भारत के नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह आपने देखा। साथ ही आपके समक्ष संसद भवन के भीतर की तस्वीरें भी आईं, वो कलाकृतियाँ जिन पर पूरा देश आज गर्व कर रहा है। ये वो कलाकृतियाँ हैं, जो भारतीय कला एवं संस्कृति को दर्शाती हैं। हमारे प्राचीन इतिहास को बताती है, जिससे आज प्रेरणा ली जा सके। नए संसद भवन में इन कलाकृतियों को जीवंत करने वाले मूर्तिकार का नाम है नरेश कुमावत, जो इससे पहले भी इस तरह का कमाल दिखा चुके हैं।
उन्होंने मुख्य तौर पर नए संसद भवन में समुद्र मंथन की कलाकृति उकेरी है। पौराणिक कथा है कि देवताओं और दानवों ने मिल कर अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन किया था। नरेश कुमावत मानते हैं कि नया संसद भवन उभरते हुए भारत का मजबूत प्रतीक है। वो मूल रूप से राजस्थान के पिलानी के रहने वाले हैं। नए संसद भवन में उन्होंने कई ऐसी कलाकृतियाँ बनाई हैं, जो आने वाले समय में वर्षों तक इसकी शोभा बढ़ाती रहेगी।
उन्होंने न सिर्फ इन मूर्तियों को बनाया है, बल्कि उसे संसद भवन में इंस्टॉल करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सरदार वल्लभभाई पटेल और बाबासाहब डॉ भीमराव आंबेडकर की भी मूर्तियाँ उन्होंने बनाई है। दोनों को नए संसद भवन में साथ में लगाया गया है। नरेश कुमावत ने कहा कि ये उनके लिए काफी सम्मान की बात है कि उन्होंने नए संसद भवन के निर्माण में योगदान दिया है। उनका कहना है कि ये कलाकृतियाँ नेताओं को न्यायपूर्ण ढंग से कार्य करने की प्रेरणा देंगी।
समुद्र मंथन वाली कलाकृति का महत्व समझाते हुए उन्होंने कहा कि जैसे उस समय अमृत निकला था, वैसे ही अब भी गहन चर्चाओं/बहस के बाद देश के लिए अच्छे परिणाम निकलें – यही इसका सन्देश है। उन्होंने समुद्र मंथन की कलाकृति में हर छोटी से छोटी चीज का ध्यान रखा है। नरेश कुमावत इससे पहले नेपाल स्थित कैलाशनाथ महादेव की प्रतिमा बना चुके हैं। दिल्ली के महिपालपुर में स्थित शिव मूर्ति भी उन्होंने ही बनाई है।
उनके द्वारा बनाई गई कुछ अन्य प्रमुख प्रतिमाएँ हैं – हिमाचल प्रदेश के शिमला में स्थित भगवान हनुमान की विशाल मूर्ति, धरमपुर में जैन संत श्रीमद राजचन्द्र की प्रतिमा। उन्होंने जम्मू कश्मीर के नगरोटा में बलिदान हुए मेजर अक्षय गिरीश की प्रतिमा भी बनाई थी, जिस पर बलिदानी सैनिक की माँ ने उन्हें धन्यवाद दिया था। आतंकियों के हमले में 4 की मौत होने के बाद मेजर अक्षय गिरीश के नेतृत्व में 29 नवंबर, 2016 को ‘क्विक रिएक्शन टीम (QRT)’ ने आतंकियों से लोहा लिया था।
नरेश कुमार कुमावत फ़िलहाल हरियाणा गुरुग्राम में रहते हैं। वहीं पर उनका स्टूडियो भी है। उनके स्टूडियो का नाम है – ‘मातूराम आर्ट्स सेंटर’, जो उनके पिता के नाम पर है। उनके पिता और दादाजी भी मूर्तिकार हुआ करते थे, इस तरह वो मूर्तिकारों की तीसरी पीढ़ी हैं। ऑपइंडिया से बात करते हुए मूर्तिकार नरेश कुमावत कहते हैं कि उनके मन में आया कि मूर्तिकला के कार्य को और खूबसूरत बनाया जा सके, इसीलिए उन्होंने तकनीक का इस्तेमाल करना शुरू किया।
