Saturday, November 23, 2024
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‘पिराना में RSS के गुंडे घुस आए हैं, मुस्लिमों को गाँव छोड़ने को कर रहे मजबूर’: नासिर शेख ने 3 वीडियो से ऐसे फैलाया झूठ, पकड़ा गया तो कहा- माफी माँग ली

नासिर शेख अकेला नहीं था जिसने यह झूठ फैलाया कि मुसलमान गाँव छोड़ रहे हैं। नकीब सईद नाम का एक और वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो गया था जिसमें उसने ऐसा ही आरोप लगाया था।

30 जनवरी, 2022 को पिराना अहमदाबाद पर कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए, जिसमें नासिर शेख नाम के एक व्यक्ति ने आरोप लगाया कि आरएसएस और वीएचपी कार्यकर्ताओं द्वारा मुसलमानों को पिराना छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इंडिया टीवी के पत्रकार निर्णय कपूर ने इन दावों को खारिज किया और कहा कि पिराना से मुसलमानों का बड़े पैमाने पर पलायन नहीं हुआ है। उन्होंने लगातार कई ट्वीट्स और वीडियो के जरिए यह साबित किया कि यह पूरा वायरल घटनाक्रम मनगढंत है। उन्होंने नासिर का एक वीडियो भी पोस्ट किया है जिसमें उसने फेक न्यूज़ फैलाने की बात स्वीकार की है।

अपने ट्वीट में कपूर ने कहा, “अहमदाबाद के पिराना से मुस्लिमों के पलायन का वीडियो रिकॉर्ड करने वाले नासिर ने आज एक दूसरा वीडियो जारी करके बताया कि उसने वीडियो में जिन लोगों को हिजरत करते हुए दिखाया दरअसल वो लोग कलेक्टर ऑफिस आवेदन पत्र देने जा रहे थे। नासिर ने एक ट्रस्ट के विवाद को कौमी रंग दे दिया है। ये है उसका आज का बयान जिसमें वह फेक न्यूज़ फ़ैलाने की बात खुद स्वीकार रहा है।”

ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए खुद पिराना गए कपूर ने कहा, “पिराना में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच कोई विवाद नहीं है। विवाद इमाम शाह ट्रस्ट के ट्रस्टियों से जुड़ा है।” उन्होंने कहा कि इमाम शाह बाबा ट्रस्ट पर निशाकलंकी नारायण मंदिर (Nishaklanki Narayan Mandir ) और दरगाह के बीच एक बाड़ थी। दोनों ट्रस्टों के बीच बाड़ की जगह दीवार बनाने को लेकर विवाद हो गया था। कलेक्टर के आदेश के बाद हिंदू ट्रस्टियों ने दीवार बनाने का काम शुरू किया। निर्माण के विरोध में मुस्लिम ट्रस्टियों ने मार्च निकाला।

नासिर ने आरोप लगाया कि उसे गलत सूचना दी गई

कपूर द्वारा अपलोड किए गए नए वीडियो में, अहमदाबाद के बटवा निवासी नासिर ने कहा, “जब मैं पिराना दरगाह गया, तो मैंने देखा कि लोग बड़ी संख्या में सड़क पर चल रहे हैं। किसी ने मुझसे कहा कि वे वहाँ से जा रहे हैं, लेकिन हकीकत कुछ और थी। वे पिराना नहीं छोड़ रहे हैं बल्कि ज्ञापन सौंपने के लिए कलेक्टर कार्यालय की ओर कूच कर रहे हैं।”

उन्होंने आगे कहा कि मंदिर ट्रस्ट और दरगाह ट्रस्ट के बीच मामला अदालत में था। कुछ लोगों ने इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की, लेकिन पिराना के हिंदू और मुसलमान शांति से रहते हैं। उसने कहा, “मेरे वीडियो भी वायरल हुए थे। मैं कहना चाहता हूँ कि जब मुझे सच्चाई का पता चला तो मैं पुलिस स्टेशन गया और माफी माँगी।”

नासिर ने आरोप लगाया था कि मुसलमान पिराना छोड़ रहे हैं

गौरतलब है कि 30 जनवरी को नासिर के तीन वीडियो वायरल हुए थे। पहले वीडियो में उसने अपना परिचय दिया और आरोप लगाया कि मुस्लिम पिराना छोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, ”गाँव में आरएसएस के 300-400 गुंडे घुस आए हैं। मुस्लिमों को गाँव छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। मैं मुसलमानों से अनुरोध करता हूँ कि वे जल्द से जल्द मदद भेजें। मैं मीडिया से जल्द से जल्द पिराना पहुँचने का आग्रह करता हूँ।”

दूसरे वीडियो में उन्होंने कहा, “आप देख सकते हैं पिराना एक मुस्लिम गाँव है। आरएसएस के गुंडों ने पुलिस की मदद से मुसलमानों को गाँव छोड़ने पर मजबूर कर दिया है। बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएँ समेत सभी लोग गाँव छोड़ रहे हैं।

