परमादरणीय जनाब-ए-आला स्कॉलर श्री जाकिर नाइक साहब,
इस्लाम और दुनिया के तमाम धर्मों के बारे में आपके ज्ञान को देखकर चकित हूँ, लेकिन एक हजार मुद्दों पर जानकारी लेने में मेरी दिलचस्पी कम है। मैं तो बस जन्नत की हूरों के बारे में अधिक से अधिक जानना चाहती हूँ। आशा है कि जैसे आप भारत से भाग गए हैं, वैसे मेरे इन चंद सवालों से नही भागेंगे।
- मैंने सुना है कि मजहबी पुरुष जब जन्नत पहुँचते हैं, तो उन्हें 72 हूरें मिलती हैं, लेकिन जब मजहबी महिलाएँ जन्नत पहुँचती हैं, तो उन्हें कौन मिलता है और जो भी मिलते हैं, उनकी संख्या कितनी होती है?
- कहीं ऐसा तो नहीं कि जैसे धरती पर महिलाओं से भेदभाव किया जाता है, वैसे ही जन्नत में भी उनकी अनदेखी की जाती है? वहाँ पुरुष तो हूरों के साथ मगन रहते होंगे, पर महिलाएँ अपना वक्त कैसे काटती हैं?
- जन्नत पहुँचे सच्चे मुसलमानों से मिलने के लिए हूरें बुरके में आती हैं या बिकनी में? दुपट्टे सलवार में आती हैं या हॉट पैंट में?
- कृपया हूरों के नैन-नक्श, पहनावे-ओढाबे, खान-पान, रहन-सहन इत्यादि के बारे में विस्तार से बताएँ।
- हूरें कौन-सी भाषा बोलती हैं? क्या उन्हें धरती पर बोली जाने वाली भाषाओं की शिक्षा देने के लिए जन्नत में कोई यूनिवर्सिटी स्थापित की गई है? जब धरती से अलग-अलग भाषाएँ और बोलियाँ बोलने वाले लोग जन्नत पहुँचते होंगे, तो क्या उन्हें उन्हीं की भाषा और बोलियों में बात करने वाली हूरें सप्लाई की जाती हैं?
- या फिर वे सभी हूरें कोई एक ही भाषा बोलती हैं और धरती से पहुँचने वाले लोगों के लिए ही वहाँ एक मदरसा स्थापित कर दिया गया है, जहाँ हूरों से मिलाने से पहले उन्हें उस भाषा की मुकम्मल तालीम दी जाती है?
- यहाँ से जन्नत जाने वाले लोगों को फौरन हूरें मुहैया करा दी जाती हैं या फिर वहाँ भी उन्हें पहले आयतों रवायतों इत्यादि की किसी जाँच से गुजरना पड़ता है?
- हूरों के मामले में जन्नत के रूल्स और रेगुलेशन्स क्या हैं? क्या वे सिर्फ इस्लाम मानने वालों को ही सप्लाई की जाती हैं या फिर अन्य धर्मों के अनुयायियों को भी मुहैया कराई जाती हैं?
- कहीं ऐसा तो नहीं कि जैसे धरती पर सभी धर्मों के लोगों के रहने की व्यवस्था है, जन्नत में वैसी व्यवस्था नहीं है और वहाँ सिर्फ इस्लाम मानने वालों की ही एंट्री हो पाती है? इसलिए हूरों का लाभ भी एक्सक्लूसिवली इस्लाम के अनुयायियों को ही मिल पाता है?
- अगर हाँ, तो क्या हूरों वाले जन्नत की स्थापना कितने साल पहले हुई मानी जा सकती है? और क्या यह माना जा सकता है कि सभी धर्मों के देवी-देवताओं ने अलग-अलग जन्नतें बसा रखी हैं, जहाँ उनके अनुयायियों को अलग-अलग तरह की सुविधाएँ मुहैया कराई जाती हैं? या फिर सिर्फ़ इस्लाम वाला जन्नत ही सच्चा है और बाकी धर्मों में जन्नत के झूठे दावे किए गए हैं?
- धरती के मजहबी पुरुषों के लिए हूरों वाला यह जन्नत कहाँ स्थापित है? कृपया इसकी सही-सही लोकेशन बताएँ और यह भी बताएँ कि वहाँ से आप लोगों का कनेक्शन किस प्रकार जुड़ा है? इधर हाल-फिलहाल आपने वहाँ से कोई संवाद कायम किया है या फिर बिना संवाद और कनेक्शन के ही डींगें हाँकते रहते हैं?
- क्या धरती पर बढ़ती आबादी के हिसाब से जन्नत में हूरों की सप्लाई भी बढ़ती जाती है? पुरानी हूरों और नई हूरों को मिलाकर उनकी आबादी का एक मुकम्मल आँकड़ा पेश करें। यह भी बताएँ कि इन हूरों का लाभ अभी कुल कितने मजहबी पुरुषों को मिल रहा है? और आने वाले दस-बीस-तीस सालों में वहाँ और कितने सच्चे मुसलमानों की जगहें खाली है?
- हूरों की इतनी बड़ी आबादी के साथ पुरुषों को रखने के लिए जन्नत में क्या इंतजाम किए गए हैं? कोठियाँ बनी हैं, मल्टीस्टोरीज़ बिल्डिंगें बनी हैं या रेड लाइट एरिया जैसे इंतज़ाम किए गए हैं, जहाँ हूरों को छोटे-छोटे कमरों में रखा जाता है और धरती के सारे प्यासे मजहबी पुरुष बारी-बारी से वहाँ पहुँचते रहते हैं?
