Saturday, May 11, 2024
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गोधरा में ट्रेन जलाने के मामले में शौकत, बिलाल और सिद्दीकी को बेल देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, कहा- तीनों की सक्रिय भूमिका थी

27 फरवरी 2002 को मुस्लिम भीड़ ने अयोध्या से लौट सबरमती एक्सप्रेस के S-6 बोगी में ज्वलनशील पदार्थ डालकर जला दिया था। कारसेवकों से भरी इस बोगी में छोटे बच्चों एवं महिलाएँ समेत 59 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे थे।

साल 2002 में गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के डब्बों को जलाने के मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए तीन दोषियों को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बेल देने से मना कर दिया। जमानत याचिका को खारिज करते हुए शीर्ष न्यायालय ने कहा कि यह मामला बेहद गंभीर था। बताते चलें कि इस घटना के बाद ही गुजरात में जगह-जगह दंगे भड़के थे।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली जस्टिस जेबी परदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, “यह बहुत ही गंभीर घटना है। यह किसी अकेले व्यक्ति की हत्या का सवाल नहीं है। इस घटना में इन दोषियों को विशिष्ट भूमिकाएँ दी गई थीं।” इसके साथ ही अपील को खारिज कर दी गई।

सर्वोच्च न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा भोग रहे सौकत यूसुफ इस्माइल मोहान, बिलाल अब्दुल्ला इस्माइल बादाम घांची और सिद्दीक को ‘इस स्तर पर’ जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों को उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करेगी।

दोषियों की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि इन तीनों को ट्रायल कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा दी है। इनमें से एक 17 साल 6 महीने से हिरासत में है, जबकि एक अन्य दोषी 20 साल से जेल में है।

एडवोकेट हेगड़े ने कोर्ट में तर्क दिया कि इन तीनों में से दो छोटे अपराध में जेल में हैं। इनमें से एक पत्थरबाजी करने और एक अन्य शख्स घटना के दौरान लोगों के सामान और जेवरात चुराने का दोषी है। उन्होंने कहा कि ये जेवरात कभी बरामद भी नहीं हुए हैं।

वहीं, गुजरात सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इनमें से एक मुख्य साजिशकर्ता था, जिसने हथियारबंद लोगों को हमले के लिए उकसाया था। इसके बाद बेंच ने कहा कि हिंसा में इन तीनों की अहम भूमिका थी।

बताते चलें कि ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई आजीवन कारावास की सजा को गुजरात हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था। इसके बाद दोषियों ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। यह याचिका अभी लंबित है।

बताते चलें कि 21 अप्रैल 2023 को इसी मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए 8 दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी। जिन दोषियों को जमानत दी गई थी, वे थे – अब्दुल सत्तार इब्राहिम गद्दी असला, यूनुस अब्दुल हक्क समोल, मोहम्मद हनीफ अब्दुल्ला मौलवी बादाम, अब्दुल रऊफ अब्दुल माजिद ईसा, इब्राहिम अब्दुलरजाक अब्दुल सत्तार समोल, अयूब अब्दुल गनी इस्माइल पटालिया, सोहेब यूसुफ अहमद कलंदर और सुलेमान अहमद हुसैन।

हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने चार दोषियों- अनवर मोहम्मद मेहदा, सौकत अब्दुल्ला मौलवी इस्माइल बादाम, मेहबूब याकूब मीठा और सिद्दीक मोहम्मद मोरा को जमानत देने से इनकार कर दिया था, क्योंकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने घटना में उनकी भूमिका को उजागर करने वाले उनके आवेदनों का विरोध किया था।

दरअसल, 27 फरवरी 2002 को मुस्लिम भीड़ ने अयोध्या से लौट सबरमती एक्सप्रेस के S-6 बोगी में ज्वलनशील पदार्थ डालकर जला दिया था। कारसेवकों से भरी इस बोगी में छोटे बच्चों एवं महिलाएँ समेत 59 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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