अयोध्या में 22 जनवरी 2024 (सोमवार) को राम जन्मभूमि पर निर्माणाधीन मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा प्रस्तावित है। दुनिया भर का हिन्दू समाज 5 सदी के बाद आ रहे इस दिन को अपने लिए शुभ बता कर अभी से तैयारियों में जुटा है। वहीं समाजवादी पार्टी और कॉन्ग्रेस के कुछ नेताओं सहित कई कट्टरपंथी और वामपंथी तत्व इस कार्यक्रम का विरोध कर रहे हैं। हालाँकि राम के नाम में हर किसी का समावेश है लेकिन जानबूझ कर इस मामले को साम्प्रदायिक रंग देने के प्रयास किए जा रहे हैं। अयोध्या नाम से हिन्दुओं के खिलाफ कट्टरता का आभासी दृश्य बनाने की साजिश रचने वालों ने इन तथ्यों को छिपाया है कि राम मंदिर के आसपास अयोध्या धर्मक्षेत्र में अभी भी 8 मस्जिदें मौजूद हैं। यहाँ एक मुस्लिम बाहुल्य मोहल्ला भी है, जो खुल कर अपनी मजहबी मान्यताओं का पालन करते हैं।
विभिन्न सम्प्रदायों के 3400 से अधिक मंदिर, राम सबके आराध्य
ऑपइंडिया ने अयोध्या धर्मनगरी क्षेत्र के आँकड़े जुटाए। आधिकारिक तौर पर यह धर्मनगरी 10.24 वर्ग किलोमीटर में फैली है। अयोध्या में लगभग 3400 मंदिर हैं। ये स्थल सनातन धर्म के सभी अंगों व अलग-अलग पूजा पद्धतियों के मंदिर हैं। सभी मंदिर आसपास बने हुए हैं, जहाँ से ये संदेश जाता है कि विविधता के बावजूद हिन्दू धर्म का मूल एक है।
साथ ही हिन्दू धर्म के सभी सम्प्रदायों के ये मंदिर इस बात का भी प्रतीक हैं कि राम सनातन के हर अंग में पूज्यनीय रूप से स्वीकार्य हैं। 3400 से अधिक मंदिरों की यह अनेकता में एकता राम के समावेशी होने की गवाही देती है।
4 गुरुद्वारे और 2 जैन मंदिर भी धर्मक्षेत्र में
इसके अलावा अयोध्या धर्मक्षेत्र में 4 गुरुद्वारे भी मौजूद हैं। प्राचीन समय से मौजूद ये गुरुद्वारे हिन्दू और सिख धर्म के उस अपनेपन के प्रतीक हैं, जिसे वर्तमान समय के नए नवेले खालिस्तानी विचारधारा वाले कुछ लोग नकारने की साजिश रच रहे हैं।
इनके अलावा अयोध्या में 2 जैन मंदिर भी हैं। दुनिया भर से आने वाले हिन्दू श्रद्धालु गुरुद्वारे और जैन मंदिर में भी समान श्रद्धाभाव से जाते हैं। जैन और सिख मतों के धर्मस्थल भी इसकी तस्दीक करते हैं कि राम नाम से उनका पुराना संबंध है।
10 वर्ग KM में 8 मस्जिदें, 4 कब्रिस्तान
भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहाँ हिन्दू धर्म को कुफ्र और शिर्क बताने वाली और स्वयं को सर्वश्रेठ व सर्वोत्तम घोषित करने वाली इस्लामी मत की भी इबादतगाहें मौजूद हैं। इसी धर्मनगरी क्षेत्र में 8 मस्जिदें और 4 कब्रिस्तान मौजूद हैं।
अयोध्या में कुछ मस्जिदें ऐसी भी हैं, जो रामजन्मभूमि अधिग्रहीत परिसर से महज 100 मीटर की दूरी पर हैं। इन पर बाकायदा लाउडस्पीकर बँधे हुए हैं, जिससे पाँचों टाइम अजान दी जाती है। इनके रंग-रोशन भी नियमित तौर पर हो रहे हैं। यहाँ तमाम मुस्लिम पूरी छूट के साथ अपनी मजहबी अक़ीदों का पालन करते हैं।
इसके अलावा अयोध्या धाम जंक्शन से निकलते ही 100 मीटर से भी कम दूरी पर मस्जिद मौजूद है। इसके विशाल गुंबद दूर से हरे रंग में चमकता दिखाई पड़ेगा। यहाँ भी अक्सर अकीदतमंदों की भीड़ दिखाई देती है।
