Friday, November 22, 2024
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‘डिलीवरी बॉय ने दी बहन की गाली, कहा था – दिखाता हूँ मैं कौन हूँ’: जिस खबर में मीडिया ने ढूँढा दलित एंगल, वो निकला कुछ और

"शायद मेरे ट्रू कॉलर पर देख कर कुछ लोगों को शक हो गया हो कि मैं सवर्ण हूँ। जबकि मैं OBC समुदाय से हूँ। जब आर्डर दिया गया तब मैं अपने घर पर था ही नहीं। मैं तो बाद में आया।"

UP की राजधानी में लखनऊ में 19 जून, 2022 (रविवार) को आशियाना थाने में एक FIR दर्ज करवाई जाती है। केस दर्ज करवाने वाले व्यक्ति का नाम विनीत कुमार रावत है जो SC समुदाय से हैं। उन्होंने अजय सिंह के खिलाफ खुद के मुँह पर थूकने, जातिसूचक शब्द बोलने, गालियाँ देने और मारपीट करने का आरोप लगाया। घटना एक दिन पहले 18 जून की बताई गई।

FIR Copy

इस शिकायत के मुताबिक, “18 जून को मैं जोमैटो का आर्डर देने आशियाना में अजय सिंह के पास देने गया। तभी बाहर आए एक व्यक्ति ने मेरा नाम पूछा। मेरे द्वारा अपना नाम बताने पर उसने मुझे जातिसूचक शब्द बोलते हुए कहा कि वो दलित होने के नाते मेरे हाथ से सामान नहीं लेगा। इस पर मैंने आर्डर कैंसिल करने को कहा तब उसने मेरे मुँह पर तम्बाकू थूक दिया। साथ ही मुझे गालियाँ देने लगा। तभी घर के अंदर से लगभग 1 दर्जन लोग निकले और अजय सिंह आदि ने मिल कर मुझे लाठी-डंडे से मारा। मैं जान बचा कर भागा और 112 पर पुलिस को बुलाया। पुलिस ने मुझे मेरी गाड़ी दिलवाई। मुझे चोटें भी आईं हैं।”

आरोपित और धाराएँ

मीडिया संस्थानों ने लगाया जातिवाद का तड़का

इस खबर में बिना पुलिस की जाँच रिपोर्ट आए ही इसमें मीडिया संस्थानों ने जातिवाद का तड़का लगा दिया। इस तड़के के लिए आधार आरोपों को बनाया गया। दैनिक भास्कर ने हेडलाइन दी, “लखनऊ में दलित डिलीवरी बॉय से खाना लेने से इनकार:मुंह पर थूका, गालियां देकर पीटा; 2 नामजद समेत 14 पर केस”

दैनिक भास्कर

बोलता हिंदुस्तान नाम के हैंडल से फोटो सहित ट्वीट हुआ, “‘दलितों के हाथ का छुआ खाना नहीं खाते हम’. ये कहते हुए लखनऊ में Zomato के दलित डिलीवरी बॉय के ‘मुंह पर थूंका’

चित्र साभार- ट्विटर

आज तक ने हेडलाइन दी, “दलित हूँ। इसलिए खाना नहीं लिया और मुँह पर थूका। डिलीवरी बॉय का आरोप”

आज तक

इंडिया TV ने लिखा, “UP लखनऊ में डिलीवरी बॉय के दलित होने से शख्स ने नहीं लिया खाना, कर दी पिटाई”

इंडिया TV

द क्विंट ने बताया, “डिलीवरी बॉय का आरोप- दलित होने की वजह से नहीं लिया खाना, मुँह पर थूका”। इसी के सब हेड में क्विंट ने लिखा, “विरोध करने पर घर से 12 से ज्यादा लोग डंडे ले कर निकल आए और डिलीवरी बॉय को दौड़ा कर पीटने लगे।”

द क्विंट

एशिया नेट, ABP , अमर उजाला और न्यूज़ 18 ने भी इसी एंगल से खबरें पब्लिश कीं।

मीडिया रिपोर्ट्स

जातिवादी नेताओं ने भी मुद्दे को दी हवा

कुछ ही देर बाद इन्ही मीडिया रिपोर्ट्स को आधार बना कर चंद्रशेखर रावण, दिलीप मंडल और कुछ अन्य कथित दलित हित चिंतकों ने ट्वीट करने शुरू कर दिए। किसी के निशाने पर देश, किसी के निशाने पर सरकार और कुछ के निशाने पर अन्य जातियाँ थीं।

साभार- ट्विटर

शिकायतकर्ता विनीत ने नहीं उठाया फोन

ऑपइंडिया ने इस मामले में शिकायतकर्ता विनीत को कई बार फोन किया लेकिन उनका फोन नहीं उठा। उनकी कॉलर ट्यून है, “जानी, तुमने एक शेर को फोन किया है। तो सब्र रख। शेर अपने हिसाब से फ़ोन उठाएगा। जब मूड होगा तब जवाब देगा। वरना फोन काट देगा। क्योंकि हम मोबाइल फोन शौक के लिए रखते हैं। वरना हमने बात करने के लिए हमसे रूबरू आना पड़ता है। अब तो तुम हमें जान गए होंगे।”

आरोपित ने कहा, “हम सवर्ण नहीं बल्कि OBC”

