अफ्रीका के नाइजीरिया में इस्लामी आतंकियों का कहर जारी है। रिपोर्ट का दावा है कि वहाँ 2023 के शुरुआती महीने से लेकर अब तक 1000 से ज्यादा ईसाई मारे जा चुके हैं। सिर्फ एक हफ्ते में वहाँ 134 ईसाइयों को मौत के घाट उतारा गया है। हालिया मामला एक पादरी की हत्या से जुड़ा है।
पादरी की पहचान याकूबू शुएबू (Yakubu Shuaibu) के तौर पर हुई है। वो नाइजीरिया के ब्रेथ्रेन चर्च में काम करते थे। पश्चिमी प्रांत के इस्लामी स्टेट के आतंकियों ने उन्हें नाइजीरिया के उत्तर पूर्वी राज्य बोर्नो में 4 अप्रैल को उनके घर मडलाऊ में मारा। ये जानकारी नाइजीरिया के नेता सलामतू बिल्ली ने दी।
उन्होंने बताया कि इस दौरान आतंकियों ने पादरी की गर्भवती बीवी को भी गोली मारकर चोटिल किया। उनका इलाज अस्पताल में चल रहा है। दोनों पति-पत्नी ने 4 साल पहले ईवाईएन चर्च में काम करना शुरू किया था।
पादरी शुएबु की हत्या के बाद EYN के नेता सलामतू बिल्ली ने लोगों से अपील की कि पादरी की पत्नी के स्वस्थ होने की प्रार्थना करें। उन्होंने जानकारी दी कि ईवाईएन में ईसाइयों को लगातार मारा जा रहा है। खासकर जो चर्च में सेवा करते हैं। ये तीसरे पादरी की हत्या है जो पिछले कुछ ही समय में अंजाम दी गई है।
इस हत्या के बाद स्थानीयों ने बताया कि इस्लामी स्टेट के आतंकियों ने पादरी को मारने के बाद कई क्रिश्चियन निज्मटिलो, पुल्का, अजीरी माफा ग्रामों में भी कहर बरपाया था। उन्होंने ईसाइयों के घर और खाने को लूट लिया था।
बता दें कि मॉर्निंग स्टार की खबर के अनुसार, नाइजीरिया के बेन्यू राज्य में फुलानी आतंकियों ने अप्रैल 2 से 10 के बीच में 134 ईसाइयों को मारा है। स्थानीय निवासी जोसेफ ने मीडिया को बताया कि ये बात सच है कि ये आतंकी 23 में से 18 सरकारी इलाकों को तबाह कर चुके हैं जहाँ ज्यादातर कभी ईसाई रहते थे। इन इलाकों के नाम मकरूडी, गुमा, ओटूकपो, अपा और लोगो हैं।
पादरी ने डोमिनिक चर्च के अनुसार, हथियारबंद फुलानी आतंकी ईसाइयों पर लंबे समय से हमला करते आए हैं लेकिन हाल फिलहाल में ये हमले कुछ ज्यादा ही हो गए। सरकारी क्षेत्र क्वांदे का गाँव तुरान पर भी फुलानी आतंकियों द्वारा हमला किया गया। 5 अप्रैल को इन आतंकियों ने उमोगिदी ग्राम पर हमलाकर 52 ईसाइयों को मारा था। 7 अप्रैल को न्गबान, गुमा पर हमला कर 38 ईसाइयों को मारा था और 36 घायल हुए थे।
पादरी बताते हैं कि इस बीच ईसाई समुदाय के कई बच्चे और औरतें घर छोड़ कैंपों में रहने लगे हैं। फुलानी आतंकियों ने उनके घरों पर हमला कर रहे हैं, उन्हें जला रहे हैं। ईसाई चर्च में जाकर प्रार्थना भी नहीं कर पाते।