भारत ने चंद्रयान-3 को प्रक्षेपित कर दिया है। यह अब तक अपनी नियत शर्तों के तहत काम कर रहा है और उम्मीद है कि अगले महीने के तीसरे सप्ताह में चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग भी करेगा। इस मिशन के पीछे भारत की ‘रॉकेट वुमन’ के नाम से प्रसिद्ध रितु करिधल श्रीवास्तव की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने पूरे मिशन का नेतृत्व किया था।
जब चंद्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण हुआ और वह लगभग 3.85 लाख किलोमीटर की अपनी यात्रा पर निकला तो ISRO की वरिष्ठ वैज्ञानिक और मिशन की निदेशक डॉक्टर रितु के घर में जश्न मनाया जाने लगा। रितु के परिजनों ने मिठाइयाँ बाँटीं।
रितु लखनऊ की रहने वाली हैं। उन्होंने साल 1996 में उत्तर प्रदेश के लखनऊ विश्वविद्यालय से भौतिकी (Physics) में स्नातक किया। इसके बाद उन्होंने बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर ऑफ इंजनीयरिंग (ME) किया।
साल 1997 में रितु भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) में शामिल हो गईं। वह चंद्रयान-2 की मिशन डायरेक्टर और मंगलयान मिशन की डिप्युटी ऑपरेशंस डायरेक्टर थीं। उन्होंने अब तक देश-विदेश की जर्नल में 20 से अधिक शोध पत्र छपवा चुकी हैं।
रितु करिधल ISRO और NASA की पेपर कटिंग को इकट्ठा करती हुई बड़ी हुई हैं। वह बड़ी होकर अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहती थीं। आखिरकार उनका सपना साकार हुआ और उन्होंने आगे चलकर ISRO को जॉइन कर लिया।
उनके योगदान के लिए रितु को कई पुरस्कार मिल चुके हैं। भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam) ने उन्हें ‘ISRO यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड’ से सम्मानित किया था। साल 2007 में मिला यह अवॉर्ड रितु के लिए गौरव का क्षण था।
इसके अलावा, उन्हें सोसाइटीज ऑफ इंडियन एयरोस्पेेस टेक्नोलॉजिज एवं इंडस्ट्रीज (SIATI) द्वारा दिया गया वीमन अचीवर्स ऑफ एयरोस्पेस अवॉर्ड 2017 शामिल है। उन्हें ISRO Team Award for MOM (2015) और ASI Team Award’ भी मिल चुका है।
रितु करिधाल श्रीवास्तव एक शानदार इंजीनियर और समर्पित लीडर हैं। उन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वह STEM क्षेत्रों में महिलाओं के लिए एक आदर्श हैं और वह दुनिया भर के कई लोगों के लिए प्रेरणा हैं।