अयोध्या के भव्य राम मंदिर में 22 जनवरी 2024 को भगवान रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया है कि प्राण-प्रतिष्ठा के अगले दिन यानी 23 जनवरी से आम लोग मंदिर में दर्शन कर सकेंगे। साथ ही गर्भगृह में प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा निर्मित भगवान राम की बाल विग्रह की स्थापना की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि रामलला की तीन मूर्तियों का निर्माण किया गया है। दो अन्य मूर्तियों को भी राम मंदिर में ही स्थापित किया जाएगा। लेकिन गर्भगृह में जिस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी वह नीलवर्ण के रामलला हैं। इसे योगीराज ने बनाया है। इसका निर्माण कर्नाटक के नीले पत्थर से किया गया है।
कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार श्री अरुण योगीराज द्वारा कृष्णशिला पर निर्मित मूर्ति का चयन भगवान श्री रामलला सरकार के श्री विग्रह के रूप में प्रतिष्ठित होने हेतु किया गया है।
— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) January 15, 2024
The Murti sculpted on Krishna Shila, by renowned sculptor Shri Arun Yogiraj, has been selected as Shri…
23 जनवरी से आम जनता भी कर सकेगी दर्शन
15 जनवरी को मीडिया से बात करते हुए चंपत राय ने बताया कि 20-21 जनवरी को मंदिर में दर्शन की अनुमति नहीं होगी, क्योंकि 22 जनवरी के कार्यक्रम की तैयारियाँ करनी है। उन्होंने बताया कि मुख्य प्राण-प्रतिष्ठा समारोह 12.20 बजे से शुरू होगा, जो एक बजे तक चलेगा। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, संघ प्रमुख मोहन भागवत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपना मनोभाव प्रकट करेंगे। इनके अलावा महंत नृत्य गोपाल दास भी अपना आशीर्वाद देंगे।
राइ ने बताया, “20-21 जनवरी को दर्शन बंद रखने का विचार चल रहा है। भगवान का दर्शन पूजन, पूजन, आरती, भोजन पुजारी कराएँगे। अंदर के लोग उपस्थित रहेंगे। 23 जनवरी से आम श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे।”
श्री रामलला विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा के संदर्भ में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित किया। https://t.co/tnBKOEU2aw
— Champat Rai (@ChampatRaiVHP) January 15, 2024
चंपत राय ने एक बाद फिर से निवेदन किया है कि 22 जनवरी को वही लोग आएँ जो समारोह के लिए आमंत्रित हैं। शेष लोग इस दिन अपने आसपास के मंदिरों में उत्सव मनाएँ। उन्होंने प्राण-प्रतिष्ठा के बाद शंख ध्वनि करने और प्रसाद वितरण का भी आग्रह किया है। साथ ही कहा है कि सूर्यास्त के बाद अपने घर के मुख्य द्वार पर सभी लोग कम से कम पाँच दीपक जलाएँ।
चंपत राय ने बताया कि समारोह के दौरान देश के जितने भी पारंपरिक वाद्ययंत्र हैं उनका वादन होगा। इनमें उत्तर प्रदेश का पखावर, बाँसुरी, ढोलक, कर्नाटक का वीणा, महाराष्ट्र का सुंदरी, पंजाब का अलगोजा, उड़ीसा का मर्दल, मध्य प्रदेश का संतूर, मणिपुर का पुँग, असम का नगाड़ा और काली, दिल्ली की शहनाई, झारखंड का सितार, गुजरात का संतार, तमिलनाडु का मृदंग इत्यादि शामिल हैं।
राय ने बताया कि मिथिला सहित देश के अलग-अलग हिस्सों से भगवान के लिए उपहार आ रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने जोधपुर से बैलगाड़ियों पर अपनी गोशाला का घी लेकर आए एक साधु का भी उल्लेख किया।