Friday, November 8, 2024
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मेरी बात को तोड़ा-मरोड़ा: पीवी सिंधु ने TOI को लताड़ा

IOA अगले राष्ट्रमंडल खेलों में शूटिंग को शामिल न किए जाने को लेकर इन खेलों के बर्मिंघम में होने वाले अगले संस्करण का बहिष्कार करने का मन बना रहा है।

ओलम्पिक पदक विजेता शटलर पीवी सिंधु ने अपने शब्द तोड़-मरोड़ कर पेश करने के लिए टाइम्स ऑफ़ इंडिया के पत्रकार को लताड़ लगाई है। सिंधु का कहना है कि TOI संवाददाता मन्ने रत्नाकर ने उनके कहे को कुछ-का-कुछ बना दिया है। एक अन्य बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा ने भी ट्विटर पर सिंधु का समर्थन किया है।

कॉमनवेल्थ गेम्स का मसला

कॉमनवेल्थ गेम्स के मामले पर टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने दावा किया था कि अभिनव बिंद्रा और गगन नारंग के बाद सिंधु ने भी CWG का बहिष्कार न करने की इंडियन ओलम्पिक एसोसिएशन (IOA) से अपील की है। बताया जा रहा है कि IOA अगले राष्ट्रमंडल खेलों में शूटिंग को शामिल न किए जाने को लेकर इन खेलों के बर्मिंघम में होने वाले अगले संस्करण का बहिष्कार करने का मन बना रहा है। IOA अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा ने खेल मंत्री किरण रिजिजू को पत्र लिखकर इस मसले पर विचार करने के लिए बैठक की माँग की है

इसी को लेकर बीजिंग ओलम्पिक में शूटिंग में स्वर्ण पदक जीतने वाले अभिनव बिंद्रा और लंदन ओलम्पिक के काँस्य विजेता गगन नारंग ने IOA से ऐसा न करने की अपील की थी। बाद में 2016 के रियो ओलम्पिक में रजत जीतने वाली सिंधु के हवाले से TOI ने दावा किया कि उन्होंने भी IOA से बहिष्कार न करने की अपील की है।

लेकिन सिंधु ने साफ तौर पर कहा है कि उन्होंने ऐसा कभी नहीं कहा था। उनके अनुसार उन्होंने कहा था कि एथलीट होने के नाते (ऐसी प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में) वह हिस्सा अवश्य लेना चाहतीं हैं, लेकिन साथ में यह भी जोड़ा था कि ऐसा देश की कीमत पर नहीं होगा। वह IOA और सरकार के हर फैसले के साथ हैं।

ज्वाला गुट्टा ने सिंधु के ट्वीट का समर्थन करते हुए कहा कि ऐसी घटना पहली बार नहीं हुई है। यानी मन्ने रत्नाकर ऐसा पहले भी कर चुके हैं।

मीडिया की विश्वसनीयता घेरे में

यह घटना एक बार फिर दिखाती है कि मीडिया कि विश्वसनीयता पर लग रहे प्रश्नचिह्न क्यों सही हैं। आज जब आम और खास, हर आदमी पेशेवर पत्रकारों पर विश्वास करने से कतराता है, तो इसके लिए गम्भीरतापूर्वक, विचारपूर्वक कोई हल निकालने की बजाय चंद मिनटों की चिरकुटई लूटने के लिए पत्रकार ऐसी हरकतें कर खुद की ही नहीं, पूरे पेशे की कब्र खोद रहे हैं।

मोदी ने पहले ही खास आदमी को यह दिखा दिया है कि उसे आम आदमी से संवाद करने के लिए बिचौलिए की ज़रूरत नहीं है। आम आदमी सोशल ट्रेंडों की ताकत से खास लोगों से संवाद कर ही रहा है। इस बीच बाबा रामदेव के इंटरव्यू से छेड़छाड़ जैसी घटनाओं से भी मीडिया की विश्वसनीयता गिरती गई है। इसीलिए अख़बारों के सब्सक्रिप्शन घट रहे हैं, चैनलों को टीवी पर कोई देखना नहीं चाहता। ऐसे में इस तरह की ओछी हरकत की उम्मीद देश के सबसे ज़्यादा बिकने वाले अख़बारों में से एक से तो नहीं थी!

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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