14 फरवरी को, प्रोपेगैंडा वेबसाइट ‘द वायर’ ने एक स्टोरी प्रकाशित की जिसमें दावा किया गया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने नरेंद्र मोदी के एक वीडियो के तथ्यों की जाँच की है। 2 मिनट 20 सेकेंड के इस वीडियो में मोदी के भाषण के एक हिस्से को दिखाया गया है जो कि पुराना प्रतीत होता है। वीडियो के एक हिस्से में मोदी को 1992 में कन्याकुमारी से कश्मीर तक के एकता यात्रा के बारे में बात करते सुना जा सकता है।
स्टोरी पढ़ने के बाद ऐसा लग रहा है कि वायर की लेखिका ने प्रधानमंत्री के भाषण के इस वीडियो को महज 2 मिनट देखने के बाद यह रिपोर्ट लिख दिया है। इस रिपोर्ट में वायर ने दावा किया है कि मोदी ने भाषण के दौरान कहा कि उन्होंने अकेले कश्मीर के लाल चौक पर जाकर झंडा फहराया और वापस आ गए। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान को गलत साबित करने के लिए वायर ने एकता यात्रा के बारे लंबा चिट्ठा तैयार करते हुए स्टोरी की है। वायर ने स्टोरी में लिखा है कि लाल चौक पर झंडा फहराने के लिए एकता यात्रा के दौरान अकेले मोदी नहीं थे, बल्कि मोदी यात्रा में जोशी के साथ आने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं में से एक थे।
इसके बाद रिपोर्ट में स्वाति चतुर्वेदी एक सनसनीखेज का दावा करते हुए लिखती हैं कि मुरली मनोहर जोशी इस वीडियो को देखने के बाद गुस्से में हैं, और उन्होंने आरएसएस से भी इस बारे में शिकायत की है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जोशी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से पूछा है कि प्रधानमंत्री मोदी इस तरह की कल्पना में क्यों लिप्त हैं और क्यों भाजपा के इतिहास को फिर से लिख रहे हैं?
पहली बात यह है कि वायर ने अपने रिपोर्ट में इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं दिया है कि दिग्गज पार्टी नेता मुरली मनोहर जोशी वास्तव में मोदी के एक पुराने भाषण से नाराज हैं और नराजगी भी इस तरह की वो आरएसएस प्रमुख से शिकायत करने की हद तक चले गए। वायर की लेखिका ने अपने लेख में जो दावा किया है उसका कोई स्रोत नहीं है। ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि क्या यह एक तथ्य है, या वास्तव में स्वाति चतुर्वेदी स्वयं कल्पना में लिप्त हैं। इसके अलावा इस बात का कोई सबूत नहीं है कि आरएसएस ने नरेंद्र मोदी के भाषण की तथ्य-जाँच की है, जैसा कि वायर की रिपोर्ट में दावा किया गया है
दूसरा, वीडियो में भाषण का केवल 2 मिनट के आसपास का हिस्सा ही दिखाई देता है, पूरे भाषण के वीडियो की क्लिप नहीं है। इसलिए यह दावा करना कि मोदी ने इस छोटी क्लिप के आधार पर एकता यात्रा का पूरा श्रेय लिया, गलत है। हमने भाषणों की छोटी क्लिप का उपयोग करके नेताओं की छवी को अपने मुताबिक प्रस्तुत करने के कई उदाहरण देखे हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री के भाषण को पूरा सुने बिना और उनके भाषण के संदर्भ को जाने बिना इस तरह के दावे करना गलत है।
तीसरा, हालाँकि यह सच है कि मुरली मनोहर जोशी ने 1992 में एकता यात्रा का नेतृत्व किया था। आखिरकार वह पार्टी अध्यक्ष थे और उस समय पार्टी के शीर्ष तीन नेताओं में से एक थे। परंतु इस यात्रा के दौरान नरेंद्र मोदी सिर्फ एक साधारण पार्टी कार्यकर्ता नहीं बल्कि यात्रा के संचालन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को निभा रहे थे। ऐसे में वायर द्वारा रिपोर्ट में मोदी को एकता यात्रा के दौरान सामान्य नेता लिखना गलत है।
एकता यात्रा 11 दिसंबर, 1991 को कन्याकुमारी से शुरू हुई थी, और 26 जनवरी को श्रीनगर में लाल चौक पर तिरंगा फहराने के साथ समाप्त होने वाली थी। और इस यात्रा के संचालन की जिम्मेदारी एक सक्रिय पार्टी कार्यकर्ता और पार्टी की राष्ट्रीय चुनाव समिति के एक सदस्य नरेंद्र मोदी संभाल रहे थे। उन्हें यात्रा के संयोजक के रूप में नामित किया गया था। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी एकता यात्रा के दौरान एक समान्य पार्टी कार्यकर्ता से कहीं ज्यादा अहम भूमिका में इस कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे। मोदी ने दो साल पहले लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा के आयोजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाया था।
1992 में जब मुरली मनोहर जोशी ने गणतंत्र दिवस पर लाल चौक पर राष्ट्रध्वज फहराया था, तो उसके ठीक बगल में नरेंद्र मोदी थे। झंडा फहराने के बाद, पार्टी अध्यक्ष ने प्रेस के सामने नरेंद्र मोदी को “ऊर्जावान और होनहार” पार्टी नेता के रूप में पेश किया था। इसलिए, नरेंद्र मोदी सिर्फ एक समान्य नेता की तौर पर यात्रा में हिस्सा लेने के बजाय प्रमुख भूमिका निभा रहे थे।
द वायर की रिपोर्ट में 2011 की एक वीडियो भी लगाया गया है जिसमें मुरली मनोहर जोशी एकता यात्रा के बारे में बात करते हुए दिखाई दे रहे हैं। लेकिन बता दें कि यह वीडियो जनवरी 2011 का है, और जोशी 1992 की बजाय 2011 की राष्ट्रीय एकता यात्रा के बारे में बात कर रहे थे, जो पूरी तरह से अलग घटना है।
2011 में होने वाले एकता यात्रा का नेतृत्व तत्कालीन भाजयुमो अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने किया था। 1992 के विपरीत, 2011 में होने वाले एकता यात्रा के दौरान राज्य सरकार ने भाजपा नेताओं को लाल चौक पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने से रोका दिया था। पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, अनंत कुमार और अन्य ने 2011 एकता यात्रा के दौरान जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें राज्य पुलिस ने सीमा पर रोक दिया और हिरासत में ले लिया था। 2011 की यात्रा के दौरान न तो जोशी और न ही मोदी कश्मीर गए, इसलिए यह स्पष्ट नहीं है कि वायर ने उस वीडियो को कहानी में क्यों शामिल किया।