महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ऐलान किया है कि मुंबई की कोस्टल रोड का नाम बदलकर छत्रपति संभाजी महाराज के नाम पर रखा जाएगा। सीएम शिंदे ने संभाजी महाराज की जयंती पर यह ऐलान किया। साथ ही उन्होंने कहा है कि इस क्षेत्र में संभाजी महाराज की भव्य प्रतिमा का भी निर्माण होगा।
दरअसल, छत्रपति संभाजी महाराज की जयंती पर गेटवे ऑफ इंडिया पर कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस दौरान उन्होंने कहा है, “यहाँ पहली बार संभाजी महाराज की जयंती मना रही है। इसलिए बहुत अधिक खुशी हो रही है। आज संभाजी महाराज की 366वीं जयंती मनाई जा रही है।” इसके साथ ही उन्होंने ऐलान किया है कि कोस्टल रोड का नाम बदलकर छत्रपति संभाजी महाराज के नाम पर रखा जाएगा। साथ ही यह उनकी एक भव्य मूर्ति लगाई जाएगी।
मुंबईची लाईफलाईन ठरणाऱ्या सागरी महामार्ग (कोस्टल हायवे) ला छत्रपती संभाजी महाराज यांचे नाव देण्यात येईल, अशी घोषणा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांनी आज केली. याच कोस्टल हायवे परिसरात छत्रपती संभाजी महाराज यांचा दिमाखदार पुतळा उभारण्यात येईल.
— CMO Maharashtra (@CMOMaharashtra) May 14, 2023
गेटवे ऑफ इंडिया येथे पहिल्यांदाच आयोजित… pic.twitter.com/eLRcQkzBqk
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ इतिहासकारों ने उनकी बहादुरी के बारे में कुछ अलग भी लिखा होगा, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। शिवाजी महाराज ने स्वराज्य की नींव रखी और संभाजी महाराज ने इसे आगे बढ़ाया। इसलिए हमें उनकी वीरता को याद रखने की जरूरत है। संभाजी महाराज ने मुगल साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई लड़ी। अपने समय में उन्होंने 120 से अधिक युद्ध लड़े लेकिन उन्हें कभी भी हार नहीं मिली।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने यह भी कहा है कि औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजी नगर करना बाला साहेब का सपना था। इसलिए सरकार बनने के बाद सबसे पहले यह फैसला लिया गया। औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी महाराज को इसी जगह पर प्रताड़ित किया था। उन्हें अपना धर्म बदलने के लिए कहा गया। लेकिन उन्होंने कभी भी समझौता नहीं किया।
बता दें कि छत्रपति संभाजी महाराज हिंदवी साम्राज्य के दूसरे राजा और छत्रपति शिवाजी महाराज के सबसे बड़े बेटे थे। उनका जन्म से 1657 में हुआ था। साल 1680 में शिवाजी के निधन के बाद उन्होंने सत्ता संभाली थी। अपने शासनकाल के दौरान, उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इसमें मुगल साम्राज्य के साथ युद्ध और प्रजा द्वारा विद्रोह शामिल है। इन सबके बाद भी संभाजी महाराज को उनकी बहादुरी और युद्ध कौशल के लिए जाना जाता है। साल 1689 में मुगल आक्रांता औरंगजेब ने उनकी हत्या कर दी थी।