आईएएस बी. चंद्रकला वो शख़्स हैं, जो हमेशा से ही अपने तेज-तर्रार रवैये की वज़ह से खबरों में आती रहती हैं। कभी अपने फैसलों को लेकर तो कभी अपने एक्शन को लेकर, लेकिन इस बार वो जिस कारण खबरों में आई हैं, वो उनकी छवि पर सवालिया निशान लगा सकता है।
आज शनिवार (5 जनवरी 2019) की सुबह लखनऊ में उस समय बवाल मच गया, जब सीबीआई का छापा आईएएस बी चंद्रकला के हुसैनगंज स्थित सफायर अपार्टमेंट पर पड़ा। ये छापेमारी अवैध खनन रखने के आरोप में की गई। सीबीआई ने ये जाँच की कार्रवाई हाई कोर्ट के आदेश पर की। इस छापेमारी के दौरान सीबीआई ने महिला आईएएस के घर से कई महत्त्वपूर्ण काग़ज़ात ज़ब्त किए हैं।
एक तरफ जहाँ सीबीआई की एक टीम सफायर अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 101 में छापेमारी कर रही थी, वहीं सीबीआई की दूसरी टीम हमीरपुर में 2 बड़े व्यवसायियों के निवास स्थान पर छापा मारा। इन दो बड़े व्यवसायियों का नाम रमेश मिश्रा और सत्यदेव दीक्षित हैं। ये दोनों ही शहर के दो बड़े मौरंग व्यापारी हैं। जाँच के दौरान सीबीआई ने कोई कोताही नहीं बरती। सोफे से लेकर बेड के अंदर तक देखा गया।
आईएएस बी. चंद्रकला की जिलाधिकारी के रूप में पहली बार पोस्टिंग अखिलेश सरकार के काल में हमीरपुर में ही हुई थी। चंद्रकला पर आरोप है कि उन्होंने 2012 में मौरँग खनन के पट्टे कर दिए थे। उस समय ऐसा करना नियमों के ख़िलाफ़ जाना और उनका उल्लंघन करने जैसा था क्योंकि उस समय ई-टेंडर के जरिये मौरँग के पट्टों को स्वीकृत करने का प्रावधान था।
आईएएस बी. चंद्रकला
आपको बता दें, बी चंद्रकला 2008 में आईएएस बनीं थीं। मूलरूप से तेलाँगना की निवासी बी. चंद्रकला को यूपी कैडर दिया गया था। इसके बाद मथुरा और इलाहाबाद में पोस्टिंग के दौरान वो अपने फ़ैसलों और तेज-तर्रार रवैये के कारण खूब चर्चा में रहीं। सोशल मीडिया पर सबसे एक्टिव रहने वाले आईएएस की सूची में वो सबसे जाना-माना नाम हैं, लेकिन अपनी एक गलती के कारण उन्हें सीबीआई की छापेमारी तक झेलनी पड़ी है। अब देखना ये है कि उन पर लगे इन संगीन आरोपों से वो खुद को कैसे बचा पाती हैं।