इंटरनेशनल ने हाथों-हाथ लिया।
भारत में धर्म के नाम पर घृणा की दीवार एक बार फिर खड़ी हो गई है। जो अन्याय के खिलाफ हैं उन्हें दण्डित किया जा रहा है। जो अधिकार माँग रहे हैं उन्हें जेलों में डाला जा रहा है। कलाकारों, अभिनेताओं, विद्वानों, कवियों को डराया जा रहा है। पत्रकारों को बोलने से रोका जा रहा है।
नसीरुद्दीन शाह
साथ ही उन्होंने ये भी कहा, “जो अन्याय के ख़िलाफ़ लड़ रहे हैं, उनके ऑफ़िसों पर छापे डाले जा रहे हैं, उनके लाइसेंस रद्द किये जा रहे हैं, उनके बैंक अकाउंट फ्रीज़ किये जा रहे हैं।”
उनका ये बयान एक तरह से ‘अर्बन नक्सल’ का खुला समर्थन है।
In 2018, India witnessed a massive crackdown on freedom of expression and human rights defenders. Let’s stand up for our constitutional values this new year and tell the Indian government that its crackdown must end now. #AbkiBaarManavAdhikaar pic.twitter.com/e7YSIyLAfm
— Amnesty India (@AIIndia) January 4, 2019
नसीरुद्दीन शाह का यहाँ तक कहना है, “आज जहाँ हमारा देश खड़ा है, वहाँ असहमतियों के लिए कोई जगह नहीं है। देश में केवल अमीरों और ताक़तवर लोगों को सुना जा रहा है। गरीब और वंचित कुचले जा रहे हैं। जहाँ कभी न्याय हुआ करता था वहाँ अब केवल अंधकार है।”
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने उनके बयान को #AbakiBaarManavAdhikaar हैशटैग के साथ न सिर्फ ट्वीट किया बल्कि ये दावा भी किया कि ‘भारत में फ्रीडम ऑफ़ स्पीच को दबाया जा रहा है। और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं को डराया जा रहा है।’
देश में एक बार फिर नसीरुद्दीन शाह के बयान की आड़ लेकर विपक्षियों, छिपे ‘अर्बन नक्सल’ और वामपंथी गिरोहों के द्वारा फ़र्ज़ी डर और असहिष्णुता का माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है।
इससे पहले भी नसीरुद्दीन शाह का नाम देश-विरोधी बयानबाज़ी में शामिल रहा है। यूँ तो उनके कथनानुसार 2014 में मोदी के प्रति उन्होंने गहरा विश्वास जताया था, लेकिन तब की उनकी गतिविधि देखी जाए (तस्वीर देखें) तो उनके ‘गहरे विश्वास’ का मतलब समझ में आ जाता है। हम सोचने पर मज़बूर हैं कि अब ऐसा क्या हो गया है जो अतिसुरक्षित होने के बावजूद भी उन्हें इस देश में डर लग रहा है। कहीं इसके पीछे आने वाले चुनाव से पहले फिर से फ़र्ज़ी असहिष्णुणता का माहौल बनाने की कोई साज़िश तो नहीं!
नसीरुद्दीन शाह एक कलाकार हैं उन्हें स्क्रिप्ट के आधार पर बोलने की आदत है। इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि उनका ताज़ा बयान एमनेस्टी से पैसे लेकर उसके द्वारा गढ़ी गई फ़र्ज़ी स्क्रिप्ट पढ़कर देश का माहौल ख़राब करने और विरोधियों को फ़र्ज़ी मुद्दा थमाने का हो।
चलते-चलते ये सूचना भी देता चलूँ कि नसीर जी की पिछले 7 सालों में 35 फ़िल्मों को बॉक्सऑफिस इंडिया पर ‘डिज़ास्टर’ की रेटिंग मिली है जो कि ऐसे महान अदाकार को लेकर देश के जनता की असहिष्णुता ही कही जा सकती है। ‘उह ला ला’ इनका आख़िरी हिट गाना है।