अमेरिका और चीन के मध्य विभिन्न मसलों को लेकर चल रही जंग के बीच अब दोनों देशों के बीच एक अन्य मसले पर भी ठन सकती है। दरअसल, अमेरिका ने चीन के उइगुर मुस्लिमों के लिए यूएन की जनरल असेंबली में समर्थन हासिल करने की घोषणा की है। इस कदम से अमेरिका एक बार फिर से चीन को घेरने की कोशिश करेगा। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने इसकी जानकारी दी।
पॉम्पियो ने कहा कि सितंबर के तीसरे सप्ताह में होने वाली यूएन की जेनरल एसेंबली में इस बात को रखेंगे। इसके साथ ही उन्होंने कई और सभाएँ करने की बात कही। उन्होंने कहा कि इन सभाओं में वो बाकी देशों से इस मामले में संपर्क करेंगे और समर्थन हासिल करने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि वो चीन को इस अमानवीय कृत्य को रोकने में अन्य देशों से मदद माँगेंगे।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि चीन में उइगुर मुस्लिमों को सामूहिक रूप से कैद में रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से उइगरों के साथ बर्ताव कर रहा है, वह दुनिया पर बदतरीन धब्बा है। उन्होंने इस मसले को चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा से इतर बताया। उन्होंने कहा कि इस मामले में उन्हें अब तक कुछ सफलता मिली है, लेकिन वह पर्याप्त नहीं है और यह प्रक्रिया अभी भी चल रहा है।
पॉम्पियो ने कहा कि यूँ तो चीन के साथ उनकी बहुत सारी चुनौतियाँ हैं, लेकिन फिलहाल वो उइगुर मुस्लिमों की आजादी चाहते हैं, उन लोगों को मौलिक अधिकार दिलाना चाहते हैं, जिससे वो लोग वंचित हैं। साथ ही उन्होंने उन चीनी दावों को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि शिविर धार्मिक चरमपंथ से प्रभावित लोगों को शिक्षित करने और बचाने के लिए लगाए गए थे।
गौरतलब है कि चीन ने व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों को उइगरों के किसी भी दुर्व्यवहार से लगातार इनकार किया है, जो कहते हैं कि यह चरमपंथ और हिंसा का मुकाबला करने में बेहद सफल रहा है। हाल ही के वर्षों में बीजिंग द्वारा इस्लामवादियों और चरमपंथियों पर लगाए गए आरोप के बाद झिंजियांग में फैली अशांति में सैकड़ों लोग मारे गए। अधिकार समूहों और निर्वासन का कहना है कि हिंसा उइगुर लोगों के चीन के दमन के खिलाफ एक प्रतिक्रिया है।