Tuesday, November 5, 2024
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फैक्ट-चेक: 60 सेकेंड से कम समय में प्रियंका गाँधी झूठी साबित, जनता को बना रही थीं मूर्ख

गूगल पर केवल “varanasi road construction” सर्च कीजिए। इसमें से केवल एक लिंक उठा कर खोलते ही प्रियंका वाड्रा का दावा फुस्स हो जाता है। हद यह है कि ऐसे लोग भी देश चलाने का सपना पाले बैठे हैं।

कॉन्ग्रेस की पूर्वांचल प्रभारी और महासचिव प्रियंका वाड्रा ने प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाया कि उनके निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में पिछले 5 सालों में केवल 15 किलोमीटर की एक सड़क लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डे से वाराणसी शहर के लिए बनी है, उसके अलावा कोई सड़क ही नहीं बनी है। हमने इसका फैक्ट-चेक किया जिसमें कुल 60 सेकेंड के भीतर ही उनके इस दावे की कलई खुल गई।

एक ही रिपोर्ट काफी

हमने गूगल पर केवल “varanasi road construction” सर्च किया, जिसमें से केवल एक लिंक उठा कर खोलते ही प्रियंका वाड्रा का दावा फुस्स हो गया। आउटलुक की इस एक रिपोर्ट में प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा वाराणसी लोकसभा क्षेत्र में दो महत्वपूर्ण सड़कों के लोकार्पण की खबर है, जिनकी कुल लंबाई 34 किलोमीटर है। यह सड़कें हैं राष्ट्रीय राजमार्ग 56 पर 17.25 किलोमीटर की वाराणसी-बाबतपुर सड़क, और 16.55 किलोमीटर की वाराणसी रिंग रोड (फेज़-1)।

यानी एक ही रिपोर्ट में प्रियंका के दावे से दोगुनी से ज्यादा की सड़कें निकल आईं। हमने अपना फैक्ट-चेक उसी जगह रोक दिया क्योंकि अगर किसी के दावे के विपरीत दुगना सबूत 1 मिनट के भीतर निकल आए तो उस पर अपना और अपने पाठकों का और समय व्यर्थ करना हमने उचित नहीं समझा।

क्या केवल झूठ पर ही टिकी है कॉन्ग्रेस की राजनीति?

प्रियंका वाड्रा का यह झूठ वर्तमान निर्वाचन प्रक्रिया में झूठों की बौछार की कॉन्ग्रेस की आखिरी रणनीति का ही हिस्सा है। इसी नीति के तहत कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी राफ़ेल-राफ़ेल करते देश में घूम रहे हैं, और कोई उनके झूठ को नहीं मान रहा। इधर उन्होंने न केवल अपने झूठ को सुप्रीम कोर्ट के हवाले से बोलने शुरू कर दिए हैं (जिसके लिए उन्हें न्यायालय की अवमानना का नोटिस भी जारी हो चुका है), बल्कि अब तो वे एक निजी उद्यमी अनिल अंबानी को सीधे-सीधे नाम लेकर बदनाम करने पर तुले हैं- वह भी बिना एक कतरे सबूत के। और अब प्रियंका का यह झूठ…

झूठ भी कैसा? जो एक मिनट में धराशायी हो गया! यानी या तो प्रियंका बिना कुछ सोचे-समझे रैलियों में जो मुँह में आया बोल दे रहीं हैं, और या फिर उन्होंने देश की जनता को इतना बेवकूफ़ समझा था कि वह जानबूझकर ऐसा झूठ बोल गईं, क्योंकि उन्हें लगा कि बेवकूफ़ जनता कभी गूगल पर जाँच ही नहीं करेगी उनके दावे की। यह इस देश की राजनीति के लिए बहुत दुखद है कि देश के सबसे पुराने राजनीतिक संगठन का शीर्ष नेतृत्व आज ऐसे लोगों के हाथ में है जो या तो बिना सोचे-समझे चुनावी रैलियों में कोई भी अनर्गल दावा कर रहे हैं, और नहीं तो देश की जनता को इतना निपट मूर्ख मानते हैं कि झूठ भी मरियल-सा बोलते हैं क्योंकि उन्हें लगता है जनता में उनके झूठ पकड़ने की काबिलियत ही नहीं है।

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