Monday, December 23, 2024
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3AC में साइड में 3 बर्थ, 72 की जगह 83 सीट से खूब पैसे कमाएगी मोदी सरकार? – Fact Check

नए डिज़ाइन किए गए कोचों में कई सुविधाएँ दी गई हैं। रेलवे ने डिब्बों में सीटों की संख्या बढ़ा दी है। यात्रियों की सुविधा से समझौता किए बिना...

भारतीय रेलवे यात्रियों की सुविधा को देखते हुए अपने यात्री ट्रेनों के लिए नए कैटेगरी के कोचों की शुरुआत करने जा रहा है। शनिवार (28 अगस्त 2021) को रेलवे ने जानकारी दी थी कि इकोनॉमी 3AC कोचों की टिकट की कीमत अब नियमित 3AC कोचों की तुलना में 8% तक सस्ती होगी। इन नए कोचों में 83 बर्थ होंगे, जबकि नियमित थ्री टियर एसी कोचों में 72 बर्थ मौजूद हैं। नई सुविधा से रेलवे को किराए में कमी करने में मदद मिलेगी।

हालाँकि, रेलवे ने कोचों की संख्या कैसे बढ़ाई है, इस पर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के कारण लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। रविवार (29 अगस्त 2021) को पीटीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नए कोच सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए साइड मिडिल बर्थ की वापसी होने वाली है। इसमें कहा गया है, “नियमित 3AC कोचों में दो साइड बर्थ होते हैं, जिन्हें नए कोचों में बढ़ाकर तीन कर दिया जाएगा।” इस रिपोर्ट को कई मीडिया हाउसों ने पब्लिश किया। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट ने भी यही दावा किया है।

इन रिपोर्ट के कारण पाठकों के बीच भ्रम पैदा हुआ। उन्हें लगा कि आखिरकार जिसे पहले भारी विरोध के कारण हटा दिया गया था, उसे रेलवे फिर से वापस क्यों ला रहा है? दरअसल, साइड मिडिल बर्थ की शुरुआत साल 2006 में हुई थी। उस दौरान लालू प्रसाद यादव केंद्रीय रेल मंत्री थे।

ऐसी होती है 3 सीटों वाली साइड बर्थ

अतिरिक्त साइड बर्थ वाले डिब्बों को गरीब रथ ट्रेनों में जोड़ा गया था। इससे स्लीपर और 3एसी कोचों में बर्थ की संख्या 72 से बढ़कर 78 हो गई थी, जिससे राजस्व में वृद्धि हुई थी। हालाँकि, यह एक बेहद अलोकप्रिय कदम था, क्योंकि, इसने साइड बर्थ में यात्रा करना बहुत असुविधाजनक बना दिया था, खासकर साइड मिडिल और अपर बर्थ पर।

दरअसल, साइड वाली सीट में तीसरी बर्थ को समायोजित करने के लिए साइड अपर बर्थ को ऊपर ले जाया गया था। इसके कारण साइड बर्थ पर चढ़ना-बैठना बहुत मुश्किल हो गया था। इसके बाद यात्रियों के भारी विरोध के चलते मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों से साइड मिडिल बर्थ को हटा दिया गया। लेकिन उन्हें गरीब रथ ट्रेनों में रखा गया, क्योंकि गरीब रथ ट्रेनों का किराया काफी कम है।

इसलिए, भारतीय रेलवे द्वारा विरोध का कारण बनी साइड मिडिल बर्थ को वापस लाने की संभावना नहीं है। इस साल की शुरुआत में रेलवे ने नए विकसित 3AC इकोनॉमी कोच की तस्वीरें जारी की थीं। तस्वीरों से ये स्पष्ट होता है कि उसमें साइड में तीन बर्थ नहीं हैं।

नए डिज़ाइन किए गए कोचों में कई सुविधाएँ दी गई हैं। प्रत्येक बर्थ में अलग-अलग एसी वेंट, प्रत्येक बर्थ के लिए रीडिंग लाइट, ऊपरी बर्थ तक चढ़ने के लिए बेहतर सीढ़ी डिज़ाइन, बेहतर डिज़ाइन किए गए फोल्डेबल टेबल आदि।

रेलवे के नए 3AC वाले कोच

भले ही रेलवे ने डिब्बों में सीटों की संख्या बढ़ा दी है, लेकिन इसके लिए उसने साइड मिडिल बर्थ को नहीं जोड़ा है। रेलवे ने पहले बताया था कि नए डिब्बों में दरवाजों के पास लगे हाई वोल्टेज इलेक्ट्रिक स्विचगियर को हटा दिया गया है। इस उपकरण को कोचों के अंडरफ्रेम के नीचे ले जाया गया है। इसके अलावा, बेड व लिनन के भंडारण के लिए दरवाजों के पास भंडारण स्थान को भी डिब्बों से हटा दिया गया है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कोचों के डिजाइनरों ने डिब्बों के बीच जगह बनाने के लिए पतली मिश्रित सामग्री का भी उपयोग किया है। इन उपायों से एलएचबी कोचों में अतिरिक्त जगह बनाई गई है, जिससे भारतीय रेलवे को 11 और बर्थ जोड़ने में मदद मिली है। इसलिए यात्रियों की सुविधा से समझौता किए बिना बर्थ की संख्या बढ़ी है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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