एक लिंगायत मठ ने मुस्लिम युवक के लिए अपनी परंपराओं को तोड़ने का फैसला किया है। मठ ने 33 साल के दीवान शरीफ रहमानसाब मुल्ला को मुख्य पुरोहित बनाने का फैसला किया है। शरीफ ने बीते साल नवंबर में दीक्षा ली थी। यह मठ कर्नाटक के गडग जिले में स्थित है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार शरीफ के पिता ने कई साल पहले मठ के लिए दो एकड़ जमीन दान थी।
आसुति गॉंव स्थित मुरुगराजेंद्र कोरानेश्वरा शांतिधाम मठ के मुख्य पुजारी के तौर पर शरीफ का अभिषेक 26 फरवरी को किया जाएगा। इसको लेकर मठ में जोर-शोर से तैयारियॉं चल रही है। मठ के इस फैसले को हिंदुओं में व्याप्त धार्मिक सहिष्णुता के तौर पर देखा जा रहा है। बकौल शरीफ, वह बचपन से ही बसवन्ना के मूल्यों से प्रभावित थे। बसवन्ना 12वीं सदी के सुधारक थे। शरीफ ने कहा है कि वे उनके दिखाए सामाजिक न्याय तथा सद्भाव के मार्ग पर काम करेंगे।
उन्होंने कहा, “मैं पास के मेनासगी गॉंव में आटा चक्की चलाता था। खाली समय में बसवन्ना और 12 वीं शताब्दी के अन्य साधुओं द्वारा लिखे गए वचनों पर प्रवचन देता था।” शरीफ ने बताया स्वामीजी ने उसकी इस सेवा को पहचाना और मुझे प्रशिक्षित करने के लिए अपनी शरण में ले लिया।
A Lingayat math in Gadag district of N.Karnataka is set to make a Muslim youth its pontiff. Diwan Sharief Rahimansab Mulla, 33, who wil b incepted on February 26, said he ws influenced by the teachings of 12th -century reformer Basavanna since childhood
— Krish (@reallykrish) February 19, 2020
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आसुति गॉंव का मठ कलबुर्गी के खजुरी गॉंव के 350 साल पुराने कोरानेश्वर संस्थान मठ से जुड़ा हुआ है।
मठ चित्रदुर्ग के श्री जगद्गुरु मुरुगराजेंद्र मठ के 361 मठों में से एक है, जिसमें देश के अन्य हिस्सों के अलावा कर्नाटक और महाराष्ट्र के लाखों अनुयायी आते हैं। खजूरी मठ के पुजारी मुरुगराजेंद्र कोरानेश्वर शिवयोगी ने बताया, “10 नवंबर, 2019 को शरीफ ने दीक्षा ली थी। हमने उन्हें पिछले तीन वर्षों में लिंगायत धर्म और बासवन्ना की शिक्षाओं के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षित किया है। शरीफ बचपन से ही 12 वीं सदी के सुधारक बासवन्ना की शिक्षाओं से प्रभावित थे और उम्मीद है कि वह सामाजिक न्याय और सद्भाव के साथ उनके आदर्शों की दिशा में काम करेंगे।”
उन्होंने बताया, “बसव का दर्शन सार्वभौमिक है। हम अनुयायियों को जाति और धर्म की भिन्नता के बावजूद गले लगाते हैं। उन्होंने 12 वीं शताब्दी में सामाजिक न्याय और सद्भाव का सपना देखा था और उनकी शिक्षाओं का पालन करते हुए, मठ ने सभी के लिए अपने दरवाजे खोले हैं।”
शिवयोगी ने कहा, “लिंगायत धर्म संसार (परिवार) के माध्यम से मोक्ष में विश्वास करता है। पारिवारिक व्यक्ति एक स्वामी बन सकता है और सामाजिक तथा आध्यात्मिक कार्य कर सकता है।” उन्होंने कहा, “मठ के सभी भक्तों ने शरीफ को पुजारी बनाने का समर्थन किया है। यह हमारे लिए बासवन्ना के आदर्श और कल्याण राज्य को बनाए रखने का एक बेहतर अवसर है।”
मठ के सभी प्रमुख सदस्य डायमन्ना हडली, शरणप्पा कार्कीत्ती और संतोष बालूटगी ने कहा कि यह उदाहरण गर्व करने वाला है। सदस्यों ने आगे कहा कि, हमने जाति और धर्म के आधार पर घृणा और हिंसक संघर्ष को होते हुए देखा है, लेकिन हमारे कुरानेश्वर मठ एक मुस्लिम को लिंगायत मठ के प्रमुख के रूप में नियुक्त करके एक प्रेरणादायक मार्ग पर काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं जाति और धर्म के बावजूद गाँव के सभी भक्त इस मठ के अनुयायी हैं। सभी ने मठ के इस फैसले का समर्थन किया है।
शरीफ शादीशुदा और चार बच्चों के पिता भी हैं। लिंगायत मठों में पारिवारिक व्यक्ति की पुजारी के तौर पर नियुक्ति भी असामान्य है। हालांकि, मठ ने कहा है कि शरीफ एक समर्पित अनुयायी है। वे मठाधीश भी बन सकते हैं।