Monday, November 18, 2024
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पहली बार सेना भर्ती में पूछी जा रही है जाति? झूठ फैलाने वालों में AAP नेता संजय सिंह भी, लोगों ने पूछा – कभी कोई भर्ती फॉर्म भरा भी है?

संजय सिंह को समझाया जा रहा है कि ये जाति प्रमाण दिखाने का नियम आज से नहीं बल्कि काफी समय से है। एक यूजर उन्हें कहता है, "लगता है आपने कभी किसी भर्ती का कोई फॉर्म नहीं भरा। वरना इस तरह की बातें नहीं करते।

नरेंद्र मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने आज (19 जुलाई 2022) एक बार फिर सोशल मीडिया पर झूठ फैलाया है। उन्होंने मोदी सरकार को घेरने के लिए अपने ट्वीट में दावा किया कि मोदी सरकार दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को योग्य नहीं मान रही, इसलिए पहली बार सेना में भर्ती के लिए जाति प्रमाण पत्र माँगा जा रहा है।

संजय सिंह ने अभ्यार्थियों की सुविधा के लिए जारी होने वाले जरूरी डॉक्यूमेंट की लिस्ट का एक पेज शेयर कर उसे हाई लाइट किया। इसे ऐसे दिखाया गया कि अब सेना भर्ती के लिए जाति और धर्म के प्रमाण पत्र कितने ज्यादा जरूरी हैं। अपने ट्वीट में संजय सिंह लिखते हैं, 

“मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ चुका है। क्या मोदी जी दलितों/पिछड़ों/आदिवासियों को सेना भर्ती के काबिल नहीं मानते? भारत के इतिहास में पहली बार ‘सेना भर्ती’ में जाति पूछी जा रही है। मोदी जी आपको अग्निवीर बनाना है या जातिवीर।”

संजय सिंह के इस ट्वीट को देखने के बाद पीबीआई फैक्ट चेक ने इस दावे को झूठा बताया है। फैक्ट चेक में लिखा है कि जैसा कि दावा हो रहा है कि भारत के इतिहास में पहली बार सेना भर्ती में जाति पूछी जा रही है… ये दावा बिलकुल गलत है। सेना भर्ती के लिए जाति प्रमाण पत्र दिखाने का प्रावधान पहले से ही है। इसमें विशेष रूप से अग्निपथ योजना के लिए कोई बदलाव नहीं किया गया है।

इस फैक्टचेक के अलावा सोशल मीडिया यूजर्स भी संजय सिंह को समझा रहे हैं कि ये जाति प्रमाण दिखाने का नियम आज से नहीं बल्कि काफी समय से है। एक यूजर उन्हें कहता है, “लगता है आपने कभी किसी भर्ती का कोई फॉर्म नहीं भरा। वरना इस तरह की बातें नहीं करते।

बता दें कि सेना में जाति, धर्म देखकर भर्ती करने का मुद्दा पहली बार नहीं उठा। साल 2013 में भी सुप्रीम कोर्ट में आर्मी ये साफ कर चुकी है कि वो जाति, धर्म और क्षेत्र देखकर लोगों की भर्ती नहीं करते हैं। लेकिन एक रेजिमेंट में एक क्षेत्र से आने वाले लोगों के समूह को प्रशासनिक सेवा और सुविधाएँ देने के लिए ऐसा किया जाता है। जाति-धर्म की चयन प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं होती।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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