उनका स्टूडियो मानेसर में स्थित है, जहाँ वो 300 लोगों के साथ मिल कर कार्य कर रहे हैं। मूर्तिकला और तकनीक के संगम की वकालत करने वाले नरेश कुमावत इसकी बारीकियाँ कनाडा से सीख के आए हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने पिता के साथ मिल कर 150 से भी अधिक मूर्तियाँ बनाई हैं। इनमें सबसे विशेष है नाथद्वारा में भगवान शिव की सबसे ऊँची प्रतिमा, जो 370 फ़ीट (112.776 मीटर) की है। इसके बाद उन्हें संसद भवन को सजाने का काम मिला।
नरेश कुमावत से केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने इस काम के लिए संपर्क किया था। भारत सरकार द्वारा संचालित ‘इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA/Indira Gandhi National Centre for the Arts)’ के माध्यम से उनसे संपर्क किया गया था। वहाँ उन्होंने अपना काम दिखाया, जिसके बाद बात आगे बढ़ी और उन्हें इसके लिए चुना गया। उन्होंने कहा कि इस संसद भवन में पौराणिकता से लेकर ‘Digitalised India’ तक को दिखाया गया है।
उन्होंने कहा कि कलाकारों ने अलग-अलग प्रकार के कार्यों के रूप में इन चीजों को काफी खूबसूरती से दिखाया है। इसमें समुद्र मंथन वाले को वो विशेष मानते हैं। उनके शब्दों में जानें तो, “ये इस चीज को दर्शाता है कि ये संसद जो है वो मंथन करने की जगह है। इस चीज को ये कलाकृति प्रतिबिंबित करती है। इसे देख कर ये समझ आता है कि जब सब मिल कर मंथन करते हैं तो अमृत की प्राप्ति होती है। इस समय देश को अमृत की बहुत आवश्यकता है, क्योंकि हम ‘अमृत काल’ से गुजर रहे हैं।”
कई दिनों की मेहनत आज आप सब के प्रेम के रूप में रंग लायी।
— Murtikar Naresh Kumawat (@murtikarnk) May 28, 2023
Behind the scene -Making of Samudra Manthan depiction in our House of democracy, New Parliament house. #MyParlimentMyPride pic.twitter.com/M0mgL0suYx
हालाँकि, संसद भवन में चाणक्य की जो तस्वीर सामने आई है वो नरेश कुमावत ने नहीं बनाए है। लेकिन, इसे फाइनल टच दिए जाने के दौरान उनकी मदद ली गई थी। उन्होंने बताया कि चान्या के चेहरे को सुधारने के लिए उनकी मदद ली गई थी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निगरानी में ही कलाकृतियाँ बनने का कार्य हुआ है और सब कुछ पहले उनके सामने रखा गया था। उन्होंने बताया कि इसकी डिटेलिंग का आईडिया पीएम मोदी का ही था।
बकौल मूर्तिकार नरेश कुमावत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कलाकृतियों के बारे में अच्छे से समझाया और बताया था कि कौन सी चीज किस तरह से होनी चाहिए। इसी के अनुरूप कलाकारों की टीम ने कार्य किया। याद दिलाते चलें कि नरेश कुमावत कोरोना काल में भी चर्चा में आए थे, जब उन्होंने स्वाथ्यकर्मी, सुरक्षाकर्मी और स्वच्छ्ताकर्मी की तीन मूर्तियाँ बना कर कोरोना वॉरियर्स को धन्यवाद दिया था। वो भारत के अलावा कई अन्य देशों में भी काम कर चुके हैं।
ये पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नरेश कुमावत का नाम जुड़ा हो। दिसंबर 2016 में नई दिल्ली के विज्ञान भवन में दीन दयाल उपाध्याय की जिस प्रतिमा का अनावरण किया था, वो नरेश कुमावत ने ही बनाई थी। इसे ग्लास फाइबर से बनाया गया था और इसके ऊपर कॉपर की परत डाली गई थी ताकि इसे जंग लगने से बचाया जाए। आज नरेश कुमावत संसद भवन की कलाकृतियों को उकेरने के बाद देश भर में चर्चा का विषय बन रहे हैं।