उत्तर प्रदेश के बरेली से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक मुस्लिम महिला को उसके पति ने ‘तीन तलाक़’ देने के बाद हलाला करवाने पर मज़बूर किया। आरोपित ने अपनी पत्नी को अपने पिता (पीड़िता के ससुर) के साथ ज़बरन हलाला करवाया। पीड़िता की बहन ने अदालत में अर्ज़ी देकर न्याय की गुहार लगाई है। पीड़िता ने अपनी शिकायत में कहा:
“पहले मेरे शौहर ने मुझे तलाक़ दे दिया और दुबारा निकाह करने के लिए ससुर के साथ हलाला करवाया। अब वह फिर से तलाक़ देने के बाद देवर से हलाला कराने की ज़िद कर रहा है।”
बरेली के बानखाना निवासी पीड़ित महिला ने आला हजरत हेल्पिंग सोसायटी की अध्यक्ष निदा खान के साथ संयुक्त रूप से संवाददाता सम्मेलन करते हुए बताया कि वर्ष 2009 में उसका निकाह गढ़ी-चौकी निवासी वसीम से हुआ था। निकाह के 2 वर्ष बाद ही वसीम ने ‘तीन तलाक़’ देकर उसे घर से बाहर निकाल दिया। काफ़ी मिन्नतों के बाद वह फिर से पीड़िता को अपने घर में रखने को तैयार हुआ, लेकिन उसने एक शर्मनाक शर्त रख दी।
पीड़िता की बहन ने वसीम और उसके परिवार द्वारा किए गए अत्याचार के बारे में बताते हुए कहा:
“जब मेरी बहन ने ‘हलाला’ की प्रक्रिया से गुजरने से इनकार कर दिया, तो उसके ससुराल वालों ने उसे जबरन इंजेक्शन लगा कर, उसके ससुर के साथ हलाला की ‘रस्म’ पूरी करवाई। अगले 10 दिनों तक, बुजुर्ग व्यक्ति ने मेरी बहन के साथ लगातार बलात्कार किया और फिर उसे ‘तीन तलाक़’ दे दिया ताकि वह अपने पति से दोबारा शादी कर सके। लेकिन, जनवरी 2017 में, उसने फिर से मेरी बहन को तलाक़ दे दिया और फिर परिवार ने उसे उसके पति के छोटे भाई के साथ ‘हलाला’ से गुज़रने के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया।”
इतना ही नहीं, आरोपितों ने पीड़िता को ₹15 लाख लेकर मामला ख़त्म करने की भी पेशकश की। लेकिन, पीड़िता ने कहा की वह इंसाफ़ चाहती है और उसने रुपए लेने से इनकार कर दिया। उसने कहा कि वह दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा दिलाना चाहती है। अपनी बहन के घर रह रही पीड़िता ने कहा कि रोज़-रोज़ कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाना उसके वश की बात नहीं है।
पीड़िता ने बताया कि पहली बार हलाला के बाद उसे अपनाने के बावज़ूद उसका पति उसके साथ काफी मारपीट और गाली-गलौज करता था। पीड़िता ने सरकार से तीन तलाक़, बहुविवाह और हलाला पर कड़े क़ानून बनाने की माँग की। उसने कहा कि सख़्त क़ानून बनाने से महिलाओं पर अत्याचार कम होगा। पीड़िता ने कहा कि वह नहीं चाहतीं कि अन्य महिलाएँ उस दर्द से गुज़रे, जो उसे मिला है।
वहीं जनसत्ता में प्रकाशित ख़बर के अनुसार मुफ़्ती खुर्शीद ने कहा कि अपने ससुर से हलाला करवाने के बाद वह महिला अपने पति के लिए ‘हराम’ हो गई है। मुफ़्ती ने कहा:
“ससुर के साथ हलाला होने पर वह महिला अपने शौहर के लिए हराम हो गई। वह दोबारा अपने शौहर के साथ नहीं रह सकती है। ऐसा करना एक बड़ा गुनाह है। यह देखना होगा कि आखिर ऐसा कैसे हुआ।”
वहीं हजरत हेल्पिंग सोसायटी की अध्यक्ष निदा खान ने कहा कि शरिया अदालतों में अब महिलाओं को भी काज़ी बनाने की व्यवस्था लागू होनी चाहिए।