मोदी समर्थकों की भीड़ से समस्या, आंदौलनकारी किसानों, बुर्कावालियों की भीड़ से प्रेम? भारतीय कोवैक्सिन से दिक्कत, कोवीशील्ड से प्रेम? कैसे कर लेते हैं बकैताधीश?
रवीश के लिए लॉकडाउन करो तो समस्या है, नहीं करो तो समस्या है। रवीश ने नवंबर 2019 से लेकर सितंबर के तीसरे सप्ताह तक बिहार के बारे के बारे में कुछ नहीं बोला।
रवीश कुमार की आर्थिक पैकेज पर अज्ञानता; श्रमिकों की चिंता है, लेकिन योगी बस की स्थिति चेक न करे; Y2K पर विशुद्ध झूठ; लोगों को भड़काने की कोशिश जारी है।
रवीश कुमार ने कई मुद्दों पर बात की, लेकिन उनका मुख्य फोकस यही रहा है कि भारत बर्बाद हो चुका है। टेस्टिंग महीं हो रही है। हम कोविड से नहीं लड़ पा रहे हैं। इस आदमी ने लिखना तो कम किया है, लेकिन जितना लिख रहा है प्रपंच और फ़र्ज़ी बातें ही कर रहा है।
स्वास्तिक जलाना, गाय को काट कर कमल पर दिखाना, आजादी के नारे, तेरा बाप भी देगा आजादी, खिलाफत की बातें, बुर्के में हिंदू औरतों को दिखाना, ये भी एक तरह की हिंसा है। इसे वैचारिक हिंसा कहते हैं।
रवीश को ये भी बताना था कि दिल्ली की पूरी जीडीपी का कितना प्रतिशत शिक्षा को जा रहा है। वो बताएँगे तो पता चल जाएगा कि यह 2 प्रतिशत से कम है, लेकिन रवीश यह नहीं बताएँगे।