कट्टरपंथी मौलाना अंजेम चौधरी पर ब्रिटेन में आतंकवाद के तीन मामले दर्ज किए गए हैं। पाकिस्तानी मूल का 56 वर्षीय ब्रिटिश मौलाना पिछले सप्ताह लंदन में गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने बताया है कि उस पर एक प्रतिबंधित संगठन की सदस्यता लेने, एक आतंकवादी संगठन को निर्देश देने और एक प्रतिबंधित संगठन के लिए समर्थन जुटाने को लेकर बैठकों को संबोधित करने का आरोप लगाया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 56 वर्षीय मौलाना अंजेम चौधरी को ब्रिटिश पुलिस ने 17 जुलाई को गिरफ्तार किया था। पूछताछ के बाद 24 जुलाई को अदालत में पेश किया गया। अंजेम चौधरी प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन अल-मुहाजिरौन का पूर्व प्रमुख है। इस संगठन को 2006 में ब्रिटिश सरकार ने प्रतिबंधित किया था। चौधरी इंग्लैंड में रहने वाले हिन्दुओं के खिलाफ नफरत भरे बयान दे कर लोगों को भड़काता रहता है। वह ब्रिटेन में खलीफा का शासन लागू करना चाहता था। ब्रिटिश शाही परिवार के आधिकारिक निवास बकिंघम पैलेस को मस्जिद में बदलने की बात भी वह कर चुका है।
पुलिस के मुताबिक अंजेम चौधरी ने अमेरिका पर हुए 9/11 के हमले में शामिल आतंकियों की तारीफ की थी। ब्रिटिश अभियोजन ने अदालत में यह भी बताया कि अंजेम चौधरी ने छोटे-छोटे समूहों को ऑनलाइन कट्टरपंथ का पाठ पढ़ाया और मुस्लिमों को अल-मुहाजिरौन में भर्ती होने के लिए उकसाया। वह जून 2022 से लगातार साप्ताहिक लेक्चर दे रहा था। इसमें वह इंग्लैंड को एक इस्लामिक मुल्क बनाने के लिए मुस्लिमों को उकसा रहा था।
पुलिस ने अंजेम चौधरी के साथ खालिद हुसैन नाम के एक अन्य आतंकी को भी कोर्ट में पेश किया था। 28 वर्षीय खालिद हुसैन पर भी अल-मुहाजिरौन का सदस्य होने का आरोप है। खालिद हुसैन मूल रूप से कनाडा का रहने वाला है। उसे भी 17 जुलाई को लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था। खालिद और अंजेम चौधरी पर एक साथ ऑनलाइन काम करने और आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप है। दावा किया जा रहा है कि अदालत की 23 मिनट की सुनवाई में अंजेम चौधरी ज्यादातर खामोश ही रहा। उसने सिर्फ अपना परिचय बताने के लिए मुँह खोला था। कोर्ट ने इस केस की अगली सुनवाई के लिए 4 अगस्त 2023 की तारीख तय की है।
अंजेम चौधरी कभी ब्रिटेन का सबसे हाई प्रोफाइल इस्लामी ‘उपदेशक’ माना जाता था। आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) का समर्थन करने के लिए मुस्लिमों को प्रोत्साहित करने पर उसे 2016 में ब्रिटेन में कैद किया गया था। 2018 में उसकी रिहाई हुई थी। उस पर सार्वजनिक संबोधनों को लेकर प्रतिबंध लगाया था। लेकिन कुछ समय शांत रहने के बाद वह फिर से कट्टरपंथी गतिविधियों में शामिल हो गया।