तृणमूल कॉन्ग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता साकेत गोखले (Saket Gokhale) ने अग्निपथ योजना को लेकर दाखिल की गई आरटीआई के खारिज होने के बाद अपने भ्रामक दावों से जनता को गुमराह करने की कोशिश की। साकेत गोखले ने सोमवार (25 जुलाई 2022) को सिलसिलेवार कई ट्वीट कर अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme) के बारे में सोशल मीडिया पर गलत सूचना फैलाई। टीएमसी नेता ने दावा किया कि केंद्र सरकार सशस्त्र बलों से संबंधित मामलों में राष्ट्रपति से परामर्श नहीं करती है।
उन्होंने अपने ट्वीट में राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा भेजे गए एक आरटीआई और उसके जवाब को साझा करते हुए दावा किया, “सशस्त्र बलों से संबंधित मामलों में केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रपति से परामर्श नहीं किया जाता है। यह भारत के राष्ट्रपति का अपमान है।”
साकेत गोखले के भ्रामक दावे
गोखले ने 21 जून को भारत के राष्ट्रपति कार्यालय में अवर सचिव (RTI) को एक RTI भेजकर अग्निपथ योजना की जानकारी माँगी थी। उन्होंने कार्यालय से पूछा था कि क्या सेना में भर्ती के लिए हाल ही में शुरू की गई अग्निपथ योजना के लिए भारत सरकार या मंत्रिपरिषद द्वारा राष्ट्रपति से परामर्श किया गया था। उन्होंने आगे इस मामले पर भारत के राष्ट्रपति और राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा भारत सरकार से प्राप्त और भेजी गई सभी फाइलों की प्रतियाँ माँगी।
गोखले ने दावा किया कि मोदी सरकार ने आरटीआई का जवाब देने से इनकार करते हुए कहा कि ऐसी जानकारी सार्वजानिक करने से भारत की संप्रभुता और अखंडता प्रभावित होगी। गोखले के अनुसार, यह तर्क बेहद अजीब था। उन्होंने आगे दावा किया कि मोदी सरकार सशस्त्र बलों से संबंधित मामलों पर भारत के राष्ट्रपति से परामर्श नहीं करती है और जानकारी छिपाती है।
भारत सरकार ने सूचना को सार्वजनिक करने से किया इनकार
उनके ट्वीट को देखकर ऐसा लगता है कि राष्ट्रपति कार्यालय ने उनके आरटीआई आवेदन को सैन्य मामलों के विभाग को भेज दिया था, जिसने इसे खारिज कर दिया था। आवेदन को आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (ए) के तहत खारिज कर दिया गया था, जिसमें कहा गया है, “इस सूचना को सार्वजनिक किए जाने से भारत की संप्रभुता और अखंडता, देश की सुरक्षा, दूसरे देशों के साथ सम्बंधों, रणनीति, वैज्ञानिक और आर्थिक हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।”
बता दें कि साकेत गोखले आरटीआई दाखिल कर सशस्त्र बलों में भर्ती के संबंध में गोपनीय दस्तावेज माँग रहे थे। यह स्पष्ट है कि रक्षा विभाग द्वारा ऐसी कोई भी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती है, क्योंकि यह गलत हाथों में जा सकती है। दिलचस्प बात यह है कि जवाब में कहीं भी सैन्य मामलों के विभाग ने यह नहीं कहा कि नई भर्ती योजना के बारे में भारत के राष्ट्रपति से सलाह नहीं ली गई थी, लेकिन जानकारी साझा नहीं कर के गोखले बिना सोचे समझे इस नतीजे पर पहुँचे कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति से परामर्श नहीं किया था।