नरेंद्र मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने आज (19 जुलाई 2022) एक बार फिर सोशल मीडिया पर झूठ फैलाया है। उन्होंने मोदी सरकार को घेरने के लिए अपने ट्वीट में दावा किया कि मोदी सरकार दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को योग्य नहीं मान रही, इसलिए पहली बार सेना में भर्ती के लिए जाति प्रमाण पत्र माँगा जा रहा है।
संजय सिंह ने अभ्यार्थियों की सुविधा के लिए जारी होने वाले जरूरी डॉक्यूमेंट की लिस्ट का एक पेज शेयर कर उसे हाई लाइट किया। इसे ऐसे दिखाया गया कि अब सेना भर्ती के लिए जाति और धर्म के प्रमाण पत्र कितने ज्यादा जरूरी हैं। अपने ट्वीट में संजय सिंह लिखते हैं,
“मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ चुका है। क्या मोदी जी दलितों/पिछड़ों/आदिवासियों को सेना भर्ती के काबिल नहीं मानते? भारत के इतिहास में पहली बार ‘सेना भर्ती’ में जाति पूछी जा रही है। मोदी जी आपको अग्निवीर बनाना है या जातिवीर।”
संजय सिंह के इस ट्वीट को देखने के बाद पीबीआई फैक्ट चेक ने इस दावे को झूठा बताया है। फैक्ट चेक में लिखा है कि जैसा कि दावा हो रहा है कि भारत के इतिहास में पहली बार सेना भर्ती में जाति पूछी जा रही है… ये दावा बिलकुल गलत है। सेना भर्ती के लिए जाति प्रमाण पत्र दिखाने का प्रावधान पहले से ही है। इसमें विशेष रूप से अग्निपथ योजना के लिए कोई बदलाव नहीं किया गया है।
दावा: भारत के इतिहास में पहली बार सेना भर्ती में जाति पूछी जा रही है। #PIBFactCheck
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) July 19, 2022
▶️ यह दावा फ़र्ज़ी है।
▶️ सेना भर्ती के लिए जाति प्रमाण पत्र दिखाने का प्रावधान पहले से ही है।
▶️ इसमें विशेष रूप से #AgnipathScheme के लिए कोई बदलाव नहीं किया गया है। pic.twitter.com/ryxlWM6iso
इस फैक्टचेक के अलावा सोशल मीडिया यूजर्स भी संजय सिंह को समझा रहे हैं कि ये जाति प्रमाण दिखाने का नियम आज से नहीं बल्कि काफी समय से है। एक यूजर उन्हें कहता है, “लगता है आपने कभी किसी भर्ती का कोई फॉर्म नहीं भरा। वरना इस तरह की बातें नहीं करते।
lagta he form nahi bhara tune kisi bharti ka .warna chutiyapa to nahi karta kam se kam
— Mahendra patel (@Mahendr66966247) July 19, 2022
बता दें कि सेना में जाति, धर्म देखकर भर्ती करने का मुद्दा पहली बार नहीं उठा। साल 2013 में भी सुप्रीम कोर्ट में आर्मी ये साफ कर चुकी है कि वो जाति, धर्म और क्षेत्र देखकर लोगों की भर्ती नहीं करते हैं। लेकिन एक रेजिमेंट में एक क्षेत्र से आने वाले लोगों के समूह को प्रशासनिक सेवा और सुविधाएँ देने के लिए ऐसा किया जाता है। जाति-धर्म की चयन प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं होती।