ऑपइंडिया ने इस मामले की जानकारी आरोपित अजय सिंह से ली। उन्होंने बताया, “शायद मेरे ट्रू कॉलर पर देख कर कुछ लोगों को शक हो गया हो कि मैं सवर्ण हूँ। जबकि मैं OBC समुदाय से हूँ। जब आर्डर दिया गया तब मैं अपने घर पर था ही नहीं। मैं तो बाद में आया। तब तक मेरा भाई डिलीवरी बॉय से मिला और उस से ऑर्डर खुद को देने के लिए कहा। उसमें मोमोज थे जो मैंने अपने बच्चों के लिए मँगवाए थे। जोमैटो वाले ने मेरे भाई को आर्डर देने से मना कर दिया। मेरा भाई पान-मसाला खाता है। उसने बात करने के लिए पीक जमीन में थूका तो कुछ छींटे डिलीवरी बॉय की स्कूटी पर गिरे। इस बार उसने मेरे भाई को अंधा कहा और गाली देने लगा।”

अजय सिंह ने आगे कहा, “तब तक मैं घर आ चुका था। मैंने डिलीवरी बॉय से अपने भाई के साथ की गई बदतमीजी की वजह पूछी तो उसने मुझे बहन की गाली दी। थोड़ी देर बाद वो मुझ से खुद से ही धक्का-मुक्की करने लगा। जब उसने मुझे धक्का दिया तब मैंने भी उसको धक्का दिया। कुछ देर बाद वो ये कहता हुआ चला गया कि अभी थोड़ी देर में तुम्हें पता चल जाएगा कि मैं कौन हूँ।”

मेरे घर में कुल 4 ही लोग, 10-12 का आरोप गलत

अजय सिंह ने बताया, “मेरे घर में मेरे बच्चों के अलावा मेरी बीवी और मेरा भाई पति-पत्नी रहते हैं। कुल वयस्क 4 लोग ही हैं मेरे परिवार में। फिर 12 लोगों के घर से निकलने का आरोप कैसे सही होगा? बाद में डिलीवरी बॉय 112 नंबर पर पुलिस को बुला कर लाया। तब तक मेरे मोहल्ले के आस-पास के लोग भी आ चुके थे। वो सब उसी डिलीवरी बॉय को ही गलत कह रहे थे। पुलिस ने मुझसे थूकने की बात पूछी तो मैंने डिलीवरी बॉय के चेहरे, शर्ट या कहीं भी एक बूँद भी पान, तम्बाकू आदि के छींटे दिखाने को कहा तब वो नहीं दिखा पाया। साथ ही उसको कहीं चोट भी नहीं लगी थी। इसलिए पुलिस के आगे ही वो अपनी गाडी ले कर चलगा गया।”

अगर गलत होता तो पुलिस देख कर भाग न जाता?

अजय सिंह ने आगे कहा, “अगर हम गलत होते तो उसी समय डायल 112 पर पुलिस को आता देख कर भाग न गए होते? हम अभी भी अपने कारोबार में ज्यों के त्यों लगे हुए हैं। हमने गलत नहीं किया है इसलिए हमें प्रशासन पर पूरा भरोसा है कि हमारे साथ भी गलत नहीं होगा।”

छुआछूत मानते तो जोमैटो से खाना मँगवाते?

आरोपित किए गए अजय ने आगे बताया, “हम पर छुआछूत मानने का आरोप लगाया जा रहा है। अगर हम छुआछूत को मानते तो क्या जोमैटो से खाना मँगवाते? क्या तब हम ये न सोचते कि न जाने इसको किसने बनाया हो? इस से पहले भी हम कई बार खाना ऑर्डर कर चुके हैं। लेकिन कभी भी किसी और न हम पर ऐसा आरोप नहीं लगाया।”

आरोपित के घर के एक अन्य रसोइए ने भी डिलीवरी बॉय के खिलाफ पुलिस में शिकायत देते हुए उस पर अजय सिंह के घर बदतमीजी करने, धक्कामुक्की और धमकी देने का आरोप लगाया है।

शिकायत

हमारे बच्चों को देखने वाली आया और ऑफिस में कुक दलित ही

अजय सिंह ने आगे कहा, “हमारे घर में बच्चों को देखने वाली आया और ऑफिस में हमारा खाना बनाने वाली कुक दोनों दलित हैं। अगर हम ये सब मानते तो क्या उन्हें काम पर रखते?” ऑपइंडिया से बात करते हुए कुक माधुरी ने कहा, “हम 6 साल से अजय सिंह के घर काम कर रहे है। हमारी पूरी मदद करते हैं ये। हमारे घर बनवाने, शादी ब्याह और बीमारी में इन्होंने हमारी कई बार मदद की है।” इसी के साथ अजय सिंह के घर काम करने वाली दलित समुदाय की आया आरती रावत ने भी जोमैटो के डिलीवरी बॉय द्वारा लगाए गए आरोपों को झूठ बताया और खुद मौके पर होना स्वीकार किया।

“अभी जाँच जारी, हम किसी निष्कर्ष पर नहीं” : पुलिस

लखनऊ पुलिस के ADCP पूर्व एस एम कासिम आबिदी ने बताया, “अभी हमारी जाँच जारी है। आरोपित पक्ष ने भी अपने पक्ष में काफी सबूत दिए हैं। हम CCTV आदि की भी पड़ताल कर रहे हैं। आरोपित के घर और ऑफिस में भी दलित स्टाफ हैं। फ़िलहाल हम हर पहलू पर जाँच कर रहे हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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