ख़ुद को इतिहासकार मानने वाले रामचंद्र गुहा ने इस बार एक और झूठ फैलाया है। गुहा अक़्सर कभी बीफ तो कभी कुछ और के लिए विवादित चीजें लिखते रहते हैं, बोलते रहते हैं और ट्वीट करते रहते हैं। नेहरूवादी इतिहास लिखकर घटनाओं को तोड़-मरोड़ कर पेश करने में महारत हासिल कर चुके गुहा ने अब ताज़ा झूठ बोला है कि ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ शब्द भारतीय सेना ने नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईज़ाद किया था। उनके कहने का अर्थ था कि शुरुआत में इस शब्द का प्रयोग सेना ने नहीं किया था। लेफ्ट विंग मीडिया ‘द टेलीग्राफ’ में लिखे गए एक प्रोपेगंडा लेख में गुहा ने दावा किया कि नरेंद्र मोदी और उनके ख़ेमे ने एक अजेंडे के तहत पाकिस्तान के भीतर भारतीय सेना द्वारा किए गए आतंकरोधी ऑपरेशन को ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ नाम दिया, सेना ने ऐसा नहीं किया।
रामचंद्र गुहा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने के चक्कर में अक़्सर ऐसे फैक्ट्स का जिक्र किया है, जिसका सच्चाई से कोई वास्ता नहीं होता। अब हम आपको सच्चाई बताते हैं। जनता को सच्चाई जाननी ज़रूरी है कि पाकिस्तान में हुए आतंकरोधी ऑपरेशन को ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ किसने नाम दिया। असल में ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ का प्रयोग डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स (DGMO) द्वारा 29 सितंबर, 2016 को किए गए प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान किया गया था। ये प्रेस कॉन्फ्रेंस पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को तबाह करने के बाद किया गया था। इसीलिए इस सम्बन्ध में ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ का प्रयोग भारतीय सेना ने ही पहली बार किया गया था।
गुहा की विचारधारा से ही ताल्लुक रहने वाले विवादित पत्रकार रवीश कुमार ने भी भारतीय ऑपरेशन के तुरंत बाद ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ को लेकर एक प्राइम टाइम किया था। अगर इस हिसाब से देखें तो क्या रवीश कुमार भी आने वाले प्रोपेगंडाबाज़ हैं। रामचंद्र गुहा नेहरू परिवार के क़रीब माने जाते हैं और सोशल मीडिया पर नेहरू परिवार को सही दिखाने के लिए उनके द्वारा अक़्सर झूठ फैलाया जाता रहा है। लोग उनका झूठ पकड़ कर उन्हें सोशल मीडिया पर लताड़ते भी रहते हैं लेकिन गुहा झूठ फैलाना और ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ करना नहीं छोड़ते।
पिछले वर्ष नवंबर में एबीवीपी ने वाईस चांसलर को पत्र लिखकर गुहा का अपॉइंटमेंट कैंसल करने की गुज़ारिश की थी। इसके पीछे उनकी हिन्दू-विरोधी मानसिकता और भारत की हिन्दू संस्कृति के प्रति घृणा के भाव को कारण बताया गया था। इसके बाद गुहा ने ‘परिस्थितियाँ नियंत्रण से बाहर’ होने की बात कह ख़ुद को ही टीचिंग असाइनमेंट से बाहर कर लिया था।