मध्य प्रदेश में बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में महाकाल लोक की खुदाई के दौरान 2020 में एक हजार साल पुराने मंदिर का अवशेष मिला था। जाँच के बाद यह बात सामने आई है कि यह मंदिर परमार वंश के क्षत्रिय काल का है। अब इसे भव्य रूप देने की तैयारी शुरू हो गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 2020 में महाकाल मंदिर का विस्तार कर महाकाल लोक बनाने के लिए मंदिर परिसर में खुदाई की जा रही थी। इसी दौरान करीब 25 फीट नीचे जीर्ण-शीर्ण अवस्था मे प्राचीन मंदिर मिला था। मंदिर के अवशेष में प्राचीन शिवलिंग, भगवान गणेश, नंदी, माँ चामुण्डा समेत अन्य प्रतिमाएँ मिलीं थीं। मंदिर और प्रतिमाओं की जाँच के बाद पुरातत्वविदों ने इसे परमार कालीन बताया है।
खुदाई के दौरान मिले इस मंदिर के अवशेषों से अब एक नया भव्य एवं दिव्य मंदिर बनाया जाना है। इस मंदिर की ऊँचाई 37 फ़ीट होगी और इसे बनाने में करीब 65 लाख रुपए की लागत आएगी। पुरातत्वविद डॉ. रमेश यादव का कहना है कि बारिश का सीजन खत्म होने के बाद मंदिर का आधार स्तंभ फिर से खोला जाएगा। इसके बाद नींव बनाने का काम शुरू होगा।
पुरातत्वविद यादव ने यह भी कहा कि मंदिर बनने में 6 महीने से 1 साल तक का समय लगने का अनुमान है। हालाँकि यह पूरा समय पत्थरों की उपलब्धता पर निर्भर है। वैसे तो 90% पत्थर उपलब्ध हैं, लेकिन अगर जरूरत पड़ेगी तो बाहर से भी पत्थर मँगवाए जाएँगे। मंदिर किस देवता का है, यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है।
यदि मंदिर के सिर दल पर गणेश जी की प्रतिमा है तो वह शिव मंदिर होगा। यदि सिर दल पर गरुड़ जी हैं तो वह विष्णु मंदिर होगा। मंदिर के आधार भाग को देखने पर स्पष्ट हो जाएगा कि यह प्राचीन मंदिर किस देवता का है। वैसे, अभी तक यहां से मिले अवशेष से यह शिव मंदिर ही हो सकता है।
बता दें कि मंदिर में मिले अवशेषों की विशेषज्ञों की निगरानी में नंबरिंग की गई है। इन नंबर्स के जरिए मंदिर निर्माण के समय जो भाग जिस स्थान का है। वहीं पर सेट यानि कि स्थापित किया जाएगा। पुरातत्व विभाग मंदिर के आधार से लेकर शिखर तक के भाग को जोड़कर प्राचीन मंदिर के स्वरूप में ही नए मंदिर के निर्माण का प्लानिंग कर रहा है।