दिल्ली की राजनीति गर्म है। स्वास्थ्य मंत्री मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में जेल में है। ये अलग बात है कि अपनी ही सरकार के अस्पताल में वो बीमारी के बहाने मौज काट रहा है। तो अब उप-मुख्यमंत्री (जो शिक्षा एवं आबकारी विभाग भी सँभालते हैं) मनीष सिसोदिया को ‘भारत रत्न’ देने की माँग मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कर डाली है। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि प्रशांत भूषण, कुमार विश्वास, आशुतोष और योगेंद्र यादव जैसों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने वाले ‘सड़जी’ अपने डिप्टी का बचाव नहीं, उन्हें ट्रोल कर रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल के मुखारविंद से ताज़ा वाणी यह निकली है कि आज़ादी के बाद जो कोई नहीं कर पाया, वैसा काम मनीष सिसोदिया ने कर दिया है। उन्होंने पूरे देश की शिक्षा व्यवस्था उन्हें ही सौंप देने की वकालत करते हुए कह दिया कि ऐसे व्यक्ति को तो ‘भारत रत्न’ मिलना चाहिए। केजरीवाल की बात सही है। NYT में किसी के बारे में खबर छप जाए, उसके बाद उस व्यक्ति के लिए तो ‘भारत रत्न’ जैस अवॉर्ड भी छोटा है। है न? गनीमत है कि अरविंद केजरीवाल ने खुद को UNESCO का धरोहर घोषित करने और और मनीष सिसोदिया को नोबेल देने की माँग नहीं की।
He (Manish Sisodia) reformed govt schools which other parties could not do in 70 years. Such a person should get Bharat Ratna. The entire country's education system should be handed over to him, but instead, they conducted CBI raids on him: Delhi CM Arvind Kejriwal in Gujarat pic.twitter.com/jl3X6YnUUV
— ANI (@ANI) August 22, 2022
मनीष सिसोदिया को ‘भारत रत्न’ मिलना चाहिए, क्योंकि दिल्ली के सरकारी स्कूलों की खबर अमेरिका में छपवाने की कला सबके पास थोड़े ही न है? उन्हें ‘भारत रत्न’ इसीलिए भी मिलना चाहिए, क्योंकि उनमें विज्ञापन को खबर में बदल देने की अद्भुत क्षमता है। आप दुनिया भर की केमिस्ट्री की पुस्तकें उठा लीजिए, ऐसा ‘रिएक्शन’ कहीं नहीं मिलेगा। दिल्ली से विज्ञापन चलता है, वो अमेरिका में खबर बन कर निकलता है। बीच में कोई चमचा पत्रकार कैटेलिस्ट का काम करता है।
लेकिन, यहाँ एक पेंच है। मनीष सिसोदिया को ‘भारत रत्न’ मिलना चाहिए, लेकिन उनसे बड़े-बड़े धुरंधर पहले से बैठे हुए हैं। जब मनीष सिसोदिया को ये अवॉर्ड मिल जाएगा, तो क्या इस क्षेत्र में उनसे भी बड़े-बड़े महारथी मुलायम सिंह और लालू यादव जैसों के लिए ये बेइज्जती वाली बात नहीं होगी? वरिष्ठों का ये अनादर नहीं कहा जाएगा? सिसोदिया के तो अभी 7 साल हुए हैं सत्ता में, यहाँ तो दशकों सत्ता भोग कर एक से एक घोटाले करने वाले बैठे हुए हैं।
‘लड़के हैं, गलती हो जाती है’ – एक वीभत्स बलात्कार की घटना के बाद इस तरह का बयान देने वाले मुलायम सिंह यादव, जिनका घर व्हाइट हाउस से भी ज्यादा व्हाइट है, उन्हें क्यों ‘भारत रत्न’ से महरूम रखा जाए?ये ये कोई बयान थोड़े ही न है, ये तो एक ‘सामाजिक सिद्धांत’ है जिसका प्रतिपादन उन्होंने किया है। वैसे भी मुलायम सिंह क्या बोलते हैं इसे समझ लेना ही अपने-आप में बड़ी बात है। वो एन्क्रिप्टेड भाषा में बोलते हैं, ऐसे ‘वैज्ञानिक’ को क्यों न मनीष सिसोदिया से पहले तरजीह दी जाए।
या फिर बिहार वाले ‘चारा चोर’ लालू यादव को क्यों छोड़ दिया जाए? लोग चावल-दाल खाते हैं, उन्होंने तो पशुओं का चारा खा कर इतिहास रच रखा है। अभिनेत्री के गाल जैसी सड़क बनाने जैसा वादा कोई साधारण व्यक्ति कर सकता है क्या? जिस स्कूटर पर 3 आदमी भी ठीक से नहीं बैठ सकते, ऐसे ही स्कूटर पर 400 साँड दिल्ली-हरियाणा से बिहार ढोए गए थे। सैकड़ों टन चारा भी स्कूटर से ही ढोया गया। ऐसा कमाल दिखाने वाले लालू यादव को क्यों न मिले देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान?
और मनीष सिसोदिया की उपलब्धियाँ अभी हैं ही क्या? दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था अभी पूरी तरह बर्बाद थोड़े न हुई है, जैसा उत्तर प्रदेश और बिहार में क्रमशः मुलायम और लालू ने किया था। अभी तो और प्रगति करनी है सिसोदिया को। अभी तो दिल्ली के 1027 में से मात्र 824 ही स्कूलों के पास प्रधानाध्यापक नहीं हैं, क्या इसे अब 100% सफलता कहा जा सकता है? अभी तो NCPCR को हाइजीन और सुरक्षा से जुड़ी समस्याएँ ही मिली हैं सिर्फ दिल्ली के स्कूलों में, क्या इसमें और सुधार कर के सारे स्कूलों को गंदगी का भण्डार नहीं बनाना पड़ेगा?
मनीष सिसोदिया सचमुच ‘हजारों में अकेला’ हैं। शायद एकमात्र ऐसा व्यक्ति, जो शिक्षा के साथ-साथ शराब भी देखता है। फ़िलहाल तो दिल्ली के सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी के 527, गणित के 148, हिंदी के 332, राजनीतिक विज्ञान के 313, होम साइंस के 694, इतिहास के 372, और सोसियोलॉजी के 133, यानी कुल मिला कर शिक्षकों के 4154 पद ही खाली हैं, इन्हें बढ़ाना पड़ेगा या नहीं (मार्च 2022 के आँकड़े)? बिना बढ़ाए कैसे मनीष सिसोदिया मुलायम-लालू से आगे निकलेंगे?
वैसे अरविंद केजरीवाल इससे पहले सत्येंद्र जैन के लिए भी ‘पद्म विभूषण’ की माँग कर चुके हैं। ऐसे में तो सारे नागरिक सम्मानों में दिल्ली के मंत्रियों के लिए आरक्षण होना चाहिए। या फिर अरविंद केजरीवाल से ये सवाल भी पूछा जा सकता है कि अगर मनीष सिसोदिया ‘भारत रत्न’ के योग्य हैं तो उन्हें सम्मानित करने की शुरुआत खुद अरविंद केजरीवाल अपनी CM वाली कुर्सी उन्हें देकर क्यों नहीं कर रहे? ‘क्रांतिकारी’ पत्रकारों को ‘हैंडसम’ को सीएम बनाने के लिए अभियान शुरू करना चाहिए। फ़िलहाल डर ये है कि केजरीवाल कल को खुद को ‘भगवान’ ही न घोषित कर डालें, अब यही बाकी है बस।