Sunday, November 17, 2024
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जम्मू-कश्मीर के मार्तण्ड मंदिर में भूमि पूजन, बन रहा भव्य शिव मंदिर, श्रद्धालुओं के लिए यात्री निवास भी: इस्लामी और बॉलीवुड वाले बताते थे ‘शैतान की गुफा’

कश्मीर के अनंतनाग में स्थित मार्तण्ड सूर्य मंदिर हिंदू वास्तुकला और आध्यात्मिकता का ऐतिहासिक प्रतिनिधित्व करता है। ललितादित्य मुक्तपीड द्वारा 8वीं शताब्दी में निर्मित, मार्तण्ड सूर्य मंदिर प्राचीन भारत की वास्तुकला और सांस्कृतिक कौशल का एक प्रमाण है।

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में सरकार किस तरह से सक्रिय है और सरकारी फैसलों पर किस तेजी से अमल लाया जा रहा है, उसका एक उदाहरण है विश्व प्रसिद्ध मार्तण्ड मंदिर। कुछ समय पहले तक सदियों से वीरान रहे जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में स्थित मार्तण्ड मंदिर को लेकर 1 अप्रैल 2024 को बैठक बुलाई गई थी। उस बैठक में क्या फैसले हुए, इसकी जानकारी शायद मीडिया ने देने की जरूरत नहीं समझी। लेकिन इस बैठक से जो निकलकर आया है, वो धरातल पर दिखने लगा है। जी हाँ, मार्तण्ड सूर्य मंदिर, जो वीरानी में था, जिसमें पिछले साल ही एलजी मनोज सिन्हा के पूजा करने के बाद पूजा-पाठ शुरू हुई है, उसके आसपास तेजी से इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाया जा रहा है, ताकि मार्तण्ड सूर्य मंदिर तक लोग आसानी से पहुँच सकें।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अनंतनाग के मट्टन में स्थित मार्तण्ड (सूर्य) मंदिर में सरकार यात्री निवास बनवा रही है। 3 मंदिर इस यात्री निवास में दर्जनों कमरे होंगे और अन्य सुविधाएँ भी, ताकि हिंदू तीर्थ यात्री आराम से पूजा पाठ कर सकें और उन्हें किसी तरह की जल्दबाजी न करनी पड़े। यात्री वहाँ आराम भी कर सकें, साथ ही उनके सुरक्षा की भी अच्छी व्यवस्था हो, सरकार कुछ इस तरह के कदम उठा रही है। यही नहीं, सूर्य मंदिर के पास ही भव्य शिव मंदिर का भी निर्माण किया जा रहा है। इसकी शुरुआत भी हो चुकी है।

दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार (10 अगस्त 2024) को वित्तीय विभाग के विशेष सचिव केके सिद्धा ने निर्माण कार्य का भूमि पूजन कर शिलान्यास किया। इस मौके पर ट्रस्ट के सदस्यों के अलावा बड़ी संख्या में कश्मीरी हिंदुओं ने भाग लिया। इस यात्री निवास का निर्माण मार्तण्ड तीर्थ ट्रस्ट करवा रहा है। यात्री निवास के साथ ही भव्य शिव मंदिर भी बनाया जाएगा। श्रीनगर से लगभग 63 किलोमीटर दक्षिण में मट्टन के केहरिबल क्षेत्र में स्थित यह मंदिर देश के सबसे पुराने सूर्य मंदिरों में से एक माना जाता है और अमूल्य प्राचीन आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है।

बता दें कि 1 अप्रैल को इस मंदिर को लेकर बड़ी बैठक की गई थी। इस बैठक के लिए बाकायदा अधिसूचना जारी की गई थी, जिसमें लिखा था, “संस्कृति विभाग के प्रधान सचिव ने एक बैठक बुलाई है, जिसमें कश्मीर के प्राचीन मंदिरों के जीर्णोद्धार/संरक्षण/सुरक्षा पर चर्चा की जाएगी।”

अयोध्या से लाई कलश भी स्थापित

ओडिशा के कोणार्क और गुजरात के मोढेरा की तरह कश्मीर का मार्तण्ड सूर्य मंदिर भी भगवान सूर्य को समर्पित भव्य हिन्दू मंदिरों में से एक है, जिसका वैभव प्राचीन काल में बहुत बड़ा हुआ करता था। फ़िलहाल ये ASI के संरक्षण में है। राम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन 22 जनवरी, 2024 को यहाँ हिन्दू कार्यकर्ताओं ने आकर पूजा-अर्चना भी की थी। वहाँ हनुमान चालीसा का पाठ हुआ, भगवा ध्वज लहराया गया और मंदिर की परिक्रमा की गई।

साल 2022 में सौ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने की थी पूजा-अर्चना

