‘चंद्रयान-3’ मिशन के चंद्रयान की चंद्रमा की सतह पर कामयाब सॉफ्ट लैंडिंग को तीन दिन हो गए हैं। इस शानदार खुशखबरी के बाद वहाँ से लगातार अच्छी खबरों का आना जारी है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शनिवार (26 अगस्त, 2023) को चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरे लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के बारे में नई जानकारी दी। इसरो चैयरमेन ने कहा कि शनिवार सुबह रोवर ने 12 मीटर की दूरी तय कर ली है।
इसरो ने बताया रोवर वहाँ योजना के मुताबिक काम कर रहा है। ये रोवर कुल 500 मीटर की दूरी तय करने में सक्षम है। रोवर ने 25 अगस्त तक 8 मीटर की दूरी सफलतापूर्वक तय की थी। इसके साथ ही दो पेलोड भी सक्रिय कर दिए हैं। ये दोनों चंद्रमा की सतह पर विभिन्न डेटा जमा कर के विक्रम लैंडर को देंगे और उसके जरिए ये धरती पर इसरो के पास पहुँचेगा।
गौरतलब है कि दुनिया में भारत चौथा देश हैं जिसने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिग की है तो वहीं वो पहला ऐसा देश है जिसने चंद्रमा के साउथ पोल पर पहुँचने में कामयाबी पाई है। इसी गौरवपूर्ण पल को यादगार बनाने के लिए पीएम मोदी भी शनिवार 26 अगस्त को बेंगलुरू पहुँचे हैं।
वो वहाँ इसरो के वैज्ञानिकों की हौसला-आफजाई और उनसे मिलने के लिए पहुँचे हैं। इस दौरान उन्होंने ऐलान किया कि ‘चंद्रयान-3’ की कामयाबी को देश में हर साल 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 25, 2023
All planned Rover movements have been verified. The Rover has successfully traversed a distance of about 8 meters.
Rover payloads LIBS and APXS are turned ON.
All payloads on the propulsion module, lander module, and rover are performing nominally.…
लैंडर विक्रम का नाम ‘शिव शक्ति’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार सुबह इसरो के ट्रैकिंग और टेलीमेट्री घोषणा की कि जिस बिंदु पर चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम उतरा उसका नाम ‘शिव शक्ति’ रखा जाएगा, जबकि चंद्रयान-2 का लैंडर जिस बिंदु के पास पहुँचा था, उसे ‘तिरंगा’ कहा जाएगा। उन्होंने यह भी घोषणा की कि 23 अगस्त जिस दिन चंद्रयान-3 चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरा को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
पीएम मोदी ने भावुक होते हुए कहा, “मैं 23 अगस्त के उस दिन का हर पल अपनी आँखों के सामने देख सकता हूँ। मैं आपके समर्पण को सलाम करता हूँ। मैं आपके धैर्य को सलाम करता हूँ। आपकी कड़ी मेहनत को सलाम करता हूँ। मैं आपकी प्रेरणा को सलाम करता हूँ।”
पीएम मोदी ने कहा, “भारत चंद्रमा पर है। हमारा राष्ट्रीय गौरव चंद्रमा पर है। हम उस स्थान पर पहुँच गए हैं जहाँ पहले कोई नहीं पहुँचा था। हमने वह उपलब्धि हासिल की है जो पहले किसी ने हासिल नहीं की थी! यह आज का भारत है, साहसी और बहादुर।” उन्होंने यह भी दोहराया कि कैसे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी ने रोजमर्रा की जिंदगी में मदद की है। देश को दिन-प्रतिदिन चलाने और पारदर्शिता और दक्षता को सक्षम बनाने में मदद की।
रोवर चला 12 मीटर
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा, “चंद्रयान-3 रोवर प्रज्ञान ने शनिवार सुबह तक 12 मीटर की दूरी तय की थी। उन्होंने चंद्रमा से कई तस्वीरें पीएम के साथ साझा कीं।
दरअसल बुधवार (23 अगस्त, 2023) को ही ‘चंद्रयान-3’ चंद्रमा की सतह पर उतरा था। वहाँ लैंडर विक्रम ने साउथ पोल पर रोवर प्रज्ञान को उतारा था। लैंडर मॉड्यूल पर दो खंडों के फोल्डेबल रैंप ने रोवर को एक तार के साथ साउथ पोल की सतह पर नीचे लुढ़कने में मदद की। रोवर के चंद्रमा की सतह को छूने के बाद ये तार हटा दिया गया था। जैसे ही यह चल रहा था, एक सौर पैनल भी खुल गया, जिससे रोवर को अपने 500 मीटर के सफर के लिए 50W बिजली पैदा करने सुविधा मिल गई। इसी लैंडर को लेकर शुक्रवार इसरो ने ताजा अपडेट एक्स हैंडल पर डाला है।
इसरो ने लिखा, “सभी योजनाबद्ध रोवर गतिविधियों का सत्यापन किया गया है। रोवर ने लगभग आठ मीटर की दूरी सफलतापूर्वक पार कर ली है।” इसरो ने कहा, रोवर पेलोड एलआईबीएस (लेजर प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप) और एपीएक्सएस (अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर) भी चालू कर दिए गए हैं।
सरल भाषा में कहें तो रोवर के चंद्रमा से आँकड़ा जुटाने के लिए जो योजनाएँ थी वो सटीक बैठी हैं और रोवर के इन आँकड़ों को इकट्ठा करने वाले दो पेलोड ने भी अपना काम शुरू कर दिया है। पेलोड के सभी संचालन वाले मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और रोवर सांकेतिक तौर पर काम कर रहे हैं।
रोवर इकट्ठा किया गया डेटा लैंडर को भेजेगा और फिर ये पिछले चंद्रयान मिशन-2 के ऑर्बिटर को ये भेजेगा। इसके बाद चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर ये डेटा पृथ्वी पर भेजेगा। चंद्रमा के साउथ पोल यानी दक्षिणी ध्रुव पर दिन होने के दौरान डेटा इकट्ठा करने के लिए सभी प्रयोग चालू कर दिए गए हैं। ये उपकरण वहाँ अगले दो सप्ताह यानी एक चंद्र दिन (चंद्रमा पर एक दिन 14 दिनों का होता है) तक प्रयोग और अवलोकन करेंगे। क्योंकि चंद्रमा में रात होते ही सूर्य के प्रकाश की कमी के वजह से इनके निष्क्रिय हो जाने की आशंका है।