साइबर अपराध से संबंधित अगर भारतीय कानून की बात की जाए तो इसमें दो राय नहीं कि यह अस्पष्ट है। ख़ासतौर से जब ऑनलाइन उत्पीड़न (Online Harassment) और स्टॉकिंग की बात आती है। ऑनलाइन उत्पीड़न का ऐसा ही एक रूप डॉक्सिंग (Doxxing) है। डॉक्सिंग का अर्थ है, आमतौर पर दुर्भावनापूर्ण इरादे से किसी को नुकसान पहुँचाने के लिए, इंटरनेट पर निजी या व्यक्तिगत पहचान से जुड़ी जानकारी की ख़ोज और उसे पब्लिक करना या पब्लिश करना।
इसके पीछे की सोच पब्लिकली किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति की छवि धूमिल करना, उन्हें परेशानी की हद तक शर्मिंदा या उनकी ओर बुरी नियत से लोगों को उकसाना है। उन्हें ट्रोल करना है। अक्सर इसका इस्तेमाल किसी की प्रतिष्ठा को ऑनलाइन बर्बाद करने या यहाँ तक कि शारीरिक नुकसान पहुँचाने के लिए भी किया जाता है। ‘रिवेंज’ का यह रूप ज़्यादा हानिकारक है क्योंकि इसमें तत्काल उसकी कुत्सित मंशा पूरी होती नज़र आती है। अक्सर, इसके परिणाम बड़े भयावह और दूरगामी होते हैं।
25 जनवरी को, ‘AltNews’ के सह-संस्थापक प्रतीक सिन्हा (Pratik Sinha) ने कुछ व्यक्तियों के न सिर्फ़ नाम का खुलासा किया बल्कि उनकी निजी जानकारियाँ भी पब्लिक कर दी। ये सभी लोग इंटरनेट पर गुमनाम रह सकते थे। ऐसा करने के लिए ‘राइट टू प्राइवेसी’ के तहत ये सभी स्वतंत्र हैं।
The team behind misinformation that is made viral claiming to be ‘satire’ is as follows:@Being_Humor – Vinay Sharma, Mumbai@AMIT_GUJJU – Amit Sundarani, Anand@Gujju_Er – Prakash Javiya, Surat@pokershash – Shashank Singh, Kolkata@SmokingSkills_ – Yash Verma, Faridabad pic.twitter.com/RvBPtQxpAx
— Pratik Sinha (@free_thinker) January 25, 2019
ऊपर जिन लोगों को उन्होंने दिखाया है वे व्यंग्य और वायरल कंटेंट वेबसाइट (satire and viral content website) ‘hmpnews’ और ‘thefauxy’ चलाते हैं। सभी ने अपनी वेबसाइटों पर पर्याप्त खुलासे किए हैं कि उनकी वेबसाइट पर कंटेंट की प्रकृति सटायर (व्यंग्य) है।
सिन्हा ने फिर एक और हास्य और पैरोडी अकॉउंट स्क्विंटनॉन (humour and parody account, SquintNeon) से जुड़ी निजी जानकारी सार्वजनिक कर दी।
The main person behind @squintneon is Manas Jyoti Sarma. He’s the state social media incharge of ABVP Assam and is based in Guwahati. He can be seen on the left of @vivekagnihotri in the following Faceboook post.https://t.co/q1qYuh4VcW
— Pratik Sinha (@free_thinker) January 25, 2019
ऊपर उल्लेखित सभी लोगों ने अपनी पहचान गुप्त रखी थी। लेकिन प्रतीक सिन्हा, जो वास्तव में कानून से जुड़ा व्यक्ति (law enforcement personnel) नहीं है और न ही किसी कानून प्रवर्तन एजेंसी (law enforcement agency) द्वारा अधिकृत है कि वो किसी की ऑनलाइन स्टॉकिंग करे और उनकी व्यक्तिगत पहचान का पता लगा कर उन्हें पब्लिक कर दे। फिर भी, सिन्हा ने, न सिर्फ़ उनकी व्यक्तिगत जानकारियाँ पब्लिक की बल्कि उनके ख़िलाफ़ ऑनलाइन भीड़ को भड़काया और उनको लीड भी किया।
द वायर (The Wire) की पत्रकार रोहिणी सिंह (Rohini Singh) भी निजी व्यक्तियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने को लेकर बहुत ही एक्साइटेड रहती हैं और चाहती हैं कि काश सिन्हा उस व्यक्ति की तस्वीर भी निकालकर पब्लिक कर देतें।
Hello Ankur Pandey cum @mirchagalib
— Pratik Sinha (@free_thinker) January 25, 2019
1) Not all Sinhas are from Bihar. This one has got nothing to do with Bihar. Plus are people from both Bihar and Gujarat not Indians? Why this secessionist attitude?