तीसरे वीडियो में उसने भारी भीड़ को सड़क पर मार्च करते और नारे लगाते हुए दिखाया।

हालाँकि, नासिर ने आरोप लगाया कि उसे इस मामले की जानकारी नहीं थी, लेकिन एक अन्य वीडियो में उसे मंदिर के द्वार पर खड़ा देखा गया था।

मंदिर के बाहर खड़ा नासिर

नासिर शेख अकेला नहीं था जिसने यह झूठ फैलाया कि मुसलमान गाँव छोड़ रहे हैं। नकीब सईद नाम का एक और वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो गया था जिसमें उसने ऐसा ही आरोप लगाया था। उसने कहा, ”पिराना में दरगाह पर दीवार बनाई जा रही है। दरगाह को मंदिर बनाने की साजिश है। जब हमने पुलिस से संपर्क किया, तो उन्होंने कहा कि वे कुछ नहीं कर सकते क्योंकि कलेक्टर ने दीवार बनाने का आदेश दिया था। यही कारण है कि पिराना के सभी इमाम परिवारों के साथ अपना घर छोड़ चुके हैं। हम सब अपना घर छोड़ चुके हैं। मैं सभी से हमारी मदद करने का अनुरोध कर रहा हूँ। हम कानून अपने हाथ में नहीं लेंगे। आप मेरे पीछे देख सकते हैं कि पूरा समुदाय सड़क पर है।”

पिराना में वास्तव में क्या हुआ था

अहमदाबाद से 20 किलोमीटर दूर स्थित पिराना गाँव में दरगाह और मंदिर के बीच दीवार बनाने का काम शुरू होने के बाद से तनाव पैदा हो गया। गाँव में रहने वाले मुस्लिम 13 साल पुरानी फेंसिंग की जगह पर कंक्रीट की दीवार बनाने का विरोध करते रहे हैं।

विरोध-प्रदर्शन का जो वीडियो वायरल हुआ, उसे गाँव के सैयद मुस्लिम निवासियों ने अंजाम दिया। उन्होंने आरोप लगाया था कि दीवार बनने से मस्जिद और कब्रिस्तान से दरगाह तक पहुँच को रोक देगी।

25 जनवरी को ट्रस्ट की समिति द्वारा ग्यारह सदस्यों में से आठ सदस्यों के बहुमत से एक प्रस्ताव पारित होने के बाद दीवार का निर्माण शुरू हुआ था। उन्होंने मरम्मत कार्य के रूप में बाड़ को बदलने के लिए दीवार का निर्माण करने का निर्णय लिया था।

केबी पटेल, एसडीएम दसकरोई, ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “जिला कलेक्टर की अनुमति से तार के बाड़ की जगह एक दीवार बनाने का काम था। जहाँ तीन ट्रस्टियों ने दीवार के निर्माण का विरोध किया था, वहीं सुरक्षा की दृष्टि से न्यासियों द्वारा बहुमत से पारित प्रस्ताव के बाद ही दीवार बनाने के लिए कलेक्टर की अनुमति भी ली गई थी।”

गौरतलब है कि 2003 में भी गाँव में कानून-व्यवस्था की समस्या हुई थी तब पुलिस को तैनात किया गया था। असलाली पुलिस स्टेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईई के हवाले से कहा, “पिछले तीन-चार महीनों से गाँव में रुक-रुक कर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, सैय्यदों ने दरगाह परिसर में मरम्मत कार्य का विरोध किया है, लेकिन कुछ भी अप्रिय नहीं हुआ है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे ज्ञापन देने के लिए कलेक्टर कार्यालय जाएँगे, लेकिन कुछ शरारती तत्व वीडियो बनाकर और लाइव अपडेट देकर उपद्रव पैदा कर रहे थे।” पुलिस ने 64 महिलाओं सहित 133 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया था, लेकिन इस मामले में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है।

दीवार के निर्माण का विरोध करने वाले ट्रस्टियों में से एक सिराजुसैन सैय्यद ने आरोप लगाया था कि निर्माण से मंदिर की प्रकृति बदल जाएगी। उन्होंने कहा, “दीवार के साथ मंदिर के स्वरूप को बदलने की कोशिश की जा रही है। परिसर में एक कब्रिस्तान, एक मस्जिद, एक दरगाह और एक समाधि (मकबरा) शामिल है। अब, दरगाह के चारों ओर दीवार खड़ी की जा रही है, जिस पर वे (आठ ट्रस्टी) दावा करना चाहते हैं, और हमारे (सैय्यद मुसलमानों) को मस्जिद और कब्रिस्तान से दरगाह तक जाने से रोक देना चाहते हैं।

हालाँकि निर्माण का समर्थन करने वाले एक अन्य ट्रस्टी हर्षद पटेल ने आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने कहा, “अधिकांश न्यासियों की स्वीकृति और कलेक्टर की अनुमति से कार्य किया जा रहा है। यह कानून के अनुसार और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है। (तीन) अन्य ट्रस्टियों द्वारा लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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