Thursday, November 21, 2024
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मृणाल प्रेम स्वरूप श्रीवास्तव

सनातन हिन्दू धर्म को ईसाई या इस्लामी चश्मे से देखना अनुचित: नितिन श्रीधर की ऑपइंडिया से बात

लेखक, indiafacts.org और अद्वैत एकेडमी के सम्पादक व धर्मशास्त्रों के जाने-माने टिप्पणीकार नितिन श्रीधर ने धर्म से जुड़े कई पक्षों पर ऑपइंडिया से बात की, जिसमें राजनीति, लोकतंत्र के बारे में दृष्टिकोण, हाल ही में आए सबरीमाला और राम मंदिर के फैसले, धर्म की व्यवहारिक परिभाषा आदि शामिल थे। पेश है इस साक्षात्कार के मुख्य हिस्सों का सारांश:

हिन्दू धर्म के प्रति निष्ठावान थी इंदिरा गाँधी: वो 6 बातें, जिनसे आज के कॉन्ग्रेस को सीखने की ज़रूरत है

पुलवामा और उरी के हमले अगर इंदिरा सरकार के समय में हुए होते, तो भी पाकिस्तान को कमोबेश वैसा ही जवाब मिलता, जैसे मोदी ने दिया। लेकिन वही 26/11 के बाद, बनारस, दिल्ली से लेकर मुंबई, हैदराबाद और दंतेवाड़ा अनेकों बम धमाकों के बाद भी यूपीए सरकार ने लचर रुख अख्तियार किया।

जब इंदिरा गाँधी ने JNU की गुंडागर्दी पर लगा दिया था ताला: धरी रह गई थी नारेबाजी और बैनर की राजनीति

जेएनयू छात्रों की हड़ताल में जर्मन कोर्स की एक छात्रा शामिल नहीं होना चाहती थी, इसलिए वह क्लास करने के लिए जर्मन फैकल्टी की ओर बढ़ी। उसका नाम था मेनका गाँधी- संजय गाँधी की पत्नी और इंदिरा गाँधी की बहू।

प्रिय असुरनियों, तुम चाहे जितना चिंघाड़ो, सबरीमाला देवता का मुद्दा ही रहेगा, न कि पीरियड्स और पब्लिक प्लेस का

सागरिका को मंदिर और सार्वजनिक फुटपाथ में अंतर नहीं पता, इसलिए उन्हें तो मूर्ख माना जा सकता है। लेकिन बरखा दत्त मंदिर का नाम स्पष्ट तौर पर लेतीं हैं और इसके बाद भी कहती हैं कि उन्हें सबरीमाला में जबरन प्रवेश चाहिए। यह मूर्खता नहीं, दुर्भावना वाली आसुरिक वृत्ति है।

हमसे किसी ने कहा ही नहीं: J&K से लेकर महाराष्ट्र-कर्नाटक तक ‘फूफा मोड’ में कॉन्ग्रेस

चारों मुख्य पार्टियों भाजपा, कॉन्ग्रेस, एनसीपी और शिवसेना में सबसे कम यानी केवल 44 विधायक कॉन्ग्रेस के जीते हैं, और राज्यपाल के राष्ट्रपति शासन से पहले की मीटिंग में न बुलाने पर बिफ़र ऐसे रहे हैं मानो बैठक में होते तो दावा सीएम की दावेदारी का पेश कर देते!

‘हिन्दू फासिस्ट’ से लिबरल-दुलारी हुई शिव सेना, उद्धव बने आँख के तारे: ‘मीडिया गिरोह’ ने जमकर उड़ेला प्यार

सागरिका घोष की ख़ुशी ट्विटर पर बल्लियों उछल कर बाहर आ रही थी। वे शायद वह समय भूल गईं जब उनके लिबरल गैंग ने इन्हीं उद्धव ठाकरे के पिता को हत्यारा, फासिस्ट और न जाने क्या-क्या कहा था। अभिसार शर्मा की तो ख़ुशी इतनी ज़्यादा थी शायद कि विह्वल होकर उनके मुखण्डल से शब्द ही नहीं फूटे। सो......

हिन्दूफ़ोबिया के वीर: शोएब दानियाल के लिए साधु आतंकी, जयराम रमेश के लिए निहत्थों पर गोलीबारी बड़ी बहादुरी

यह सोचे जाने की ज़रूरत है कि सौ करोड़ से ज्यादा की आबादी के धर्म को गाली देने की हिम्मत कहाँ से आती है? ऐसी आस्था जिसने न मज़हबी हिंसा की, न जबरिया मतांतरण, उससे शोएब दानियाल जैसों की दुश्मनी क्या है?

जब साधु-संतों पर इंदिरा सरकार ने चलवाई गोलियाँ, गौ भक्तों के खून से लहूलुहान हो गई थी दिल्ली

आज़ादी के बाद से ही 'सेक्युलरासुर' सरकारें गौ भक्तों को हिकारत भरी नज़रों से देखती रही हैं। 7 नवंबर 1966 को गौ भक्तों के दमन का वह आदेश भी "इंदिरा इज़ इंडिया, इंडिया इज़ इंदिरा" के अंदाज़ में ही दिया गया था।