2) Kindly stop spreading hate.https://t.co/sqIlBYaPMu
Thanks! https://t.co/6TWiGRQx5h
एक पल के लिए सोंचे कि ऊपर की तरह डॉक्स किए गए लोग महिलाएँ होती तो! फिर भी ऐसे किसी व्यक्ति के ख़िलाफ़ ऑनलाइन ट्रोलर को उकसाना। इतना ही नहीं, ये गोपनीयता के चैंपियन और स्टॉकिंग के क्रूसेडर उनकी तस्वीरों को भी पब्लिक करने की माँग कर रहे हैं। आपको यह देखने के लिए बहुत दूर नहीं जाना होगा कि वह एक महिला थी जिसकी पहचान बताई गई थी।
This is Ridiculous !!! This Man @free_thinker is sharing personal information of anybody.I am getting Threats and abuses daily.He can share my details too.Seems @TwitterIndia is not safe for girls or anybody anymore .Please Take some action or we girls have to leave this App. pic.twitter.com/3YP73VWz0G
— Pooja Singh ?? (@pooja303singh) January 25, 2019
क्या होता? अगर सिन्हा ने उस व्यक्ति की जानकारी बाहर कर दी होती जिसे जान से मारने और बलात्कार की धमकी दी जा रही है? और क्या यह वास्तव में ठीक है? वो पुरुष हैं जिनकी पहचान उजागर की गई है!
जिस व्यक्ति की पहचान सिन्हा ने पहले बताई थी, उनमें से एक अशांत राज्य से है। सिन्हा के रहस्योद्घाटन ने उन्हें एक ‘मार्क्ड मैन’ (जिसकी व्यक्तिगत पहचान से लोग वाकिफ़ हो चुके हैं) बना दिया। अर्थात एक तरह से उसकी जान जोख़िम में डाल दी।
I come from a volatile state with rampant jihadi activity- if anything untoward happens to me. @free_thinker will be responsible for that. As a law abiding citizen, I am free to keep my identity anonymous and he has revealed it with a motive to harm me.
— Manas Jyoti Sarma (@AssamSahasi) January 25, 2019
कौन ज़िम्मेदारी लेगा यदि जिसकी पहचान ऊपर बताई गई है, ऐसे किसी भी व्यक्ति के साथ कुछ अनहोनी हो जाए तो? जानकारी के लिए बता दूँ कि वे किसी सार्वजनिक पद पर नहीं है। इसलिए, उनकी व्यक्तिगत पहचान से किसी को भी कोई वास्ता नहीं होना चाहिए।
इससे भी बुरी बात क्या हो सकती है कि सिन्हा ‘गुमनाम अकाउंट’ को पब्लिक करने के लिए ‘फ़ैक्ट-चेकिंग’ को ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहा है। उसने निजी पहचान को इसलिए पब्लिक कर दिया क्योंकि वह ‘वायरल मिसइन्फॉर्मेशन’ की जाँच कर रहा था। जबकि लिखने वाले ने ख़ुद स्वीकार किया था कि यह व्यंग्य था। हुआ ये कि, कुछ लोगों ने व्यंग्य लिखा। यह वायरल हो गया। व्यंग्य शायद इतना वास्तविक लगा कि लोगों ने ग़लती से इसे सच समझ लिया। और शूरवीर, प्रतीक सिन्हा ग़रीबों के एसीपी प्रद्युम्न की भूमिका में कीबोर्ड लेकर ‘जाँच’ में जुट गए। सिन्हा ने फ़ैक्ट-चेक की आड़ में निजी व्यक्तियों की वास्तविक पहचान ढूँढकर पब्लिक कर दिया। व्यंग्य लिखने वालों का गुनाह सिर्फ़ यह है कि उनका व्यंग्य ज़बरदस्त और मारक है जो शायद प्रतीक सिन्हा की समझ से बाहर है।