इस्लामिक कट्टरपंथी जिस मार्तण्ड मंदिर को शैतान की गुफा कहते थे, वो सदियों से निर्जन पड़ी थी, लेकिन पिछले कुछ सालों में हिंदुओं ने अपने आराध्य की पूजा-पाठ फिर से शुरू कर दी है। आतंकवाद प्रभावित अनंतनाग में मई 2022 में एक साथ सौ से अधिक लोग पहुँचे थे और उन्होंने पूजा-पाठ की थी। पूजा के दौरान श्रद्धालुओं के हाथ में भगवा झंडे भी थे, जिन पर ॐ अंकित था। साथ ही उनके हाथों में देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा भी था। भगवद्गीता का पाठ भी किया गया। बता दें कि एएसआई इस मंदिर में पूजा-पाठ से मना करता है, वो कानूनों का हवाला देता है, लेकिन श्रद्धालुओं के आगे उसकी एक नहीं चलती। हालाँकि सरकार इस दिशा में बिल लाने के बारे में तैयारी कर रही थी, ताकि ऐसे प्राचीन मंदिरों में फिर से पूजा-पाठ शुरू हो सके।

गौरतलब है कि इस्लामिक कट्टरपंथी मार्तण्ड मंदिर के इलाके को शैतान की गुफा कहते हैं। बॉलीवुड से लेकर कथित एजुकेशन प्लेॉफॉर्म्स तक पर इस मंदिर के बारे में झूठ फैलाया जाता रहा है, जिसका अब तीखा विरोध होने लगा है। कुछ समय पहले ही मशहूर ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म अनएकेडमी ने अपने लेख में ऐतिहासिक मार्तंड सूर्य मंदिर को “शैतान की गुफा” बताया, जिसके बाद सोशल मीडिया पर बवाल मच गया। सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया के बाद अनएकेडमी को अपनी भूल को सुधारना पड़ा।

मार्तंड सूर्य मंदिर के इतिहास के बारे में अनएकेडमी के लेख में लिखा था, “मार्तंड सूर्य मंदिर, जिसे शैतान की गुफा भी कहा जाता है, भारत के जम्मू और कश्मीर में अनंतनाग शहर के पास स्थित एक हिंदू तीर्थस्थल है। इसे 8वीं शताब्दी ईस्वी में बनाया गया था और यह हिंदू धर्म के प्रमुख सूर्य देवता सूर्य को समर्पित था; सूर्य को उनके संस्कृत नाम मार्तंड से भी पहचाना जाता है। कश्मीर के पूर्व मुस्लिम सम्राट सिकंदर शाह मिरी के आदेश पर, 15वीं शताब्दी में शाह मिरी साम्राज्य की सेना ने इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया था।”

बॉलीवुड फिल्म ‘हैदर’ में मार्तण्ड मंदिर को बताया गया ‘शैतान की गुफा’

साल 2014 में फिल्म निर्माता विशाल भारद्वाज को अपनी फिल्म ‘हैदर‘ में हिंदू परंपराओं को बदनाम करने के लिए व्यापक आलोचना का सामना करना पड़ा था। शाहिद कपूर अभिनीत इस फिल्म में, सूर्य मंदिर को ‘बिस्मिल’ नाम के गाने में शैतान की गुफा कहा गया था। इसमें शाहिद मार्तण्ड सूर्य मंदिर के सामने डाँस करते दिखे हैं और मंदिर में शैतानी आकृति दिखाई देती है। इस गाने का लोगों ने खूब तीखा विरोध किया और कहा कि रचनात्मकता की आड़ लेकर हिंदुओं की भावनाओं का मजाक उड़ाया जा रहा है।

कश्मीर में मार्तण्ड सूर्य मंदिर और सिकंदर ‘बुतशिकन’

कश्मीर के अनंतनाग में स्थित मार्तण्ड सूर्य मंदिर हिंदू वास्तुकला और आध्यात्मिकता का ऐतिहासिक प्रतिनिधित्व करता है। ललितादित्य मुक्तपीड द्वारा 8वीं शताब्दी में निर्मित, मार्तण्ड सूर्य मंदिर प्राचीन भारत की वास्तुकला और सांस्कृतिक कौशल का एक प्रमाण है। हालाँकि, 14वीं शताब्दी के दौरान, सिकंदर शाह मिरी जिसे सिकंदर बुतशिकन (मूर्ति-भंजक) के नाम से भी जाना जाता है, हिंदुओं के खिलाफ अपनी नफरत के लिए मशहूर था, उसने काफ़िरों के मंदिरों को ध्वस्त कर दिया। यह दावा किया जाता है कि इस्लामी कट्टरपंथी ने मार्तण्ड मंदिर के खंडहरों को ‘शैतान की गुफ़ा‘ कहा था, हालाँकि, “शैतान की गुफ़ा” शब्द का उपयोग करने से संबंधित एक स्पष्ट प्रमाण नहीं है। ऐसा कहा जाता है कि कश्मीरी मुसलमान हिंदू मंदिर को शैतान की गुफा कहते हैं। इसके साथ ही बॉलीवुड, मीडिया और इस्लामी कट्टरपंथीवर्षों से हिंदू मंदिरों के इस अपमानजनक अपमान को उचित ठहराने और सामान्य बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

हालाँकि अब समय बदल रहा है। मार्तण्ड मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए बुनियादी सुविधाएँ होंगी। लोग रुक सकें, इसके लिए यात्री निवास बनाया जा रहा है। शिव मंदिर का भी निर्माण किया जा रहा है। धीरे-धीरे जब पूरे देश से एक बार फिर मार्तण्ड मंदिर पहुँचने वालों का ताँता लग जाएगा, तब शायद शैतान की गुफा जैसे कलंकित शब्दों का इस्तेमाल हमेशा के लिए खत्म हो जाए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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