अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर गत शनिवार को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ इंटरनेट पर ज़ोर-शोर से दुष्प्रचार जारी है। इसे लेकर न केवल प्रोपेगेंडा किया जा रहा है और न्यायपालिका की शुचिता पर सवाल हो रहे हैं, बल्कि सीधे-सीधे झूठ भी फैलाया जा रहा रहा है। ऐसा ही एक झूठ यह है कि मोदी ने रिटायर होने जा रहे मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में फैसला देने और ‘हिन्दू राष्ट्र में योगदान’ देने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया है।
Fact check: PM Modi did not congratulate CJI Ranjan Gogoi for contribution toward ‘Hindu Rashtra’ after Ayodhya verdict https://t.co/9ZYpi6ETuZ
— OpIndia.com (@OpIndia_com) November 13, 2019
दरअसल इंटरनेट पर बहुत जगह एक कथित पत्र की स्कैन्ड कॉपी वायरल की जा रही है, जिसके कंटेंट में प्रेषक (कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) की ओर से प्राप्तकर्ता सीजेआई रंजन गोगोई से कहा गया है कि उन्होंने और फैसला सुनाने वाली पाँच जजों की संविधान पीठ ने ‘हिन्दू राष्ट्र में योगदान’ दिया है। इसके लिए उन्हें धन्यवाद दिया गया है, कहा गया है कि इसे हिन्दू राष्ट्र के लिए एक नया इतिहास बनेगा और ऐसे ‘नाज़ुक समय पर समर्थन’ के लिए भी उनका शुक्रिया अदा किया गया है।
इसको लेकर ऑल इंडिया रेडियो ने पत्र की अंग्रेजी और बांग्ला प्रतियाँ ट्वीट करते हुए दावा किया है कि ढाका स्थित भारतीय हाई कमीशन ने बांग्लादेश के न्यूज़ मीडिया में बँट रहे एक फेक पत्र के बारे में लोगों को सतर्क किया है।
Indian High Commission in Dhaka cautions people about a fake letter being circulated in some news media in #Bangladesh.
— All India Radio News (@airnewsalerts) November 13, 2019
The fake letter claims that PM Narendra Modi has written a letter to Chief Justice of India congratulating him on #AyodhyaVerdict. pic.twitter.com/nJQrhT9kfo
बिना किसी तरह की पड़ताल किए (या फिर शायद जान बूझकर गुस्सा, असंतोष और अंततः हिंसा भड़काने के लिए) बहुत सी वेबसाइट्स, वॉट्सऍप ग्रुप्स, इंडिविजुअल यूज़र्स इसे वायरल कर रहे हैं। ऐसी ही एक वेबसाइट कश्मीर मीडिया सर्विस है जो कह रही है कि मोदी के इशारे पर “हिन्दू चरमपंथियों को तुष्टीकृत किया गया है।” इसमें “कम्यूनल फ़ेस ऑफ़ द इंडियन जूडिशरी” कहते हुए न्यायपालिका पर अनर्गल आरोप लगाए हैं।
ऐसे तत्व न केवल सामाजिक सौहार्द के लिए खतरा हैं बल्कि इनके ऐसे कृत्यों से हिंसा भड़कने का खतरा रहता है।