- अक्सर युद्ध और दंगे इत्यादि में जब एक साथ हजारों या लाखों लोग शहीद हो जाते हैं, तब जन्नत के दरवाज़े पर भगदड़ तो नहीं मच जाती होगी न? इतने लोगों की एक साथ जन्नत में एंट्री और सबको समय से हूरों की सप्लाई के क्या इंतजामात हैं?
- क्या कभी ऐसा भी होता होगा कि हूरों की सप्लाई कम होने की दशा में कुछ पुरुषों को 72 से कम हूरों के साथ ही संतोष करना पड़ता हो? ऐसी दशा में अपने हक से महरूम सच्चे मुसलमान क्या वहाँ फिर से कोई जेहाद छेड़ते होंगे?
- जन्नत में पुरुषों की सप्लाई तो धरती से होती है, पर हूरों की सप्लाई किस ग्रह, किस लोक, किस दुनिया से होती है?
- धरती पर तो कभी किसी चीज की कमी हो जाती है तो कभी किसी चीज की अधिकता हो जाती है। पर जन्नत में वे कौन-से मैन्यूफैक्चरर और सप्लायर हैं, जो हर पुरुष के लिए 72 हूरों की सप्लाई मेनटेन रख पाते हैं? कृपया जन्नत में हूरों के मैन्यूफैक्चरर और सप्लायर के बारे में विस्तार से बताएँ।
- मेरा ख्याल है कि जन्नत पहुँचे लोगों को 72 हूरें तो निःशुल्क ही मुहैया करा दी जाती होंगी, लेकिन अगर इन 72 के अलावा किसी 73वीं-74वीं पर उनका दिल ललचा जाए, तो वो क्या करें? क्या कुछ अतिरिक्त शुल्क इत्यादि के भुगतान से वे हूरें उन्हें दे दी जाएँगी या नहीं दी जाएँगी?
- अपनी-अपनी पसंद की हूरें हासिल करने के लिए जन्नत में भी जंग तो नहीं छिड़ जाती होंगी न?
- क्या जन्नत में हर व्यक्ति को समान संख्या में हूरें मुहैया कराई जाती हैं? पूछने का मतलब यह है जब आप जैसे बड़े ‘स्कॉलर’ वहाँ पहुँचेंगे, तो आपको भी 72 हूरें, और आपके मामूली फॉलोअर्स को भी 72 ही हूरें? यह कुछ नाइंसाफी नहीं हो जाएगी? इसी तरह, ओसामा बिन लादेन जैसे बड़े जेहादी को भी 72 हूरें और उसकी आर्मी में काम करने वाले एक छोटे जेहादी को भी 72 ही हूरें?
- क्या जन्नत पहुँचकर धरती के मजहबी पुरुष हूरों से संतान भी उत्पन्न करते हैं या फिर खाली टाइम पास की ही इजाजत है?
- जन्नत पहुँचने वाले मजहबी पुरुषों के लिए कोई कोड ऑफ कंडक्ट भी है क्या? जैसे एक बार आपने बताया था कि मजहबी पुरुष अगर अपनी बीवियों को पीटें, तो इसमें कुछ गलत नहीं है। उसी तरह जन्नत पहुँचकर वे अगर हूरों की भी पिटाई कर दें, तो कोई दिक्कत तो नहीं न?
- धरती की बीवियों एवं जन्नत की हूरों में क्या अंतर है? जैसे बीवी से तीन बार तलाक तलाक बोलकर छुटकारा पा सकते हैं, वैसे ही अगर कोई हूर पसंद नहीं आए, या उससे मन भर जाए, तो क्या उससे भी कोई शब्द बोलकर अलग हुआ जा सकता है? अगर हाँ, तो उस शब्द के बारे में कृपया विस्तार से बताएँ।
- धरती के पुरुषों को तो जेहाद और काफिरों के कत्ल इत्यादि विभिन्न मजहबी कार्यों से कमाए ‘पुण्य’ के तौर पर 72 हूरें मिलती हैं, लेकिन उन 72 हूरों को किन पापों की सजा के तौर पर एक ही पुरुष को शेयर करने का अभिशाप मिलता है? क्या अपने पिछले जन्म में उन्होंने आयतों और रवायतों का सही ढंग से पालन नहीं किया होता है?
- क्या जन्नत पहुँचकर धरती के मजहबी पुरुष हूरों के साथ फुल टाइम मौज-मस्तियाँ ही किया करते हैं या फिर वहाँ भी किसी तरह के मजहबी और जेहादी कार्यों में हिस्सा लेते हैं?
- क्या मजहबी पुरुषों की तमाम गतिविधियों का अंतिम उद्देश्य अधिक से अधिक संख्या में हूरों अर्थात् खूबसूरत स्त्रियों को भोगना ही होता है?
- अंतिम सवाल। क्या संक्षेप में हूरों को मजहबी पुरुषों की ‘अनंतकालीन सेक्स स्लेव’ कहा जा सकता है?
स्कॉलर श्री परम आदरणीय जाकिर साहब, जैसा कि आप भी मानेंगे कि आज दुनिया के नौजवानों के मन में सबसे ज़्यादा सवाल, जिज्ञासाएँ और ख्वाहिशें हूरों को लेकर ही हैं, इसलिए आशा है कि आप मेरे इन सवालों के यथोचित जवाब देंगे।
सादर शुक्रिया।
डिस्क्लेमर- यह पत्र किसी धर्म का मखौल उड़ाने के लिए नहीं, बल्कि मजहब के नाम पर मासूम लोगों को गुमराह कर रहे कट्टरपंथियों की पोल खोलने के लिए लिखा गया है।