“कुत्ते ने गाय को काटा, मालिकों में हुआ बवाल” ऑपइंडिया जैसे राष्ट्रीय स्तर पर जाने जाने वाले पोर्टल के कवर करने लायक खबर नहीं है। और यह बात हम किसी दर्प में नहीं, अपनी पत्रकारिक जिम्मेदारी में कह रहे हैं- जिम्मेदारी उन लाखों पाठकों की जो अपना समय हमारे पोर्टल को देते हैं, हमारे साथ आर्थिक सहयोग करते हैं और हमारी खबरें अपने सोशल मीडिया अकाउंट से शेयर करते हैं।
हमने कलम देश में एक गलत लेकिन प्रचलित नैरेटिव का काउंटर-नैरेटिव बनने के लिए उठाई है। लेकिन आज हमें ऐसी ‘छोटी’ खबर इसलिए कवर करनी पड़ रही है, क्योंकि यह दिखाना ज़रूरी है कि जिस नैरेटिव को काउंटर करने के लिए हम लड़ रहे हैं, वह कितने सूक्ष्म स्तर तक पैबश्त है। कितनी गहरी उसकी जड़ें हैं और कैसे वह छोटी-से-छोटी घटना पर अपना ‘एंगल’ लगाने में नहीं हिचकिचाता।
पटना के एक मोहल्ले बाकरगंज में एक व्यक्ति के कुत्ते ने दूसरे पड़ोसी की गाय को काट लिया तो दोनों में बवाल हो गया। यह दुर्भाग्यपूर्ण लेकिन सामान्य बात है। हमारे देश में तो “तेरे पेड़ की छाया मेरे कपड़े नहीं सूखने दे रही” पर हिंसक बवाल होते हैं, लोग ₹20 के विवाद पर ₹60-70 की गोली चलाकर हत्या कर देते हैं। और इसीलिए पुलिस का भी त्वरित पहुँचना कोई ‘बड़ी खबर’ नहीं है।
बड़ी खबर है नवभारत टाइम्स जैसे बड़े समाचार पत्र, जिसकी खबरों का संदर्भ अक्सर ऑपइंडिया भी लेता है, के पत्रकार का इसे ‘मुस्लिम कुत्ते ने हिन्दू के गाय को काटा’ जैसा वाहियात एंगल देना। ट्विटर पर नवभारत टाइम्स के पत्रकार नरेंद्र नाथ मिश्रा ने यही किया। बिना किसी सबूत के उन्होंने यह अफ़वाह उड़ाई कि हिन्दू “मुस्लिम के कुत्ते” की अफ़वाह सुनकर बवाल काटने लगे और बाद में कुत्ते का मालिक हिन्दू निकलने पर शांत हो गए। जिस दैनिक भास्कर की खबर को उन्होंने अपने ट्वीट के साथ लिंक किया है, उसमें ऐसा कुछ नहीं है। विरोध होने पर भी उन्होंने न अपने एंगल के पक्ष में कोई सबूत पेश किया और न ही अपनी गलती मानी।
The report he links talks nothing about dog belonging to a Muslim or anything about ownership of animals, or even about such rumours. But Harishchandra ke khaandaan ke honge yeh so let’s RT https://t.co/pTnFI1BeSh
— Rahul Roushan (@rahulroushan) July 28, 2019
जी ..कुत्ता एक ज्वेलर्स का निकला। सारे नाम भी हैं। जरूरत हो तो। 🙂
— Narendra nath mishra (@iamnarendranath) July 28, 2019
भाई @iamnarendranath जी, ये विडियो रिपोर्ट उसी धटना की है, आपने जिस तरह से इसे सांप्रदायिक रंग दिया वो पता चल रहा है। ज्वेलर ने अपने घर के सामने गाय बांघने का विरोध किया और कुत्ता छोड़ दिया, गाय जख्मी है, ज्वेलर ने गाय मालिक पर पत्थड़ फेंके फिर बवाल हुआhttps://t.co/8cLyyqSiCr
— Mihir Jha ✍️ (@MihirkJha) July 28, 2019
आपके ट्वीट के बाद, कुछ न्यूज पोर्टल पे ये “मुस्लिम” कुत्ते वाली खबर चली, अब उन्होंने भी डीलीट कर दिया है pic.twitter.com/gMoS5GYKWs
— Mihir Jha ✍️ (@MihirkJha) July 28, 2019
Every Local News Paper, Web Portal & YouTube report says that it was the owner of the dog who got p!ssed off with the Cow owner keeping cow near his gate (a common thing in Patna). Yet u gave it a communal colour. I spent 30mins & didn’t find any reference of Religion. pic.twitter.com/L9FFmBRtuF
— Mihir Jha ✍️ (@MihirkJha) July 28, 2019
मिश्रा जी जैसे बड़े पत्रकारों से सत्य और तथ्य की लकीर बड़ी करने की उम्मीद की जाती है, न कि फ़ेक न्यूज़ के दौर में सिकुड़ रही लकीर को और छोटा करते जाने की। बेहतर होगा यह काम मिश्रा जी हिटलर का लिंग नापने वालों और जीजा-साली के प्रेम संबंधों से लेकर नाबालिगों की डॉक्सिंग और छह महीने की बच्ची की स्टॉकिंग का शगल रखने वालों के लिए छोड़ दें। आप ‘गंभीर’ पत्रकार हैं, पत्रकारिता में गंभीरता दिखाएँ।