गुजरात के नर्मदा जिले के डेडियापाड़ा तालुका के आदिवासी गाँव (देव मोगरा) में सदियों से चौकीदार की पूजा की जा रही है। इस गाँव के लोगों का मानना है कि माता पंडोरी और देवदरवनिया नाम का चौकीदार कई वर्षों से उनके गाँव की रक्षा कर रहा हैं। जिसके कारण वह इन दोनों की पूजा करते हैं।
यहाँ पर पंडोरी माता के मंदिर से कुछ दूरी पर ही चौकीदार का भी मंदिर है। यहाँ की मान्यता है कि जो भी भक्त पंडोरी माता के दर्शन के लिए आते हैं उन्हें देवदारवनिया चौकीदार के मंदिर भी जाना पड़ता है। यहाँ पूरे साल राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से भक्त दर्शन के लिए आते हैं। माता के मंदिर की तरह ही चौकीदार के मंदिर की भी यहाँ काफ़ी मान्यता है।
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार वहाँ के नागरिक मान सिंह चौकीदार मंदिर और देवी पंडोरी के मंदिर पर बात करते हुए बताते हैं कि एक बार देवी पंडोरी माता ने नाराज होकर घर छोड़ दिया था। राजा पंडादेव ने उनकी तलाश करनी शुरू की और अपना घोड़ा देव मोगरा गाँव में रोका। तबसे यह जगह स्थानीय लोगों के लिए पूजनीय हो गई और बाद में यहाँ पंडोरी माता का मंदिर बनवाया गया। इस मंदिर से कुछ दूरी पर देवदरवनिया चौकीदार के लिए भी एक प्रार्थना स्थल बनाया गया।
वहीं कालू नाम के दूसरे निवासी बताते हैं कि माता के मंदिर के साथ दिवाली और नवरात्रियों में चौकीदार मंदिर में भी बहुत भीड़ देखने को मिलती है। इस मंदिर में हैरान करने वाली बात यह है कि एक तरफ़ जहाँ पर गुजरात में शराब की बिक्री पर रोक है वहीं चौकीदार के भक्त उन्हें प्रसाद के रूप में देसी शराब ही चढ़ाते हैं।
ये देखना दिलचस्प है कि एक तरफ़ जहाँ गुजरात के इस मंदिर में चौकीदार की पूजा होती है वहीं पर चुनावों के मद्देनज़र विपक्ष द्वारा इस शब्द का जमकर मजाक उड़ाया जा रहा है। प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए आज पूरा विपक्ष भूल चुका है कि चौकीदार एक शब्द नहीं है बल्कि पूरी परिभाषा है। जिसकी आए दिन विपक्ष द्वारा मिट्टी पलीद की जाती है।