अयोध्या में श्रीराम मंदिर का भव्य निर्माण शुरू होने के साथ ही अब वाराणसी में ‘ज्ञानवापी परिसर’ को मुक्त कराने की कानूनी लड़ाई शुरू हो गई है। इस मुद्दे पर सोमवार को वाराणसी की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में सुनवाई हुई थी। वहीं जिला जज की अदालत ने सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से कोर्ट में उपस्थिति न होने के कारण सुनवाई की अगली तारीख 1 सितंबर को निर्धारित कर दी है। इससे पहले प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद की तरफ से 1 जुलाई को इस मुद्दे पर याचिका दाखिल की गई थी।
अयोध्या में रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के शिलान्यास के बाद से ही काशी और मथुरा का मुद्दा भी गरमाता नजर आ रहा है। लोगों की निगाहें अब काशी विश्वनाथ मंदिर के फैसले पर टिकी हुई है।
गौरतलब है कि प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद की ओर से अर्जी दी गई कि मामले में सुनवाई नहीं हो सकती हैं। इस मामले की सुनवाई सिविल कोर्ट के क्षेत्राधिकार में नहीं है। कोर्ट ने सुनवाई के बाद प्रतिवादी की याचिका खारिज कर सुनवाई चालू रखने का आदेश दिया। उधर प्रतिवादी की ओर से एक और अर्जी दी गई। कहा गया कि लखनऊ वफ्फ बोर्ड ट्रिब्यूनल न्यायाधिकरण के पास प्रकरण को भेजा जाए। अदालत ने इस अर्जी को 25 फरवरी को खारिज कर दिया। इसी आदेश के खिलाफ प्रतिवादी ने जिला जज की अदालत में एक जुलाई को याचिका दाखिल की है।
वहीं एक जुलाई को दायर याचिका की सुनवाई करते हुए जिला जज की अदालत ने प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को नोटिस जारी करने का आदेश देते हुए अग्रिम सुनवाई के लिए एक सितंबर की तिथि तय की है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से पंडित सोमनाथ व्यास और डॉ. रामरंग शर्मा ने ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ का अधिकार देने आदि को लेकर वर्ष 1991 में मुकदमा दायर किया है। जिस पर बाद में हाईकोर्ट की ओर से स्टे दे दिया गया।
पिछले वर्ष दिसंबर में वादमित्र ने सिविल कोर्ट (सीनियर डिवीजन-फास्टट्रैक) में एक और याचिका दाखिल कर पूरे परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की माँग की। कहा कि लम्बा समय होने के कारण पूर्व के स्टे का आदेश स्वत: खारिज हो जाता है। लिहाजा, इस मामले में सुनवाई शुरू की जाए।
दिवंगत वादी पंडित सोमनाथ व्यास और डॉ. रामरंग शर्मा के स्थान पर प्रतिनिधित्व करने के लिए पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी को न्याय मित्र नियुक्ति किया गया।
उल्लेखनीय है कि इस मामले में भगवान विश्वेश्वर पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील राजेंद्र प्रताप पांडेय पैरवी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अंजुमन इंतेजामिया बनारस और यूपी सुन्नी सेंट्रल चाहता था कि इस कार्यवाही को स्थगित कर दी जाए और आगे कोई सुनवाई न हो। कोर्ट द्वारा उनकी माँगें ख़ारिज किए जाने के बाद अब इस मामले में कार्यवाही चलेगी। नवम्बर 2019 में सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के पक्ष में फ़ैसला आने के बाद अब लोगों के भीतर उम्मीद जगी है कि मथुरा व काशी विवाद में भी हिन्दुओं को न्याय मिलेगा।
काशी विश्वनाथ व ज्ञानवापी मस्जिद का मामला हाईकोर्ट और सेशन कोर्ट, दोनों में ही चल रहा था। बाद में हाईकोर्ट ने कहा कि मुकदमा एक ही कोर्ट में चलेगा और सेशन कोर्ट में जारी रहेगा। वादी पक्ष की तरफ से पूरे ज्ञानवापी परिसर के एएसआई द्वारा भौतिक सर्वे कराने के लिए आवेदन दिया गया था, जिस पर संप्रदाय विशेष के पक्ष ने आपत्ति जताई थी। उसका कहना था कि हाईकोर्ट के 1998 में दिए गए आदेश के अनुसार इस मामले में स्टे लगा हुआ है।