यह पहली बार नहीं है जब सिन्हा ने किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत पहचान को पब्लिक किया है। इससे पहले, एक ट्विटर उपयोगकर्ता ने गोपनीयता भंग करने के लिए सिन्हा के ख़िलाफ़ मुक़दमा भी दर्ज़ कराया था और व्यक्तिगत छवि को नुक़सान पहुँचाने के एवज़ में 5 करोड़ रुपए का दावा ठोका था।
इससे पहले प्रतीक सिन्हा ने अपनी स्टॉकर टेन्डेन्सी का परिचय देते हुए (जिस पर अगर सिन्हा ने लग़ाम नहीं लगाई तो ख़तरनाक आपराधिक जुर्म में भी तब्दील हो सकती है) राहुल रौशन (Rahul Roushan) से जुड़ी निजी जानकारियों को पब्लिक कर दिया था। टॉर्गेटिंग और स्टॉकिंग की सीमा लाँघते हुए प्रतीक सिन्हा ने उनकी पत्नी के साथ ही मात्र दो-माह छोटी बच्ची से जुड़ी निजी जानकारियाँ भी पब्लिक कर दी थी।
सिन्हा एकमात्र ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जिन्होंने ऐसी आपराधिक प्रवृत्ति प्रदर्शित की है। ट्रोल स्वाति चतुर्वेदी ने एक पुस्तक लिखी है जिसमें निजी व्यक्तियों की निजी जानकारी को शामिल किया गया है। उन सबको ‘ट्रोल्स’ के रूप में लेबल किया गया है जो प्रधानमंत्री मोदी का समर्थन करते हैं।
स्वाति चतुर्वेदी, OpIndia (English) की सह-संस्थापक को डॉक्स करते हुए, उनकी व्यक्तिगत जीवन के पीछे पड़ गई थी।
बज़फीड (BuzzFeed) के एक अन्य तथाकथित पत्रकार, प्रणव दीक्षित ने भी एक महिला को ऑनलाइन स्टॉक किया। चूँकि वो उनसे असहमत थी, इसलिए प्रणव दीक्षित ने उसका लिंक्डइन प्रोफ़ाइल ढूँढा और एक ईमेल लिखकर उसके नियोक्ताओं से पूछा कि क्या वे जानते हैं कि उनका एक कर्मचारी उनसे असहमत है। फिर भी कमाल की बात ये है कि ये सभी धुरंधर गोपनीयता के चैंपियन हैं।
अभी तक कुछ तथाकथित पत्रकार ही उन लोगों को परेशान करते हैं जो उनसे असहमत थे, इतना ही काफ़ी नहीं था। तृणमूल कॉन्ग्रेस के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन (Derek O’Brien) ने अपने संसदीय विशेषाधिकार का फ़ायदा उठाते हुए, उन ट्विटर उपयोगकर्ताओं को ज़लील करने लगे जो उनसे असहमत थे।
साइबर क्राइम की बात होने पर कानून और स्पष्ट कानूनी ढाँचे के अभाव में, ऐसे लोगों का ऑनलाइन स्टॉकिंग और उत्पीड़न जैसे अपराधों में शामिल होने के बाद भी बच निकलना आसान हो जाता है। ख़ासकर, तब जब उन्हें एक निश्चित तबके से संरक्षण प्राप्त होता है। इंटरनेट के इस युग में, जब कोई भी जानकारी महज़ कुछ ही क्लिक में हासिल हो जाने वाली हो तो ऐसे दौर में, डेटा का उपयोग एक हथियार के रूप में करते हुए, ऐसे अपराधी मानसिकता के लोग निजी व्यक्तियों को बहुत अधिक नुक़सान पहुँचा सकते हैं। इन पर नियंत्रण ज़रूरी है।