ऑपइंडिया की टीम ने धर्मक्षेत्र में विद्याकुंड के आसपास मौजूद 2 कब्रिस्तानों का दौरा किया। यहाँ हमें सैकड़ों की तादाद में पक्की कब्रें दिखीं। पक्की कब्रों पर बाकायदा अरबी भाषा में पत्थर भी लगे हुए हैं। यहाँ अभी भी आसपास के मुस्लिम इंतकाल हुए अपने परिजनों को दफनाने आते हैं। अयोध्या धर्मक्षेत्र में ऐसे कब्रिस्तानों की संख्या 4 से अधिक बताई जा रही है। राम नाम के सर्व समावेशी होने के इस प्रमाण को अभी तक वामपंथी या चरमपंथी विचारधारा रखने वालों ने स्वीकार नहीं किया।
मंदिर से सटा मुस्लिम बहुल मोहल्ला
अयोध्या में अधिग्रहीत परिसर से सटा एक मुस्लिम बहुल मोहल्ला है। इसका नाम कजियाना है। बाबरी मस्जिद का पक्षकार रहा इक़बाल अंसारी भी इसी मोहल्ले का निवासी है।
यहाँ आसपास हर समय लाखों श्रद्धालु रामभक्तों और हजारों संत-महंतों की मौजूदगी रहती है लेकिन इसके बावजूद यहाँ अकेली मुस्लिम महिला को अपने बच्चे के साथ खरीदारी करते और किसी भी समय निश्चिन्त हो कर अपना काम करते देखा जा सकता है। इसी के साथ मोहल्ले में रहने वाले पुरुष पूरे इस्लामी परिधान में अपनी नौकरी व कारोबार आदि करते हैं। संतों के समावेशी व्यवहार ने इन्हें कभी भी पराया नहीं समझा।
अरुंधति कॉम्प्लेक्स में मुस्लिमों की भी दुकानें
ऑपइंडिया से बात करते हुए महंत महेश दास ने बताया कि भगवान राम ने सबको आत्मसात किया था। उनके नाम को साम्प्रदायिकता से जोड़ने वालों को स्वयं अयोध्या आकर जमीनी जानकारी जुटानी चाहिए। एक अन्य महंत अजय दास ने भी ऑपइंडिया को बताया कि वो वामपंथी और चरमपंथी ताकतें राम के नाम को बदनाम करने में जुटी हैं, जो अपनी नफरती सोच के चलते कभी अयोध्या आईं ही नहीं।
स्थानीय निवासी विमलेंद्र श्रीवास्तव ने हमें बताया कि धर्मक्षेत्र टेढ़ी बाजार में बने नए बहुमंजिला शॉपिंग काम्प्लेक्स अरुंधति में मुस्लिमों को भी दुकानें आवंटित हुई हैं। इनमें जूते का कारोबार करने वाले बाबू भाई उर्फ़ मोईन अहमद शामिल हैं। ये कॉम्प्लेक्स खासतौर पर उन कारोबारियों के लिए बनाया गया है, जिनके प्रतिष्ठान नगर के नवनिर्माण के दायरे में आ गए थे।
पिछले साल निकाली गई थी कई ताजिया
अयोध्या में तैनात रहे एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया साल 2023 में राम मंदिर से सटे कजियाना मोहल्ले में धूमधाम से ताजिया जुलूस निकले गए थे। तब अधिग्रहीत परिसर की बॉउंड्री से सटा कर लगभग आधे दर्जन ताजिया ढोल और ताशे बजा कर निकाली गई थी। इस दौरान मुस्लिमों ने पूरी शिद्द्त से अपने मजहबी नारे लगाए थे। तब अयोध्या में मौजूद हजारों श्रद्धालुओं ने अल्प समय के लिए सड़क आदि पर लगे जाम आदि पर कोई भी आपत्ति नहीं जताई थी। स्थानीय साधु-संतों ने इस आयोजन में प्रशासन का पूरा सहयोग किया था।
अयोध्या के धर्मक्षेत्र में रहने वाले अधिकतर मुस्लिम कारपेंटिंग, सैलून, जूते-चप्पल और सिलाई जैसे कारोबार से जुड़े हैं। अयोध्या के विकास के साथ इनके कारोबार में भी चार चाँद लगे हैं। कजियाना मोहल्ले के पास वशिष्ठ कुंड पर मौजूद कुछ लोगों ने भी बताया कि यहाँ हर साल मुस्लिम समुदाय के लोग अपने सभी त्यौहार धूमधाम से मनाते हैं।
उच्चशिक्षा के लिए कजियाना मोहल्ले से लगभग सटा ही साकेत डिग्री कॉलेज है। यहाँ भी इतिहास में मुस्लिम वर्ग से ताल्लुक रखने वाले कई छात्रनेता छात्रसंघ के पदाधिकारी बने हैं। कॉलेज में छात्रों की तादाद हिन्दू बहुल होने के बावजूद यहाँ कभी किसी मुस्लिम छात्र या छात्रा से मजहबी आधार पर भेदभाव जैसी घटना सामने नहीं आई। पूर्व छात्रसंघ पदाधिकारी ध्रुवराज इसे भगवान राम द्वारा मिले समावेशी संस्कार बताते हैं।