दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार की घर-घर राशन योजना पर रोक लगा दी है। इससे पहले इस योजना को लेकर केंद्र और केजरीवाल सरकार में टकराव की स्थिति सामने आई थी। वहीं अब दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने राशन वितरण के लिए दिल्ली सरकार की योजना को रद्द किया है। हाई कोर्ट द्वारा गुरुवार (19 मई, 2022) को सुनाए गए इस फैसले के बाद अब राशन की डोरस्टेप डिलिवरी से जुड़ी केजरीवाल सरकार की योजना फिलहाल दिल्ली में लागू नहीं होगी।
The bench of Acting Chief Justice of Delhi High Court sets aside Delhi Govt scheme for doorstep delivery of ration. The court pronounced the judgment in the plea filed by Delhi Sarkari Ration Dealers Sangh opposing the scheme.
— ANI (@ANI) May 19, 2022
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना को चुनौती वाली राशन डीलरों की दो याचिकाओं को मंजूरी दे दी थी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन संघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा कि घर-घर चीजें पहुँचाने के लिए दिल्ली सरकार कोई और योजना लाने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन वह केंद्र सरकार की ओर से उपलब्ध कराए गए अनाज का इस्तेमाल घर-घर पहुँचाने की योजना के लिए नहीं कर सकती। जहाँ दिल्ली सरकार इस योजना को बीते साल 25 मार्च को लागू करने की तैयारी की थी। वहीं, इससे पहले ही केंद्र ने 19 मार्च को उसे एक पत्र भेजकर इसमें अपनी आपत्ति जताई थी।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की सरकारी राशन डीलर्स संघ और दिल्ली राशन डीलर्स यूनियन की ओर से दायर याचिकाओं पर उच्च न्यायालय ने 10 जनवरी, 2022 को आदेश सुरक्षित रख लिया था। दरअसल, ये घर-घर राशन योजना दिल्ली सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक थी, लेकिन इसको लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच खींचतान देखने को मिली। वहीं आज दिल्ली हाईकोर्ट ने इस योजना को रद्द कर दिया है।
इस मामले में पहली आपत्ति योजना के नाम में ‘मुख्यमंत्री’ शब्द के इस्तेमाल को लेकर थी। केंद्र का कहना था कि राशन का वितरण नेशनल फूड सिक्योरिटी ऐक्ट (NFSA) के अंतर्गत होता है। दूसरा तर्क यह दिया गया कि NFSA में किसी तरह के बदलाव के लिए कानून में बदलाव करना होगा और ऐसा करने का अधिकार सिर्फ संसद के पास है।
इसका नतीजा यह हुआ कि राशन वितरण योजना को लेकर एक ही शहर में केंद्र और राज्य सरकारें आमने-सामने आ गईं। इधर, केंद्र ने योजना को लागू किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि यह NFSA के प्रावधानों का उल्लंघन करती है और इसे लागू करने से दिल्ली में रहने वाले प्रवासी राशन से वंचित हो जाएँगे। वहीं केजरीवाल सरकार ने इससे कालाबाजारी पर लगाम लगने का दावा किया और कहा कि इससे राशन माफियाओं पर लगाम लगेगी और राशन सीधे लाभार्थियों तक पहुँचेगा।
गौरतलब है कि एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में 72 लाख से ज्यादा लोग सब्सिडी वाला राशन पाने के हक़दार हैं, वहीं मात्र इनमें 17 लाख राशन कार्ड धारक हैं। और घर-घर योजना को लेकर दिल्ली की केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल के बीच विवाद सामने आया था।
बता दें कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुँचा था, लेकिन तब सर्वोच्च अदालत ने दिल्ली हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश में किसी भी तरह के दखल से इनकार कर दिया था। वहीं दिल्ली हाई कोर्ट ने बीते साल सितंबर में मामले में अंतरिम आदेश जारी कर दिल्ली सरकार के उस फैसले को बरकरार रखा था, जिसके तहत डोरस्टेप डिलीवरी का विकल्प चुनने वालों के हिस्से का राशन राशन डीलरों को सप्लाई नहीं करने का आदेश दिया गया था।