Monday, November 18, 2024
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भगवान विष्णु जा रहे थे ‘स्नान’ करने, 5 घंटे बंद रहा केरल का हवाई अड्डा: 5 घंटे तक रुकी रही फ्लाइट सेवाएँ, एयरपोर्ट बनने से पहले से चली आ रही है परंपरा

तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर इंडिगो, एयर इंडिया एक्सप्रेस और एयर अरबिया सहित प्रमुख विमान वाहकों की कम से कम 10 उड़ानें रद्द कर दी गईं, क्योंकि सेवाएँ शाम चार बजे से रात नौ बजे तक ठप रहीं।

केरल को यूँ ही ‘गॉड्स ओन कंट्री’ नहीं कहा जाता है। यहाँ के प्राचीनतम मंदिर तो खैर इस बात की गवाही देते भी हैं, लेकिन राज्य के हिन्दू भी अपनी आस्था को लेकर काफी सजग हैं। सरकार किसी की भी हो, लेकिन परम्परा को हमेशा निभाया जाता है। इसी क्रम में तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा ने ‘भगवान विष्णु को स्नान कराने’ के लिए रनवे से गुजरने वाले जुलूस के कारण मंगलवार (1 नवंबर, 2022) दोपहर को पाँच घंटे के लिए अपनी उड़ान सेवाओं को रोका।

हवाई अड्डा मशहूर पद्मनाभ स्वामी मंदिर की सदियों पुरानी इस परंपरा के लिए हर साल दो बार अपनी उड़ानों के कार्यक्रम में परिवर्तन करता है। मंदिर का यह जुलूस यहाँ रनवे के पास से गुजरता है। मंदिर के ‘अरट्टू’ जुलूस के साथ ही मंगलवार को अलपसी उत्सव संपन्न हो गया। हवाई अड्डा प्राधिकारियों ने बताया पहले बताया था कि उड़ान सेवाएँ शाम चार बजे से रात नौ बजे तक 5 घंटे के लिए निलंबित रहेंगी।

‘पंजाब केसरी’ की रिपोर्ट के अनुसार, हवाई अड्डे के सूत्रों ने बताया कि तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर इंडिगो, एयर इंडिया एक्सप्रेस और एयर अरबिया सहित प्रमुख विमान वाहकों की कम से कम 10 उड़ानें रद्द कर दी गईं, क्योंकि सेवाएँ शाम चार बजे से रात नौ बजे तक ठप रहीं। इस परंपरा के लिए हवाई अड्डे को बंद करने की यह प्रथा दशकों से चली आ रही है और पिछले साल अडाणी समूह द्वारा इस हवाई अड्डे का प्रबंधन अपने हाथ में लेने के बावजूद भी यह रुकी नहीं है।

हवाई अड्डा प्रबंधन ने यहां एक बयान में कहा था, “अलपसी अरट्टू जुलूस के तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रनवे से गुजरने के लिए श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर की सदियों पुरानी परंपरा के सुचारू संचालन के लिए उड़ान सेवाएं एक नवंबर 2022 को शाम चार बजे से रात नौ बजे तक स्थगित रहेंगी।”

रनवे के समीप अरट्टू मंडपम है, जहाँ मंदिर की प्रतिमाओं को जुलूस के दौरान एक रस्म के तौर पर कुछ देर के लिए रखा जाता है। मंदिर की परंपरा के अनुसार, मंदिर के देवताओं की प्रतिमाओं को साल में दो बार स्नान के लिए समुद्र में ले जाया जाता है जो हवाई अड्डे के पीछे है। 1992 में हवाईअड्डे के बनने से पहले से ही यह जुलूस इस मार्ग से गुजरता रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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