यूरोपीय देश जर्मनी में 20 साल की मेहनत के बाद हिंदू मंदिर बनकर तैयार हो गया है। राजधानी बर्लिन में बना भगवान श्रीगणेश का यह मंदिर 70 वर्षीय विल्वनाथन कृष्णामूर्ति के अथक परिश्रम और प्रयासों का परिणाम है। इस मंदिर में अब तक भगवान की मूर्ति विराजमान नहीं हुई है। कृष्णामूर्ति दीवाली के समय भव्य कार्यक्रम कर यहाँ भगवान की प्राण प्रतिष्ठा करने की योजना बना रहे हैं।
डीडब्ल्यू से हुई बातचीत में विल्वनाथन कृष्णामूर्ति ने कहा है कि वह 50 साल पहले जर्मनी आए थे। यहाँ वह बर्लिन में रहते हुए एक इलेक्ट्रिकल कंपनी में काम करते थे। जर्मनी आने के बाद से उनका सपना मंदिर बनाने का था। इस सपने को लेकर उनका कहना है कि वह त्यौहार घर भी मना सकते हैं। लेकिन दोस्तों के साथ त्यौहार का जश्न मनाने के लिए उन्हें एक स्थान की जरूरत थी। इसलिए उन्होंने श्री-गणेश हिंदू मंदिर बनाने के लिए साल 2004 में एक एसोसिएशन की स्थापना की।
Germany's largest #Hindutemple is set to open in Berlin in November 2023. Sri-Ganesha Hindu Temple will be located in the tallest high-rise building currently under construction in Berlin, known as the "Amazon Tower." Opening of the temple is expected to coincide with the… pic.twitter.com/qwkq5SQ7IH
— Centre for Integrated and Holistic Studies (@cihs_india) September 4, 2023
एसोसिएशन बनने के कुछ दिनों बाद ही बर्लिन जिला प्रशासन ने मंदिर बनाने के लिए हसेनहाइड पार्क के किनारे एक प्लॉट दे दिया। इसके बाद उन्होंने मंदिर बनाने के लिए पैसा जुटाना शुरू किया। प्लान था कि साल 2007 में ही मंदिर बनना शुरू हो जाएगा। लेकिन साल 2010 तक भी शुरू नहीं हो पाया। कृष्णामूर्ति बताते हैं कि मंदिर बनाने में उन्हें 4 तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा। पहली समस्या सरकार से अप्रूवल थी। दूसरी मंदिर बनाने को लेकर नियम, तीसरी समस्या पैसों की थी और चौथी डेडलाइंस थी।
कृष्णामूर्ति का कहना है कि वह उधार लेकर मंदिर नहीं बनाना चाहते थे। क्योंकि आने वाली पीढ़ी को उधार वापस करना पड़ता। इसलिए वह दान के पैसों को अधिक से अधिक जुटाने में लगे हुए थे। उन्होंने कहा है कि मंदिर निर्माण दान के पैसों के दम पर ही हुआ है। बर्लिन प्रशासन की ओर से इसमें किसी भी तरह का सहयोग नहीं मिला। जब वह मंदिर के लिए दान जुटा थे तब बर्लिन में भारतीयों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही थी। इसके साथ ही दान में भी बढ़ोतरी हो रही थी।
उन्होंने आगे कहा है कि बर्लिन में अमेजॉन की सबसे बड़ी बिल्डिंग तैयार की जा रही है। इस बिल्डिंग से ज्यादातर भारतीय काम कर रहे हैं। बीते 5 सालों में मंदिर निर्माण के लिए मिल रहे दान में बहुत तेजी से बढ़ोतरी हुई है। युवा खुले दिल से दान कर रहे हैं। युवा पुरुष और महिलाएँ दोनों नौकरी करते हैं। इसलिए उनके पास किसी त्यौहार को मनाने के लिए घर में समय नहीं मिलता। ऐसे में सभी मंदिर में भगवान के विराजमान होने का इंतजार कर रहे हैं।
विल्वनाथन कृष्णामूर्ति ने कहा है कि दीवाली के समय वह 6 दिवसीय कुंभाभिषेकम अभिषेक समारोह आयोजित करना चाहते हैं। इसी कार्यक्रम के दौरान भगवान श्री गणेश भी मंदिर में विराजित होंगे और उनकी प्राण प्रतिष्ठा होगी।